Chhindwara News: दोपहर में आए मोहगांव के किसान रात तक दफ्तर में धरना देकर बैठे रहे

दोपहर में आए मोहगांव के किसान रात तक दफ्तर में धरना देकर बैठे रहे
  • 15 दिन पहले दी थी ऑफिस में धरना देने की चेतावनी
  • 16 वें दिन आ धमके, सौ से ज्यादा किसान, 25 से 30 महिलाएं भी शामिल
  • किसानों का कहना था कि उनकी जमीन लेकर बांध तो बना लिया गया, लेकिन बांध के पानी से डूब क्षेत्र की सडक़ और रपटा डूब रहा है।

Chhindwara News: अपनी मांगों को लेकर 15 दिन पहले आकर चेतावनी देकर लौटे सौंसर के मोहगांव जलाशय से प्रभावित किसान ठीक 16 वें दिन आ धमके। दोपहर करीब 1.30 बजे जल संसाधन विभाग छिंदवाड़ा के दफ्तर पहुंचे किसान रात तक डटे रहे। सौ से ज्यादा किसानों में 25 से 30 महिलाएं भी शामिल हैं। दो हाईलेवल ब्रिज और सडक़ सहित अन्य मांगों को लेकर किसान आक्रोशित हैं।

नंदेवानी, मुंगनापार, सरकीखापा, जोबनडेरा और भुम्मा के प्रभावित किसानों का कहना है कि वर्ष 2021–22 से सिर्फ उन्हें आश्वासन मिल रहा है। उनकी अन्य मांगों को लेकर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 1 अप्रैल को वे जल संसाधन विभाग छिंदवाड़ा कार्यालय आए थे, तब ज्ञापन देकर समस्याओं के निराकरण की मांग रखी थी, 15 दिन में फिर आने की चेतावनी दी थी, बावजूद इसके विभाग नहीं जागा। महिलाएं रोटी बांधकर लाई थीं। शाम को दफ्तर के कर्मचारी ताला लगाकर चल दिए, जबकि किसान रात तक डटे रहे।

मुख्यालय में अधिकारी नहीं मिले, सौंसर से एसडीओ ने आकर अटेंड किया

अपनी समस्याओं के निराकरण की उम्मीद लेकर कार्यपालन यंत्री कार्यालय छिंदवाड़ा पहुंचे मोहगांव के ग्रामीणों को दोपहर में मुख्यालय का कोई अधिकारी नहीं मिला। सौंसर से आकर एसडीओ संजना चौधरी ने किसानों से चर्चा की। उन्होंने मांगों के सभी बिंदुओं पर ऊपर से स्वीकृति नहीं मिल पाने की बात कही।

किसान सुदामा मानमोड़े, सुशीला मडक़े, लीला यूके, सुशीला धुर्वे, लक्ष्मी कुमरे और सातोका कुमरे का कहना है कि जिले के अधिकारियों ने उनसे बात नहीं की। बात होगी तभी लौटेंगे। महिलाओं ने कहा कि रोटी लाए थे, दोपहर में खा लिए, रात खाली पेट ही गुजारेंगे।

किसानों की ये बड़ी समस्या

किसानों का कहना था कि उनकी जमीन लेकर बांध तो बना लिया गया, लेकिन बांध के पानी से डूब क्षेत्र की सडक़ और रपटा डूब रहा है। जिससे वे अपने खेतों में नहीं पहुंच पा रहे हैं। बारिश के पहले बोवनी तो कर देते हैं लेकिन इसके बाद रपटा डूबने से उनका खेतों में जाना बंद हो जाता है।

किसान सुदामा मानमोड़े, रंछु मरकाम, नंदकिशोर डोंगरे, गोपी आहके, सुमरलाल उइके, सुशीला मडक़ेे और लक्ष्मी कुमरे समेत अन्य किसानों की मांग है कि ब्रिज का निर्माण जल्द हो या भू-अर्जन कर उनकी जमीन ले ली जाए। ब्रिज बनते तक उन्हें प्रति एकड़ प्रति वर्ष 25 से 30 हजार रुपए फसल मुआवजे के तौर पर दिया जाए।

ये मांगें भी...जिनके पूरा नहीं होने से आक्रोश

ग्राम सीताढाना और बोडख़ीढाना के छूटे 108 विस्थापित परिवारों को 50-50 हजार की शेष राशि का भुगतान हो।

जिन किसानों से भूमि अधिग्रहण किया गया उन्हें मुद्रांक शुल्क का भुगतान हो।

36 किसान ऐसे हैं जिनकी परिसंपत्तियां छूट गई थी, इनमें से सिर्फ 12 के लिए ही पूरक अवार्ड बना, बाकी को भी शामिल किया जाए।

छूटे हुए परिवारों को भी विस्थापन का लाभ दिया जाए।

नंदेवानी सर्कीखापा मार्ग पर दो हाईलेवल ब्रिज, भुम्मा घोडक़ीढाना व भुम्मा से मुंगनापार सडक़ का निर्माण किया जाए।

प्रभावितों के विस्थापन स्थल पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, पानी की समस्या से विस्थापित परिवार जूझ रहे हैं।

इनका कहना है

ब्रिज निर्माण सहित अन्य समस्याओं के निराकरण के लिए प्रस्ताव बनाकर पहले ही वरिष्ठ कार्यालय को भेजे जा चुके हैं, जिसकी जानकारी किसानों को भी दी जा चुकी है। ब्रिज के प्रस्ताव बोधी में विचाराधीन हैं। वहां से स्वीकृति के बाद ही आगे प्रक्रिया हो सकती है। किसानों का समझाया जा रहा है।

- कुमकुम कौरव पटेल, ईई, जल संसाधन विभाग

Created On :   17 April 2025 1:35 PM IST

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