छिंदवाड़ा: डॉग बाइट १० माह में १६९१ लोगों को आवारा श्वानों ने बनाया शिकार

डॉग बाइट १० माह में १६९१ लोगों को आवारा श्वानों ने बनाया शिकार

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। शहर समेत जिले में आवारा श्वानों का आतंक बना हुआ है। आवारा श्वानों ने सबसे अधिक हमला मासूम बच्चों पर किया है। जनवरी से अक्टूबर माह तक १ हजार ६९१ लोगों को आवारा श्वान काट चुके हंै। जिन्हें जिला अस्पताल में इलाज दिया जा चुका है। श्वान के काटने पर मरीज को दो से लेकर पांच डोज तक लगते है। जिला अस्पताल में एंटी रैबीज के लगभग ३ हजार ५०० डोज मरीजों को लग चुके है।

जिला अस्पताल की ओपीडी से मिले आंकड़ों के मुताबिक आवारा श्वानोंं के शिकार बच्चे अधिक बने है। कई मामलों में बच्चों को गंभीर घाव होने पर भर्ती कर इलाज दिया जाता है। रोजाना लगभग आठ से दस मरीज डॉग बाइट से घायल होकर इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंचते है। वहीं कुछ प्रकरणों में यह भी सामने आया है कि बाइक सवारों के पीछे आवारा श्वान दौड़ते है। कई बार बाइक सवार घबराहट में अनियंत्रित होकर दुर्घटना का शिकार हो जाते है। ऐसी घटनाओं में घायल होने वाले लोगों का आंकड़ा भी काफी बड़ा है। आवारा श्वानों को पकडक़र नगरी क्षेत्र से बाहर छोडऩे की जवाबदारी नगर निगम की है, लेकिन निगम के जवाबदार अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

३० से अधिक बच्चे ऐसे जिन्हें बुरी तरह नोंचा : जिला अस्पताल के शिशु वार्ड के रिकार्ड देखे जाए तो पूरे साल में तीस से अधिक बच्चे श्वान काटने की वजह से गंभीर हालत में भर्ती होते है। श्वान के काटने से गंभीर बच्चों को रैबीज इम्योनोग्लोबिलिन इंजेक्शन दिए गए है। यह इंजेक्शन गहरे घाव में लगाए जाते है।

निजी अस्पतालोंं के आंकड़े दोगुने

बीते दस माह में १ हजार ६९१ से अधिक लोगों को श्वान काट चुके है। यह सिर्फ जिला अस्पताल के आंकड़े है। इससे लगभग दो गुना अधिक लोग ऐसे होंगे जिन्होंने निजी अस्पताल और क्लीनिकों में डॉग बाइट का इलाज करा चुके है। हालांकि इसका रिकार्ड स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है।

जिला अस्पताल में ५ हजार से अधिक डोज

श्वानों के हमले में घायल मरीजों को जिला अस्पताल में एंटी रैबीज वेक्सिन के ३ हजार ५०० डोज लग चुके है। वहीं अस्पताल स्टॉक में अभी एंटी रैबीज वेक्सिन के ५ हजार ७०० डोज उपलब्ध है। इसके अलावा गंभीर रुप से घायल पेशेंट को रैबीज इम्योनोग्लोबिलिन इंजेक्शन भी लगाए जाते है।

डॉग बाइट से घायल मरीज...

माह पेशेंट

जनवरी २१०

फरवरी २०३

मार्च १७६

अप्रैल १६२

मई १६३

जून १६२

जुलाई १५०

अगस्त ११८

सितम्बर १९७

अक्टूबर १५०

Created On :   2 Dec 2023 1:22 PM IST

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