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Chhindwara News: देशावरों में नहीं बिक रही संतरों से भरी गाडिय़ां, व्यापारी हो रहे परेशान
- मंदी की मार झेल रहा संतरा, किसानों में निराशा
- बगीचों से संतरा टूटने के बाद जैसे-तैसे चौथे-पांचवें दिन देशावरों में पहुंचाया जा रहा है।
- व्यापारियों को संतरा तो दूर पैकिंग के खर्च भी हाथ नहीं लग रहा है।
Chhindwara News: आंबिया बहार के संतरों में मंदी का दौर शुरू हो गया है। बीते चार-पांच दिनों से संतरों के बिक्री देशावरों में आंबिया बहार के संतरों की मांग अचानक घट गई है। इस कारण पांढुर्ना सहित आसपास की मंडियों से संतरों का लदान प्रभावित होने लगा हैं। हालांकि नवरात्र की शुरूआत में बड़ी आशाओं के साथ पांढुर्ना में एक दर्जन से अधिक संतरा मंडियां शुरू हुई थी, अब इनमें से अधिकांश के दरवाजे बंद ही नजर आ रहे हैं।
मिली जानकरी के अनुसार नई दिल्ली की आजादपुर ओखला, कोलकाता की मछुआ, गोरखपुर की मेहवा, वाराणसी की पहाडिय़ां सहित पटना, लखनउ, कानपुर आदि मंडियों में क्षमता से दोगुना माल पहुंच रहा है।
बीते तीन दिनों से नईदिल्ली में 50 प्रतिशत से अधिक संतरा बिक्री नहीं होकर बैलेंस हो रहा है। जिसके कारण परेशानियां बढ़ गई है। अक्टूबर-नवंबर महीने में उत्पादित होने वाले आंबिया बहार के संतरों की सेल्फ लाइफ (टूटने के बाद उपयोग में आने तक का समय) बहुत कम अर्थात् पांच-छह दिन ही रहती है।
बगीचों से संतरा टूटने के बाद जैसे-तैसे चौथे-पांचवें दिन देशावरों में पहुंचाया जा रहा है। बीते पखवाड़े तक बारिश होने के कारण देशावरों में संतरें के रॉटन (सडऩें) की शिकायतें मिल रही है। इस कारण अब पैकार भी आंबिया बहार के संतरा खरीदकर बेचने में विशेष रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
बांग्लादेश ने बिगाड़ा समीकरण
भारतीय देशावरों में संतरों की मांग घटने के पीछे बांग्लादेश की नीति भी एक बड़ा कारण साबित हो रही है। बीते दो महीनों से बांग्लादेश के लिए नाममात्र का ही निर्यात हो पाया है। वरूड सहित संतरा उत्पादक क्षेत्रों के दो दर्जन से अधिक निर्यातकों ने अब भारतीय बाजारों में ही व्यापार शुरू कर दिया है। जिसके कारण रोजाना छह सौ से एक हजार टन संतरा पहले की तुलना में अधिक पहुंचने लगा है।
सनद् रहे कि बांग्लादेश सरकार ने पिछले दिनों इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर लगभग 90 रूपए कर दी। इस कारण अब कोई भी व्यापारी संतरा निर्यात करने के लिए तैयार नहीं है। दूसरी ओर बांग्लादेश में भी संतरा फल रॉटन होने के कारण व्यापारियों को संतरा तो दूर पैकिंग के खर्च भी हाथ नहीं लग रहा है। इस कारण उत्पादक किसान व व्यापारी परेशान हैं।
इनका कहना है
-पिछले पखवाड़े तक बारिश के कारण संतरा तोडऩे के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां नहीं थी। अब संतरा तोडऩे के लिए अच्छा मौसम है। निर्यात को लेकर उच्च स्तर पर ही निर्णय होंगे। फसल अधिक होने के कारण भी कुछ समय के लिए मंदी आती है।
-सिद्धार्थ दुपारे, वरिष्ठ उद्यान विस्तार अधिकारी, पांढुर्ना
Created On :   10 Oct 2024 3:02 PM IST