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Chhindwara News: पोषण ट्रक पर एक दर्जन काम, दो साल में मोबाइल ने तोड़े दम, रिचार्ज तक का पैसा नहीं मिल रहा कार्यकर्ताओं को
![पोषण ट्रक पर एक दर्जन काम, दो साल में मोबाइल ने तोड़े दम, रिचार्ज तक का पैसा नहीं मिल रहा कार्यकर्ताओं को पोषण ट्रक पर एक दर्जन काम, दो साल में मोबाइल ने तोड़े दम, रिचार्ज तक का पैसा नहीं मिल रहा कार्यकर्ताओं को](https://www.bhaskarhindi.com/h-upload/2025/02/01/1399454-500x300825682-500x300824545-capture.webp)
- पोषण ट्रक पर एक दर्जन काम, दो साल में मोबाइल ने तोड़े दम
- रिचार्ज तक का पैसा नहीं मिल रहा कार्यकर्ताओं को
Chhindwara News: आंगनबाडिय़ों की व्यवस्था बदलने सरकार ने दो साल पहले कार्यकर्ताओं को मोबाइल दिए थे, लेकिन चंद सालों में ही ये मोबाइल दम तोड़ चुके हैं। अब एक दर्जन काम आज भी मोबाइल ट्रेक के भरोसे किया जा रहा है। स्थिति ये हैं कि ५जी के दौर में दिए गए ३जी मोबाइल काम ही नहीं कर रहे। कार्यकर्ताओं पर प्रेशर इतना है कि सुबह ९ बजे से लेकर ३ बजे तक की तमाम गतिविधियोंंं की उनसे एक-एक रिपोर्ट तलब की जा रही है, लेकिन मोबाइल रिचार्ज के नाम पर उन्हें एक रुपया नहीं दिया जा रहा।
महिला एवं बाल विकास विभाग की लाड़ली बहना पर बड़ा खर्च कर रही सरकार ने विभाग की बाकी व्यवस्थाओं को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। हालात बद से बदतर है कार्यकर्ताओं का काम तीन गुना बढ़ गया है, लेकिन इनको मिलने वाली सुविधाएं आधी भी नहीं रह गई। कार्यकर्ताओं को हाईटेक करने के लिए दो साल पहले जो मोबाइल बांटे गए थे वो अब बंद पड़ गए हैं। कार्यकर्ताएं विरोध कर रही है। शिकायत विभागीय कमिश्नर तक हो गई, लेकिन हालातों मेें कोई सुधार नहीं हो पाया। कार्यकर्ताओं की इस बड़ी समस्या को लेकर हमने प्रभारी जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी मोनिका बिसेन से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
क्या काम हो रहा पोषण ट्रेक...
- कार्यकर्ताओं को सुबह ९ बजे से पोषण ट्रेक पर काम करना है। इनमें सबसे पहले उनकी लोकेशन के साथ ही आंगनबाड़ी आने वाले बच्चों की फोटो अपलोड करनी है।
- इसके बाद बच्चों को आंगनबाडिय़ों में पोषण आहार के रूप में मिलने वाले नास्ते और भोजन की फोटो भी अपलोड करनी पड़ती है। इसके अलावा शैक्षणिक गतिविधियों की भी जानकारी अपलोड करनी है।
- कार्यकर्ताओं को होम विजिट कर ये बताना पढ़ता है कि उन्होंने कितनी गर्भवती महिलाओं के घर जाकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी हासिल की। मासिक बैठक का डेटा भी पोषण ट्रेक में डालना पड़ता है।
-लाडली लक्ष्मी योजना के तहत होने वाली एंट्री और बच्चों के टीकाकरण की तमाम जानकारी पोषण ट्रेक पर अपलोड करना पड़ता है।
क्या आ रही समस्याएं
- वर्तमान में ५जी मोबाइल प्रचलन में हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं को थ्रीजी मोबाइल दिए गए। जिससे सर्वर की समस्या सामने आ रही है।
- ग्रामीण इलाकों खासकर आदिवासी अंचलों में सर्वर ही काम नहीं कर रहा। कार्यकर्ताओं को पहाडिय़ों में चढक़र जानकारी अपलोड करनी पड़ती है।
- विभाग द्वारा दर्जन भर जानकारी रोजाना मांगी जाती है, लेकिन मोबाइल ऐसा दिया ही नहीं गया है कि इतनी जानकारी इसमें फीड हो सकें।
- सबसे अहम् बात तो ये हैं कि सालों से रिचार्ज का पैसा कार्यकर्ताओं को नहीं दिया गया। जो वेतन मिल रहा है उसी से कार्यकर्ताएं मोबाइल खर्चा भी चला रही है।
वर्तमान स्थिति
-जिले में तीन हजार आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी का संचालन किया जाता है।
- इन आंगनबाडिय़ों में तीन हजार कार्यकर्ताएं और सहायिकाएं पदस्थ है।
इनका कहना है...
- विभाग द्वारा जो मोबाइल दिए गए थे वो किसी काम के नहीं बचे हैं। रिचार्ज का पैसा भी नहीं दिया जा रहा। हमने इस मामले में विभागीय कमिश्नर से भी शिकायत की है।
सविता ठाकुर
अध्यक्ष, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ
Created On :   1 Feb 2025 3:56 PM IST