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Bhandara News: 25 वर्षों से गोसीखुर्द के प्रकल्पग्रस्तों को पुनर्वास की प्रतीक्षा
- जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अटकी प्रक्रिया
- अनेक समस्याओं का सामना कर रहे नागरिक
Bhandara News गोसीखुर्द राष्ट्रीय प्रकल्पग्रस्त खापरी (रेहपाडे) गांव के नागरिक करीब 25 वर्षों से पुनर्वास की प्रतीक्षा में है। गांव के कई मकान की स्थिति जर्जर अवस्था में है। नागरिकों को जान हथेली पर रखकर जीवनयापन करना पड़ रहा है।
जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण पुनर्वास की प्रक्रिया रूक गई है। नागरिकों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खापरी गांव परिसर के नागपुर एवं भंडारा जिले के गांव का पुनर्वास होने के कारण अंतिम छोर पर बसे एक ही गांव के पुनर्वास की प्रक्रिया लंबित है। उमरेड़- पवनी- करांडला अभयारण्य के कारण खेती भी बंजर हो गई है। मजदूरी या व्यवसाय बंद हो गए हैं।
अभयारण्य प्रबंधन के द्वारा गायडोंगरी, कवडसी, पाहुणगांव के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू हुई है। किंतु गोसीखुर्द प्रकल्पग्रस्त खापरी गांव के पुनर्वास की प्रक्रिया विगत 20 से 29 वर्ष से लंबित है। इस संदर्भ अब तक अनेक जनप्रतिनिधि एवं शिष्टमंडल को ज्ञापन दिए गए। किंतु अब तक इस गांव के पुनर्वास के लिए भूमि मंजूर नहीं की गई है। कच्चेखणी ग्राम की जगह निश्चित की गई। किंतु इस संदर्भ की कार्रवाई अब तक शुरू नहीं की गई।
पुनर्वास की राह में रोड़ा बनी मुआवजे की बढ़ी हुई राशि : शुरुआत में इस कच्चेखणी के किसानों ने जमीन देने के लिए मंजूरी दी। इस दौरान की अवधि में परिवारों की संख्या भी बढ़ी। इसलिए शासन ने भूखंड बढ़ाने का भी आदेश दिया गया। फिर भी हाल ही में हुई सभा में कच्चेखणी ग्राम के किसानों ने प्रति एकड़ 40 लाख रुपए की मांग की। जिसके कारण फिर से पुनर्वास के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर समस्या निर्माण हुई है।
Created On :   4 Jan 2025 3:58 PM IST