सतना: मूर्ति चोरी के बाद मंदिर में तोडफ़ोड़ का खुलासा, सगे भाई पकड़ाए
- 22 दिन से ग्रामीणों के साथ पुलिस की नाक में कर रखा था दम
- पूछताछ के पश्चात दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में सेंट्रल जेल भेजा गया है।
- सख्ती परखते हुए दोनों भाइयों से सवाल-जवाब किए गए तो उन्होंने जुर्म कबूल कर लिया।
डिजिटल डेस्क,सतना। रामपुर बाघेलान थाना क्षेत्र के बछरा गांव स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में मूर्ति चोरी और तोडफ़ोड़ की वारदातों का खुलासा कर पुलिस ने सगे भाइयों को पकड़ लिया है। टीआई उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि गांव से लगे तालाब की मेड़ पर प्राचीन लक्ष्मी-नारायण मंदिर स्थित है, जिसमें राकेश सिंह तिवारी 45 वर्ष, निवासी पाल, पुजारी के तौर पर नियुक्त हैं।
पहली वारदात
बीते 6 मई की रात को अज्ञात बदमाशों ने मंदिर का ताला तोडक़र भगवान रामलला की अष्टधातु की मूर्ति, लड्डू-गोपाल की पीतल की मूर्ति समेत पूजा-अर्चना का सामान चोरी कर लिया था, जिसकी शिकायत पर धारा 457, 380 के तहत कायमी कर जांच प्रारंभ की गई।
इसी बीच 15 मई की रात को चोर मूर्तियों समेत चोरी की गई सामग्री एक बोरी में भरकर मंदिर के पास छोड़ गए, जिन्हें बरामद कर भौतिक साक्ष्य जुटाए गए और चोरों की तलाश तेज कर दी गई।
दूसरी वारदात
मूर्ति वापसी की अगली रात अज्ञात लोगों ने एक बार फिर ताला काटकर मंदिर में रखी मूर्तियों को खंडित कर दिया। इस बार भी पुजारी ने रिपोर्ट की, तो धारा 457, 427 और 295 का प्रकरण दर्ज कर फॉरेंसिक और साइबर टीम के अलावा डॉग स्क्वॉड को बुलाकर साक्ष्य जुटाए गए।
पुजारी और ग्रामीणों से पूछताछ के बाद आधा दर्जन संदेहियों को हिरासत में लिया गया, जिनकी गतिविधियों को बारीकी से खंगालने पर पाल गांव निवासी राहुल पुत्र चंद्रमणि साकेत 19 वर्ष और उसके बड़े भाई अतुल साकेत 21 वर्ष, की मुख्य भूमिका सामने आ गई। ऐसे में जब सख्ती परखते हुए दोनों भाइयों से सवाल-जवाब किए गए तो उन्होंने जुर्म कबूल कर लिया।
नहीं चली चाय की दुकान, तब की चोरी
दोनों आरोपी राहुल और अतुल राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे चाय की दुकान चलाते थे, मगर बिक्री ज्यादा नहीं होती थी, जिससे खर्च निकालना मुश्किल हो गया था। तब जल्द से जल्द ज्यादा पैसे कमाने के लिए तालाब की मेड़ पर बने पुराने मंदिर की मूर्तियों की चोरी का प्लान बनाया और 6 मई को ताला तोडक़र वारदात को अंजाम दे दिया, लेकिन पुलिस के डर से मूर्तियां बेच नहीं पाए और बचने के लिए 9 दिन बाद मूर्ति समेत पूजन सामग्री मंदिर के पास छोड़ आए।
इसके बाद भी पुलिस की सक्रियता कम नहीं हुई तो ध्यान भटकाने के लिए 16 मई की रात को मंदिर में घुसकर तोडफ़ोड़ कर दी। पूछताछ के पश्चात दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में सेंट्रल जेल भेजा गया है।