Nagpur News: पर्यावरण के अनुकूल मनाएं ग्रीन और सुरक्षित दीपावली, दूसरों की खुशियों में भी बनें भागीदार

  • पर्यावरण के अनुकूल सजावट
  • इको फ्रेंडली पटाखों की वेराइटी
  • एक्स्ट्रा पैकेजिंग से बचें

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-24 09:27 GMT

Nagpur News : दिवाली का पर्व खुशियों और रोशनी का पर्व है। लोग अपने घरों को बड़े ही उत्साह से सजाते हैं और जश्न मनाते हैं। हालांकि पटाखों के जलाने से वायु और ध्वनि प्रदूषण भी होता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इसके लिए पर्यावरण पूरक यानि इको फ्रेंडली दिवाली मनाना बेहतर है। ग्रीन पटाखे और कम ध्वनि वाले पटाखों के साथ त्योहार को सेलिब्रेट कर सकते हैं। ग्रीन पटाखों में कम हानिकारक रसायन होते हैं। इससे त्योहार की खुशियां दोगुनी हो जाती हैं।

इको फ्रेंडली पटाखों की वेराइटी

नीरी के डॉ. जे. पांडे कहते हैं कि ग्रीन पटाखों को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-नीरी) के तकनीकी मार्गदर्शन से निर्माण किया जाता है। पटाखों के आकार में कमी, राख के उपयोग को खत्म करना, बनाने में कच्चे माल का कम उपयोग, पार्टिकुलेट मैटर, एसओ-2 और एनओ-2 के विशेष संदर्भ में उत्सर्जन को कम करने के लिए धूल दबाने वाले के रूप में एडिटिव्स का उपयोग कर इन पटाखों को बनाया जा रहा है। जब कोई पटाखा फूटता है, तो उसमें ऐसा रासायनिक सूत्र होता है कि वह पानी के अणु बनाता है, जो धूल को सोख लेता है। इसके अलावा, उनमें लिथियम, बेरियम, लेड और आर्सेनिक जैसे रसायन नहीं होते हैं। सेफ वॉटर रिलीजर (एसडब्ल्यूएस), सेफ थर्माइट क्रैकर (एसटीएआर), सेफ मिनिमल एल्युमीनियम (एसएएफएएल) पटाखे लिस्टेड हैं।

सेफ वॉटर रिलीजर : इसकी खासियत यह है कि यह धूल को दबाने और गैसीय उत्सर्जन पतला करने के लिए जल वाष्प और या हवा छोड़ता है। लेकिन पारंपरिक पटाखों के समान ध्वनि प्रदर्शन देता है। ये ग्रीन पटाखे पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर के उपयोग को खत्म करते हैं।

सेफ थर्माइट क्रैकर : इस ट्रेडमार्क वाले पटाखे पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर के साथ पार्टिकुलेट मैटर, एसओ-2 और एनओएक्स को 35-40 प्रतिशत तक कम कर देता है, जो ध्वनि की तीव्रता को कम करते हैं।

सेफ मिनिमल एल्युमीनियम : ग्रीन पटाखों के इस समूह में एल्युमीनियम का इस्तेमाल बहुत कम होता है।

पर्यावरण के अनुकूल सजावट

पारंपरिक प्लास्टिक की सजावट के बजाय दिवाली को मनाने के लिए प्राकृतिक या बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। सिंथेटिक लैंप की जगह पर्यावरण के अनुकूल पेंट या प्राकृतिक रंगों से सजे हाथ से बने मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा, रीसाइकिल किए गए कागज़ या कार्डबोर्ड से लालटेन बनाकर घरों की छतों पर लगा सकते हैं। बालकनी या बगीचे को सजाने के लिए नियमित लाइटों के बजाय सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइटों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

रंगोली के लिए प्राकृतिक रंग

रंगोली के लिए रासायनिक रंगों के बजाय, गुलाब, गेंदा और गुलदाउदी जैसे फूलों के साथ-साथ पत्तियों जैसे प्राकृतिक विकल्प चुनें। सुंदर रंगों के लिए हल्दी, कुमकुम और कॉफी पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा बचे हुए पूजा के फूलों को सुखाकर और पीसकर रंगोली की डिजाइन बनाने में उनका इस्तेमाल करें। इस तरह पर्यावरण के अनुकूल और कम से कम कचरे के साथ एक रंगीन उत्सव का आनंद ले सकते हैं।

एक्स्ट्रा पैकेजिंग से बचें

दिवाली के जश्न के लिए उपहार जरूरी हैं। उपहार को सस्टेनेबल बनाने के लिए साबुन, मोमबत्तियां या बेक्ड सामान जैसे व्यक्तिगत हैंडमेड उपहार बनाकर अपने परिजनों को दे सकते हैं। इसकी एक्स्ट्रा पैकेजिंग न होने से कचरा होने की संभावना कम हो सकती हैं। फूड क्लास, वर्कशॉप वाउचर या सैलून, स्पा वाउचर के बजाय पौधे उपहार में देने से ग्रीनरी को बढ़ावा मिलता है।

सोशल वर्क से भी जुड़ें

इको फ्रेंडली दिवाली मनाने के साथ ही आप अपने पुराने कपड़ों को किसी जरूरतमंद को दान देकर सोशल वर्क से जुड़ सकते हैं। पुराने कपड़ों के ढेर को नष्ट करने से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसके बजाय उन्हें अनाथों, विकलांग व्यक्तियों या आवारा पशुओं का समर्थन करने वाले चैरिटी और एनजीओ को दान करें। सर्दी आने वाली है, आप अपने पुराने रजाई और ऊनी कपड़े एनिमल शेल्टर को दान कर सकते हैं। यह विचार न केवल खुशी फैलाएगा, बल्कि त्योहार में जन कल्याण को भी बढ़ावा देगा।


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