कृषि विद्यापीठ के किसान और स्नातक अब दूसरे किसानों के लिए बने आदर्श

  • जो बिकेगा वही बोया जाएगा
  • यही समय की मांग
  • इनकी रही उपलब्धि

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-07 14:03 GMT

डिजिटल डेस्क, अकोला. जो बिकेगा वही बोया जाएगा यही समय की मांग है। तकनीक की सहायता तथा अपारंपारिक स्त्रोत का प्रभावी इस्तेमाल कर अधिकांश किसान लाभ की खेती कर रहे हैं। कृषि विदयापीठ व अन्य समांतर संस्था के सहयोग से विदर्भ के किसान स्वयं व्यवसायिक खेती कर अन्य राज्यों के किसानों के लिए मार्गदर्शक बन रहे हैं। अन्य लोगों को इन किसानों का परिचय देने और प्रत्येक घर में किसान संपन्न हो इस संकल्पना में डॉ पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविदयालय के उपकुलपति डॉ शरद गडाख काम कर रहे हैं। किसान ऑइडल अभियान चलाते हुए सफल किसानों के फलक विदर्भ के गडचिरोली से बुलढाणा जिले के प्रत्येक दर्शनीय स्थान पर लगाए जा रहे हैं।

इनकी रही उपलब्धि

जनवरी 2023 से आरंभ हुए इस उपक्रम में गोंदिया जिले के प्रयोगशील किसान संतोष बसंतलाल बिसेन के साथ सह निर्माण फर्टिलाइजर के माध्यम से दीप स्तंभ के रूप में परिचित है। निर्माण ग्रुप के सर्वेसर्वा व कृषि अभियांत्रिकी महाविदयालय के स्नातक इंजिनियर गणेश देशमुख ने जनवरी से फरवरी 2023 तक मामाचं वावर इस कृषि पर्यटन के अलग अंदाज में शहरी पीढ़ी को ग्रामीण जीवन दिखाया है, बुलढाणा जिले के प्रयोगशील किसान मोहन जगताप ने कृषि पाठ्यक्रम में स्नातोकोत्तर शिक्षा लेकर नौकरी न करते हुए स्वयं का उद्योग आरंभ कर अन्य लोगों को रोजगार दिया। यवतमाल के विख्यात उदयोगपति विविध राष्ट्रीय अंतरराष्ट्र पुरस्कार प्राप्त संगीता दीपक सव्वालाखे आवला की खेती कर सभी का ध्यान आकर्षण कर रहे हैं। 

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