जुर्म: पत्नी की हत्या करने वाले आरोपी डॉक्टर को आजीवन कारावास, बता रहा था खुदकुशी का मामला

  • झूठी कहानी बना अंतिम संस्कार का प्रयास
  • पत्नी को उतारा मौत के घाट
  • डॉक्टर को आजीवन कारावास

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-12 14:30 GMT

डिजिटल डेस्क, अकोला। पत्नी ने गले में फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी की है, इस तरह की झूठी कहानी बना अंतिम संस्कार का प्रयास करने वाले डॉक्टर पति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। न्यायालय में साबित होने के बाद आरोपी डॉक्टर पति को आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया है। जिला व सत्र न्यायाधीश आर. एस. तिवारी के न्यायालय ने यह फैसला दिया। आरोपी डॉ. राजेश भास्कर ठाकरे उम्र 38 साल समर्थ नगर पातूर का रहने वाला है। उसने 16 सितंबर 2020 को अपनी कार में पत्नी का शव रखा और पातूर से मूल गांव अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ चोंढी पहुंचा, यहां वह पत्नी के शव पर अंतिम संस्कार करना चाहता था, लेकिन मामला संदेहास्पद होने के कारण गांव के नागरिकों ने इस पर आपत्ति उठाई। इस पर वह वापस पातूर की दिशा में निकल पड़ा, लेकिन उसकी कार को मलसुर गांव के मोड़ पर पुलिस ने रोक दिया। शव कार में ब्लैंकेट में लपेटकर रखा था। महिला का शव पुलिस को नजर आया। उसने पुलिस को गुमराह करते हुए बताया कि उसकी पत्नी वर्षा की तबीयत खराब है, इसलिए उसे अकोला अस्पताल ले जाया जा रहा है। लेकिन पुलिस को उसकी बात पर संदेह हुआ और उन्होंने चतारी के ग्रामीण अस्पताल में कार समेत उसे पहुंया। जहां महिला को डाक्टरों ने जांच कर मृत घोषित कर दिया। उसके बाद पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट आने पर डॉ. ठाकरे के खिलाफ धारा 302, 201,498 अ, 315 के तहत उसे गिरफ्तार कर मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने पड़ताल के बाद न्यायालय में आरोपी के खिलाफ दोषारोप पत्र दाखिल किया गया।

मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने आठ गवाहों को प्रस्तुत किया। इस दौरान बचाव पक्ष ने खुदकुशी दलील दी। इस मामले में पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. सचिन गाडगे की गवाही महत्वपूर्ण रही। आरोपी की बेटी की गवाही समेत अन्य गवाहों के बयानों व सबूतों के मद्देनजर न्यायालय ने आरोपी राजेश भास्कर ठाकरे को दोषी करार देते हुए धारा 302 के अनुसार सश्रम आजीवन कारावास, 10 हजार रुपए जुर्माना, धारा 315 के अंतर्गत दोषी करार देते हुए 7 साल का कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना, धारा 201 के अंतर्गत 3 साल सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना, जुर्माना न भरने पर अतिरिक्त 1 वर्ष कारावास की सजा का फैसला सुनाया। सरकार पक्ष की ओर से अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता शाम खोटरे ने दलील प्रस्तुत की। मामले की पड़ताल तत्कालीन पुलिस उपनिरीक्षक हर्षू रत्नपारखी ने की। घटना के बाद से आरोपी जेल में ही है।

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