विवाद: शिरपुर के जैन मंदिर में दोनों पंथों के बीच जमकर हुई मारपीट, 4 लोग हुए घायल

  • पुलिस के हस्तक्षेप से स्थिति नियंत्रण में
  • दोनों समुदायों के सामंजस्य से मामला सुलझा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-28 15:52 GMT

File photo

डिजिटल डेस्क, शिरपुर जैन। संपूर्ण भारतभर में जैन समाज की काशी के रुप में प्रसिद्ध शिरपुर जैन स्थित ऐतिहासिक अंतरिक्ष पार्श्वनाथ जैन मंदिर में दो पंथों के बीच विवाद हो गया।मामूली बात पर उपजा विवाद मारपीट में तब्दील हो गया। इस दौरान तीन महिलाएं और एक व्यक्ति को मामूली चोटें आई। इस बीच पुलिस ने समय रहते हस्तक्षेप करते हुए परिस्थिति को नियंत्रित किया। मंदिर में दो पंथों के बीच विवाद का सिलसिला पिछले कुछ समय से शुरु है। इस घटना से श्रद्धालुओं में दहशत का माहौल निर्माण हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जैन मंदिर में गुरुवार को सुबह दिगंबर पंथियों की 9 से 12 बजे तक पूजा शुरु थी। इस समय श्वेतांबर संस्थान की एक महिला वहां बैठी रहीं।

दिगंबर पंथियों की पूजा शुरु रहते समय महिला से पूजा शुरु रहने के दौरान वहां बैठने का कारण पूछा जाने पर भी वहं डटी नहीं। श्वेतांबर पंथियों की पूजा शुरु थी, उसी समय दिगंबर पंथियों के कुछ भक्तगण वहां पर बैठे रहे। इस कारण पंथ के श्रद्धालुओं ने दिगंबर पंथियों के साथ विवाद किया, जो बाद में इतना बढ़ा कि बात मारपीट तक पहुंच गई। न्यायालय का निर्णय श्वेतांबर संस्था के पक्ष में आया था, लेकिन दोनों पंथियों को पूजा के लिए अलग-अलग 3-3 घंटे का समय दिए जाने के बावजूद दोनों पंथी मात्र एक-दूसरे की पूजा में आकर विवाद कर रहे हैं। यहां पर शांति व्यवस्था का प्रश्न निर्माण हुआ है। 27 जून को सुबह 11 बजे के आसपास दोनों पंथियाें में मंदिर में फिर अंतर्गत विवाद हुआ और दोनों पंथियों के अनुयायी एवं कुछ असामाजिक तत्वों ने वाद विवाद की स्थिति खड़ी कर दी। मारपीट में महिला और पुरुष मामूली रुप से घायल हो गए। इस घटना से मंदिर परिसर के साथ ही शिरपुर में तनाव की स्थिति निर्माण हो गई। इसबीच पुलिस प्रशासन ने इसकी गंभीरता को देखते हुए परिस्थिति पर नियंत्रण किया। 

दोनों समुदायों के सामंजस्य से मामला सुलझा

रामेश्वर चव्हाण, थानेदार के मुताबिक जैन मंदिर संस्थान में श्वेतांबर व दिगंबर इन दो पंथियों में मामूली बात को लेकर सुबह विवाद हुआ था। तब इन दोनों की शिकायत न लेकर दोनों पंथियों के ट्रस्टी के साथ बैठक ली गई। दोनों पंथियों को हिदायत देकर विवाद सुलझाया गया और दोनों ट्रस्टियों को आगे से ऐसा विवाद न होने देने के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ


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