अजब-गजब: भारत का इकलौता ऐसा मंदिर जहां देवी मां के दर्शन करने के लिए पुरुषों को करना पड़ता है सोलह श्रृंगार, तभी दर्शन के लिए मिलती है इजाजत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हमारे देश में अनके तीर्थ स्थल ऐसे हैं जिनके रीति-रिवाज अनोखे हैं। कई तीर्थ स्थान ऐसे हैं जहां पर महिलाओं को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं होती है। वहीं कुछ जगहों पर पुरुषों का भी जाना वर्जित है। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर केरल में स्थित है, जहां पर केवल महिलाएं और किन्नर ही जा सकते हैं। अगर पुरुषों को मंदिर के अंदर प्रवेश करना है तो उन्हें औरतों की तरह सोलह श्रृंगार करना पड़ता है। इसके बाद उन्हें मंदिर में प्रवेश करने को दिया जाता है।
सोलह श्रृंगार कर तैयार होते हैं पुरूष
केरल में हर साल चमायाविलक्कु त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को कोल्लम में स्थित कोत्तानकुलांगरा देवी मां के मंदिर में खास तरीके से मानया जाता है। इस मंदिर में केवल महिलाओं और किन्नरों को प्रवेश मिलता हैं। अगर पुरुषों को देवी मां का आशीर्वाद चाहिए तो उन्हें इस त्योहार के अखिरी दिन औरतों की तरह साड़ी पहनकर, सोलह श्रृंगार करने के बाद मंदिर में आने की अनुमति मिलती है। मंदिर के आसपास रहने वाले पुरुष इस त्योहार को बेहद ही महत्वपूर्ण मानते हैं। चमायाविलक्कु पर्व के समय भारी संख्या में किन्नर भी देवी मां का दर्शन करने आते हैं।
Each festival in India has unique traditions attached to it. But do you know about the 'Chamayavilakku' festival that takes place at Kottankulangara Sree Devi Temple in #Kerala's Kollam? (1/2)#AmritMahotsav #MyCultureMyPride #MainBharatHoon @KeralaTourism pic.twitter.com/yyBXqHabqY
— Amrit Mahotsav (@AmritMahotsav) April 11, 2023
क्यों मनाई जाती है ये प्रथा
माना जाता है कि सालों पहले कुछ चारवाहे लड़के लड़कियों की तरह तैयार होकर अपनी गायों को चराने के दौरान यहां खेला करते थे। इसके साथ ही वो वहां पर रखें पत्थर को भगवान मानकर पूजा-अर्चना किया करते थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक, एक दिन इस पत्थर से कोत्तानकुलांगरा देवी प्रकट हुई और ये खबर पूरे गांव में तेजी से फैल गई। ज्योतिष के मुताबिक, देवी के सम्मान में मंदिर बनावा गया। इस मंदिर के बारे में ये भी सुनने को मिलता है कि एक शिला पर नारियल फोड़ने पर शिला से खून बहने लगा था। इस चमत्कार को देखने के बाद लोगों ने इस शक्तिपीठ की पूजा-अर्चना करना शुरू कर दिया। लोगों का मानना है कि यहां आने वाले लोगों की मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर में केरल के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों से दर्शन के लिए आते हैं। बता दें कि भारत का यह एक इकलौता ऐसा मंदिर है जिसके गर्भगृह के ऊपर कलश या छत नहीं है। यहां के लोगों के मुताबिक मंदिर की प्रतिमा हर साल कुछ इंच तक बढती रहती है।
Created On :   27 Oct 2023 5:19 PM IST