ऐसा कस्बा जहां इंसान और तेंदुए मिल कर रहते हैं, 100 सालों से तेंदुए ने नहीं किया कोई भी हमला
डिजिटल डेस्क, भोपाल। यूं तो जानवर और इंसान सदियों से एक दूसरे के साथ खुद ही दुरी बना कर रहते हैं। मगर ऐसा हर बार जरुरी तो नहीं हो सकता। इंसानों ने कई जानवरों को पालतू बनाकर उनके साथ तो रहने का तरीका सीख लिया है। मगर जंगली जानवरों के साथ आज भी जंग जारी है। क्योंकि इंसानों ने भी जंगली जानवरों का खूब शिकार किया है। और जानवरों ने भी इंसानों को कई बार अपना निवाला बनाया है। पर हम आप को भारत में एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां जानवर और इंसान दोनों ही एक दूसरे के साथ समन्वय बनाकर रहते हैं।
राजस्थान में एक कस्बा है जिसका नाम बेरा है। इस जगह को तेंदुओं का घर भी कहा जाता है। कई रिपोर्ट्स में तो यह भी बताया गया है, कि इस कस्बे में सबसे ज्यादा तेंदुए पाए जाते हैं। बताया जाता है, कि ऑडिटी सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार बेरा कस्बे के करीब 10 गांवों में 100 तेंदुए रहते हैं। बताया जाता है, कि कई सालों से बेरा कस्बे में इंसान और तेंदुए मिल कर रहते आ रहे हैं।
इंसान और तेंदुओं के बीच सामंजस्य
इस गांव में इंसानों और तेंदुओं के बीच सामंजस्य की भावना है। इसी वजह से यहा पिछले कई सालों से तेंदुओं द्वारा हमले की कोई घटना रिपोर्ट नहीं की गई है। खबरों की माने तो कई साल पहले एक तेंदुआ छोटे बच्चे को मुंह से दबाकर उठा ले गया था मगर जंगल में जाने से पहले वो बच्चे को बाहर ही छोड़ गया और उसने बच्चे को कोई नुकसान तक नहीं पहुंचाया था।
रबारी जनजाति के लोग तेंदुओं से करते हैं प्यार
राजस्थान के बेरा कस्बे में लोगों को तेंदुओं की इतनी आदत है कि वो आसानी से घूमते दिख जाते हैं। वहां रह रहे तेंदुओं को भी इंसानों की एक आदत सी हो गई है कि वो अपनी ही मस्ती में घूमते रहते हैं। इस कस्बे में रबारी जनजाति के लोग रहते हैं। बताया जाता है कि यह चरवाहों की जनजाति थी जो इरान से अफगानिस्तान के रास्ते राजस्थान पहुंचे थे। इस जनजाति के लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि तेंदुए को कस्बे की रक्षा के लिए भगवान शिव ने भेजा है। इसलिए वो कभी उन पर किसी तरह का कोई हमला नहीं करते।
Created On :   21 May 2022 12:52 PM GMT