दुनिया की एकमात्र तैरती झील 'लोकटक' यहां है स्थित, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

Ajab-Gajab: The worlds only floating lake Loktak is located here, know about it
दुनिया की एकमात्र तैरती झील 'लोकटक' यहां है स्थित, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य
Ajab-Gajab दुनिया की एकमात्र तैरती झील 'लोकटक' यहां है स्थित, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। झील नगरी पर्यटकों को काफी पसंद होती हैं। दुनियाभर में ऐसी कई सारी झील हैं, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। लेकिन भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में स्थित लोकटक, दुनिया की एक मात्र तैरती हुई झील है। यह झील काफी अनोखी और दिलचस्प है। 

इंफाल से 53 किमी की दूरी पर स्थित यह वंडर लेक, मणिपुर की उन जगहों में से एक है जहां विदेशियों को आने की अनुमति है। और सबसे दिलचस्प बात यह है कि झील तैरते द्वीपों के लिए प्रसिद्ध है। ऊपर से देखने पर लोकटक झील द्वीपों से घिरी हुई लगती है, लेकिन वास्तव में यह द्वीप नहीं हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में...

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लोकटक झील कुल 240 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है और ऊपर से कई छोटे द्वीपों के साथ बिखरी हुई नजर आती है। दिलचस्प बात यह है कि द्वीप वास्तव में द्वीप नहीं है, बल्कि स्थानीय लोग इसे फुमदी कहते हैं, जिसका अर्थ है वनस्पति के तैरते हुए गोले का संग्रह, जो कार्बनिक पदार्थ और मिट्टी से बने होते हैं। 

इस झील में तैरती फुमदी प्राकृतिक रूप से बनती है। ये तब बनते हैं जब पानी में तैरते पत्ते कई सालों में एक साथ ढेर हो जाते हैं। हरे-भरे फुमदी का गोले बर्फ के गोलों की तरह झील की सतह के नीचे बैठते हैं, जिससे शुष्क मौसम के दौरान जीवित जड़ें झील के किनारे तक पहुँच जाती हैं। 

जब मानसून आता है, जीवित जड़ें झील के तल से पोषक तत्वों को लेती हैं और फिर से ऊपर उठती हैं। फुमदी 2 मीटर तक मोटी हो सकती हैं। तैरते हुए द्वीप पर रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए इस झील का नजारा सूरज ढलते ही मनोरम हो जाता है। मछुआरे कभी-कभी चुप्पी को भंग कर देते हैं, उनके चप्पू शांत पानी में छींटे मारते हुए आगे बढ़ते है। इस इलाके में घूमने के लिए मछुआरे अपनी कई साल पुरानी नाव का इस्तेमाल करते हैं।

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लोकटक झील कई लोगों के लिए जीवन जीने का सहारा है। मछुआरे अपनी दैनिक आय के स्रोत के लिए इस पर निर्भर हैं, जैसे सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन और पीने के पानी की आपूर्ति के लिए इस पर निर्भर हैं। यहां आपको बांस, चट्टानों, धातु की प्लेटों और छड़ों से बनी फुमदी पर बनी झोपड़ियों में रहने वाले 3000 से अधिक मछुआरों के परिवार मिल जाएंगे। 
 

Created On :   7 Sept 2021 11:31 AM IST

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