भारत के इस राज्य में मौजूद है, यह 500 साल पुरानी ममी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आप सभी ने कभी ना कभी ममियों की कहानियां सुनी होंगी, जिसमें बहुत रहस्यमयी बातें बताई जाती हैं। ममी पर बनी फिल्में हमें इसके बारे में सोचने पर मजबूर करती हैं। आप सोच रहे होंगे कि ममी को देखने के लिए आपको मिस्र जाना होगा, लेकिन अब यह जरूरी नहीं।
उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश में एक ममी है जो दुनिया भर से ध्यान आकर्षित कर रही है। दिलचस्प बात है कि यह 500 साल पुरानी है। यह संघ तेनज़िन की ममी एक बौद्ध ममी है। आइए जानते हैं इससे जुुड़े रहस्य के बारे में...
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कैसी दिखती है यह ममी?
आपने मिस्र की ममी के बारे में सुना होगा, जो आम तौर पर क्षत-विक्षत होकर आती हैं और उसे मलमल के कपड़े में लपेटा जाता है, लेकिन संघ तेनज़िन की ममी बौद्ध ममी है और यह बहुत अलग दिखती है। इस ममी को अभी भी अच्छी तरह से संरक्षित रखा गया है, आप इसकी गहरी, रूखी त्वचा, सिर पर कुछ बालों के अवशेष और पतले होंठों से उसके दांत निकलते हुए देख सकते हैं।
बौद्ध धर्म में ममीकरण की प्रक्रिया काफी अलग है जिसके बारे में शायद आपने कभी सुना होगा। भिक्षु शरीर की चर्बी बढ़ाने वाले भोजन को खाना बंद कर देते थे। वह सिर्फ मेवा, जड़, जड़ी-बूटियाँ ही खाते थे। जब उनकी मृत्यु हुई, तब तक शरीर में किसी भी प्रकार की चर्बी नहीं थी और अंग सिकुड़ चुके थे। इस वजह से शरीर विघटित नहीं हुआ और प्राकृतिक रूप संरक्षित रहेगा। ऐसे ही बनी है संघ तेनज़िन की ममी।
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1975 के भूकंप में यह ममी जमीन में समा गई थी इसके बाद में 1995 में सड़क निर्माण के समय यह वापस मिली। बताया जाता है कि भिक्षु ने अपने अनुयायियों से बिच्छू के संक्रमण के समय उसके ममीकरण करने के लिए कहा था। जब उसकी आत्मा ने शरीर छोड़ा, तो आकाश में एक इंद्रधनुष दिखाई दिया, जिससे बिच्छू गायब हो गए। कहा जाता है कि भिक्षु पास में स्थित ताबो मठ के थे। फिलहाल ममी को गयू गांव के मंदिर में प्रदर्शित किया गया है और लोगों को दर्शन के लिए अनुमती दे दी गई है।
Created On :   23 Sept 2021 4:17 PM IST