स्वच्छता में बाजी मारने वाले इंदौर की सियासत से किसकी होगी छुट्टी? कांग्रेस मारेगी बाजी या बीजेपी बरकरार रखेगी ताकत
- इंदौर के चुनावी समीकरण
- चुनावी बाजी में कौन होगा साफ ?
- बीजेपी के गढ़ में कितना कामयाब होगा कमलनाथ का जादू
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्वच्छता, खाने के स्वाद और चौपाटियों की चर्चाओं से देश विदेश में विख्यात मध्यप्रदेश का इंदौर शहर चुनावी चर्चा का भी केंद्र बना रहता है। मध्यप्रदेश में कुछ महीनों के बाद विधानसभा चुनाव होने है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत मालवा रीजन से ही की थी। और किसान गोलीकांड से मालवा का चुनावी मिजाज बदल गया। और ये इलाका बीजेपी के हाथों से फिसलकर कांग्रेस के हाथों में आया। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कुल 66 विधानसभा सीट है। इनमें से 9 विधानसभा सीट इंदौर में आती है। जिनमें देपालपुर, इंदौर-1, इंदौर-2, इंदौर-3, इंदौर-4, इंदौर-5, राऊ, महू और सांवेर विधानसभा सीट शामिल है। इंदौर शहर पूरी मालवा रीजन की राजनीति को तय करता है। इंदौर की सीटों पर प्रमुख रूप से बीजेपी और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है। यहां की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी की जीत होती आई है। लेकिन पिछले चुनाव के नतीजे किसान गोलीकांड और किसान कर्ज के कारण बदले बदले नजर आए। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी, हालांकि कांग्रेस मेयर का चुनाव हार गई थी। राजनीतिक गलियारों में एक ही सवाल गूंज रहा है कि क्या इस बार कांग्रेस अपने इस गढ़ को हासिल करने में कामयाब होगी या फिर बीजेपी अपनी बढ़त बनाने में सक्सेस होंगी।
2018 के विधानसभा नतीजों की बात की जाए तो देपालपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विशाल जदगीश पटेल, इंदौर 1 में कांग्रेस के संजय शुक्ला, इंदौर 2 में भाजपा के रमेश मेंदोला, इंदौर 3 में भाजपा के आकाश विजयवर्गीय, इंदौर 4 से बीजेपी की मालिनी गौड़, इंदौर 5 में बीजेपी के महेंद्र हार्डिया, महू में बीजेपी की उषा ठाकुर, राऊ में कांग्रेस से जीतू पटवारी, सांवेर से कांग्रेस के तुलसी सिलावट ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2020 में सांवेर में हुए उप चुनाव में भाजपा के हरदीप सिंह डंग विजयी हुए।
विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक विशाल जगदीश पटेल हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के मनोज निर्भयसिंह पटेल विधायक बने थे। वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल ने बीजेपी के मनोज पटेल को हराया।
इंदौर- 1 से वर्तमान विधायक कांग्रेस के संजय शुक्ला हैं। उन्होंने बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता को हराया था। वहीं 2013 में बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता ने निर्दलीय उम्मीदवार कमलेश खंडेलवाल को हराया था। जबकि 2008 में बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता ने कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला को मात दी थी।
पिछले तीन दशक से इंदौर- 2 विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा है। बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय 3 बार विधायक रह चुके हैं। 2018 में बीजेपी के रमेश मेंदोला ने कांग्रेस प्रत्याशी मोहन सिंह सेंगर को पराजित किया था। 2013 में रमेश मंदेला ने कांग्रेस प्रत्याशी छोटू शुक्ला को हराया। वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में भी रमेश मंदोला विधायक बने थे। कांग्रेस इस सीट पर काफी एक्टिव नजर आ रही है। उसके कार्यकर्ता पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा सक्रिय हैं
2018 में इंदौर विधानसभा 3 सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस प्रत्याशी अश्विन जोशी को हराया। जबकि 2013 के चुनाव में बीजेपी की ऊषा ठाकुर ने अश्विन जोशी को हराया था। जबकि 2008 के चुनावी नतीजों में कांग्रेस प्रत्याशी अश्विन जोशी ने बीजेपी के गोपीकृष्ण नेमा को हराया था।
इंदौर विधानसभा सीट 4 से 2018 में बीजेपी की मालिनी गौड़ ने कांग्रेस प्रत्याशी सुजीत सिंह चड्डा को हराया था, जबकि 2013 में मालिनी ने कांग्रेस के सुरेश मिंडा को हराया था। वहीं 2008 में मालिनी ने कांग्रेस के गोविंद मंगानी गोप को मात दी थी। महापौर पुष्यमित्र भार्गव का चार नंबर विधानसभा क्षेत्र में निवास करते है। इसलिए इस विधानसभा सीट पर उनकी नजरें टिकी हुई है। जबकि तीस साल से इस सीट पर गौड़ परिवार का वर्चस्व बना हुआ है। महापौर भार्गव की इलाके में बढ़ती सक्रयिता अपनी पत्नी जूही भार्गव को चुनाव लड़ाने की ओर इशारा कर रही है। इसकी वजह से भार्गव और गौड़ के बीच कड़वाहट समय समय नजर भी आती रही। इसे इस बात से समझ सकते है कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव के द्वारा समय समय पर आयोजित प्रोग्राम पतंग उत्सव, भगौरिया हाट और प्रदेश की सबसे बड़ी पोहा पार्टी की, जिसमें पार्टी के तमाम नेता मौजूद रहे, लेकिन गौड़ परिवार ने इन आयोजनों से दूरी बनाई थी। दोनों नेताओं की आपसी टकराहट में ये सीट बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है।
इंदौर- 5 विधानसभा सीट पर 2003 से लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है। 2003, 2008, 2013, 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के महेंद्र हार्डिया जीतते आ रहे है। आधुनिक इंदौर से फेमस इंदौर 5 प्रदेश की सबसे अधिक वोटरों वाली विधानसभा सीट है। इसे मॉल का शहर भी कहा जाता है। लेकिनस अवैध कॉलोनियां का मुद्दा भी यहां सबसे अधिक चर्चा का विषय बनता है। यहां के नतीजे भले ही बीजेपी के पक्ष में आते रहे है। लेकिन जीत का अंतर सांसे अटकाने वाला होता है।
2018 विधानसभा चुनाव में डॉ अंबेडकरनगर महू विधानसभा सीट पर बीजेपी की उषा ठाकुर की जीत हुई थी। इस सीट पर पिछले चुनावों से बीजेपी जीतती आ रही है।
राऊ विधानसभा सीट पर 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव से कांग्रेस का कब्जा है। राऊ से काग्रेस के युवा नेता जीतू पटवारी दो बार से विधायक है। 2018 में कांग्रेस के जीतू पटवारी ने बीजेपी की मधु वर्मा को पटकनी दी थी। जबकि 2013 के चुनाव में कांग्रेस के जीतू पटवारी ने भाजपा के जीतू जिराजी को पराजय किया था।
सिंधिया के साथ सांवेर से कांग्रेस विधायक तुलसी सिलावट ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। बाद में सांवेर में उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा के हरदीप सिंह डंग ने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डु को हराया था। इस सीट पर 2018 में कांग्रेस का कब्जा था, बाद में पाले बदलने के कारण हुए उपचुनाव में बीजेपी ने पैर जमा लिए। इससे पहले 2013 के चुनावी नतीजों में सांवेर विधानसभा सीट से बीजेपी के राजेश सोनकर ने कांग्रेस के तुलसीराम सिलावट को हराया था। जबकि 2008 में कांग्रेस के तुलसीराम सिलावट ने बीजेपी की निशा प्रकाश सोनकर को हराया था। सिलावट अब बीजेपी में है। सांवेर सीट का चुनावी मौसम बदलता रहता है।
Created On :   13 Jun 2023 8:14 PM IST