आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बाद भी रूस की परमाणु एजेंसी को अरबों का भुगतान कर रहा है अमेरिका, जानिए वजह

आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बाद भी रूस की परमाणु एजेंसी को अरबों का भुगतान कर रहा है अमेरिका, जानिए वजह
  • रूस -यूक्रेन जंग
  • यूक्रेन का समर्थन, रूस का विरोध
  • अमेरिका की मजबूरी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस -यूक्रेन जंग को एक साल से अधिक समय हो गया है। युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में कई देश यूरोप के साथ है, दो कई रूस के साथ। यूक्रेन का समर्थन करने वाले सबसे प्रमुख देश अमेरिका ने रूस के प्रति अपना गुस्सा जाहिर करते हुए रूस से जीवाश्म ईधन का आयात बंद कर दिया था। साथ ही रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिए थे। लेकिन अब एक चौंकाने वाले रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि अमेरिका रूस की एक परमाणु एजेंसी से हर साल करीब 1 अरब डॉलर का यूरेनियम ईधन खरीद रहा है। जानकारों की माने तो अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों को यूरेनियम पर आत्मनिर्भर होने के लिए एक साल से अधिक का समय लग सकता है। तब यूरोपीय देशों को रूस पर निर्भर रहना होगा। आपको बता दें अमेरिका और यूरोपीय देश ही नहीं, दुनिया के दर्जनभर से अधिक देश आधे से अधिक ऊर्जा कंपनियों के संचालन के लिए यूरेनियम के लिए रूस पर निर्भर हैं। आप जानकार हैरान रह जाएंगे की यूक्रेन में जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कमान भी रूस की परमाणु एजेंसी संभालती है।

अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक अमेरिका में कोई भी कंपनी यूरेनियम का उत्पादन नहीं करती है। जिसके कारण अमेरिका की परमाणु ऊर्जा पर निभर्रता पहले से और अधिक बढ़ गई है। इसलिए अमेरिका को मजबूरी में रूस के साथ सौदा करना पड़ रहा है।

आपको बता दें अमेरिका ने यूरेनियम का संवर्धन और प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद कर रखा है। अमेरिका ने इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब अमेरिका को यूरेनियम के लिए रूस के साथ सौदा करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि अगरअमेरिका यह सौदा नहीं करता तो वह मुश्किल में पड़ जाता।

अमेरिका में उपयोग किए जाने वाले यूरेनियम का लगभग एक तिहाई अब दुनिया के सबसे सस्ते उत्पादक रूस से आयात किया जाता है। जिसका भुगतान रोसाटॉम की सहायक कंपनियों को किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में संचालित ब्रिटिश-डच-जर्मन कंसोर्टियम द्वारा भी तैयार किया जाता है। कुछ यूरोप से खरीदा जाता है। ओहियो प्लांट का संचालन करने वाली कंपनी का मानना है कि रोसाटॉम को टक्कर देने में उसे एक दशक से अधिक का वक्त लगेगा।

Created On :   17 Jun 2023 4:26 PM IST

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