महाराष्ट्र: वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर का बड़ा बयान, मंदिर में हिंदू वर्कफोर्स और ओम सर्टिफिकेशन की उठाई मांग

वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर  का बड़ा बयान, मंदिर में हिंदू वर्कफोर्स और ओम सर्टिफिकेशन की उठाई मांग
  • रंजीत सावरकर ने दिया बड़ा बयान
  • मंदिर में हिंदू वर्कफोर्स गठित करने की उठाई मांग
  • महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट परिषद की बैठक में कही थी ये बात

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के अध्यक्ष और वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एक 'हिंदू वर्कफोर्स' को तैयार करने की जरूरत है। इसके तहत मंदिरों में केवल हिंदुओं को नियुक्त किया जाएगा। बता दें, इससे पहले रंजीत सावरकर ने रविवार (22 दिसंबर 2024) को शिरडी में आयोजित महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट परिषद की बैठक में कहा था, "आज, 'हलाल सर्टिफिकेशन' के जरिए धार्मिक प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसके जवाब में, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक ने 'ओम सर्टिफिकेशन' की शुरुआत की थी। यह सर्टिफिकेशन मंदिरों में या उसके आसपास काम करने वाले हिंदू व्यापारियों के लिए ज़रूरी है।"

बैठक में हुई अहम चर्चा

हाल ही में शुरू हुई पहल पर रंजीत सावरकर ने कहा था, "यह सुनिश्चित करने के लिए कि मंदिरों में केवल हिंदू कर्मचारी हों, हम जल्द ही एक 'हिंदू कार्यबल' बनाएंगे, जहां केवल हिंदुओं को ही काम पर रखा जाएगा।"

यह बैठक महाराष्ट्र के शिरडी के नीमगांव स्थित श्री साईं पालकी निवार में आयोजित हुई थी। इस बैठख में महाराष्ट्र से 875 आमंत्रित मंदिर ट्रस्टियों, प्रतिनिधियों, पुजारियों, मंदिर संरक्षण के लिए लड़ने वाले वकीलों और मंदिर विद्वानों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान 108 मंदिरों में हिंदू धर्म और संस्कृति के बारे में सूचित करने वाले बोर्ड लगाने, 100 से अधिक मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने और मंदिरों में बच्चों के लिए सांस्कृतिक शिक्षा कक्षाएं शुरू करने जैसी पहलों पर चर्चा की गई।

महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक सुनील घनवट ने कही ये बात

इसके अलावा बैठक में मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करते हुए मंदिर के ट्रस्टियों और प्रतिनिधियों की ओर से 'जहां मंदिर है, वहां आरती' का संकल्प लिया गया। बैठक में शामिल होने पहुंचे मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक सुनील घनवट ने कहा, "जो लोग हिंदू देवी-देवताओं में विश्वास नहीं रखते, वे मंदिर परिसर में दुकानें लगाते हैं और प्रसाद, फूल बेचते हैं। इसके अलावा, वे सामानों पर थूकने जैसी प्रथाओं में लिप्त रहते हैं, जिसे 'थूक जिहाद' कहा जाता है। अब से, गांव के मेलों या त्योहारों के दौरान, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अन्य धर्मों की दुकानों को अनुमति न दी जाए।"

Created On :   28 Dec 2024 1:40 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story