भारत बना स्टार्टअप राष्ट्र: दुनिया के लिए मिसाल बना भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम - पवन नंदा

दुनिया के लिए मिसाल बना भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम - पवन नंदा
  • भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेज़ी से बढ़ा 2014 में 400 स्टार्टअप से बढ़कर 2024 में 1,57,000+ स्टार्टअप हो गए।
  • स्टार्टअप्स ने 1.7 मिलियन से अधिक नौकरियां पैदा कीं।
  • AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत के स्टार्टअप्स नई ऊंचाइयां छूने को तैयार।

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। आर्थिक प्रतिस्पर्धा और सतत विकास आज की वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के प्रमुख लक्ष्य हैं। खासकर वैश्विक वित्तीय संकट के बाद, स्टार्टअप्स ने आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई है। भारत ने भी एक मजबूत स्टार्टअप सिस्टम तैयार कर अपनी विकास यात्रा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

स्टार्टअप इंडिया: 9 साल की बड़ी छलांग

स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के 9 साल पूरे होने के बाद, भारत में 1,57,000 से अधिक स्टार्टअप्स हैं, जबकि 2014 में यह संख्या सिर्फ 400 थी। ये स्टार्टअप्स 17 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं। खास बात यह है कि हर दूसरा स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों से उभर रहा है।

स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग भी 2016 में 8 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 155 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। इसी दौरान, भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की संख्या 8 से बढ़कर 118 हो गई। डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत के 31,000 से ज्यादा टेक स्टार्टअप्स इस सफलता की गवाही दे रहे हैं। इस जबरदस्त ग्रोथ के साथ, भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है।

पहली लहर (2016-2019): स्टार्टअप क्रांति की शुरुआत

2016 में स्टार्टअप इंडिया पहल की शुरुआत हुई, जिसने उद्यमिता को बढ़ावा देने और स्टार्टअप शुरू करने की बाधाओं को कम करने पर ध्यान दिया। सरकार ने कर छूट, फंडिंग सपोर्ट और उद्योग-अकादमिक भागीदारी जैसी योजनाओं के जरिए एक अनुकूल माहौल तैयार किया।

इसके अलावा, अटल इनोवेशन मिशन, JAM ट्रिनिटी (जन धन, आधार, मोबाइल) और UPI जैसी डिजिटल सुविधाओं ने टेक्नोलॉजी को आम लोगों तक पहुंचाया, जिससे डिजिटल भुगतान में क्रांतिकारी बदलाव आया। सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए 'फंड ऑफ फंड' जैसी योजनाएं भी शुरू कीं, जिससे नए उद्यमों को वित्तीय सहायता मिली।

दूसरी लहर (2020-2023): डिजिटल अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार

कोविड-19 के बाद, भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में बड़ा बदलाव आया। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत, ओपन API और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) ने नए बिजनेस मॉडल के विकास को आसान बनाया।

परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग समेत विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया। इस दौर में भारत वेंचर कैपिटल फंडिंग का केंद्र बना और ग्लोबल वैल्यू चेन (GVC) में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा।

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) ने नई कंपनियों को वित्तीय सहायता दी, जिससे ऑनलाइन गेमिंग सहित कई सेक्टर्स में जबरदस्त विकास हुआ। 2021 में, नाज़ारा टेक भारत की पहली गेमिंग कंपनी बनी, जिसने IPO पेश कर इस क्षेत्र के अन्य उद्यमियों को प्रेरित किया।

तीसरी लहर (2024 और आगे): स्टार्टअप्स का वैश्विक विस्तार

2024 से, भारत स्टार्टअप सुधारों की तीसरी लहर में प्रवेश कर चुका है। स्टार्टअप्स अब वैश्विक बाजारों में कदम रख रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं।

एंजल टैक्स को हटाना, क्वांटम कंप्यूटिंग, AI, सेमीकंडक्टर्स और R&D फंड पर नए मिशन शुरू करना भारत की भविष्य की योजनाओं को दर्शाता है। भारतीय स्टार्टअप्स को अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए और अधिक नवाचार और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों को अपनाने की जरूरत होगी।

भारत ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में अपनी जगह दुनिया के टॉप 3 देशों में बना ली है। आने वाले वर्षों में, स्टार्टअप्स भारत की आर्थिक प्रगति में और महत्वपूर्ण योगदान देंगे। अभी के लिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत एक स्टार्टअप राष्ट्र के रूप में दुनिया के लिए एक प्रेरणादायक केस स्टडी बन चुका है।

Created On :   30 Jan 2025 11:07 PM IST

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