MP Election 2023: क्या सत्ता पाने की राह में बीजेपी और कांग्रेस के बागी बढ़ाएंगे अपनी ही पार्टी की टेंशन? जानिए किस विधानसभा क्षेत्र से बागी देंगे अपनी ही पार्टी को चुनौती

क्या सत्ता पाने की राह में बीजेपी और कांग्रेस के बागी बढ़ाएंगे अपनी ही पार्टी की टेंशन? जानिए किस विधानसभा क्षेत्र से बागी देंगे अपनी ही पार्टी को चुनौती
बीजेपी और कांग्रेस के बागी बढ़ाएंगे अपनी ही पार्टी की टेंशन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में अब 9 दिन ही शेष रह गए हैं। ऐसे में प्रदेश की दो सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस के कई शीर्ष नेता प्रदेश में चुनावी रैली और सभाएं करने में लगे हुए हैं। हालांकि, इन सभी के बीच बीजेपी और कांग्रेस में बगावत की लहर भी जारी है। हाल ही राज्य की सभी विधानसभा सीट के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। जिसमें पार्टी के कई मौजूदा विधायक और नेताओं के टिकट कटने से पार्टियों में बगावत का सिलसिला शुरू हो गया था। कांग्रेस की बात करें तो हाल ही में बगावत की आग प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ के तक जा पहुंची थी। वहीं, दूसरी ओर बीजेपी में भी कई विधायक और नेताओं के बीच नाराजगी और बगावत जैसे दृश्य भी सामने आए हैं। हालांकि, अपने बागियों को मनाने के लिए इन दोनों ही पार्टियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां कुछ बागी ने पार्टी के फैसले को स्वीकार कर लिया है तो वहीं इन पार्टियों से कई बड़े चेहरे ऐसे भी हैं, जिनके बगावती तेवर ठंडे होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। बता दें कि, बगावत करने की सूची में प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के कई सांसद, विधायक और पूर्व मंत्री शामिल हैं।

पार्टी सूत्रों की मानें तो ये बागी अपनी-अपनी पार्टी के सत्ता पाने की राह में कांटे बन सकते हैं। क्योंकि, उन्होंने प्रदेश की 36 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर बगावत कर दी है। जो भाजपा और कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी है।

भाजपा के बागी-

दिमनी सीट पर बगावत

भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री रूस्तम सिहं ने अपने बेटे राकेश सिंह के टिकट ना मिलने पर बगावत कर दी हैं। भाजपा से टिकट ना मिलने के बाद राकेश बसपा पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरेंगे। ऐसे में मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के सामने रूस्तम सिंह के बगावती तेवर, भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। बता दें, कई दिनों तक रूस्तम सिंह भाजपा से अपने बेटे राकेश को टिकट दिलाने के प्रयास में जुटे थें। लेकिन पार्टी की ओर से टिकट ना मिलने के बाद राकेश ने बसपा का दामन थामकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

बुरहानपुर सीट पर बगावत

भाजपा से बुरहानपुर सीट पर टिकट ना मिलने से नाराज बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन चौहान निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा है कि हर्षवर्धन के इस फैसले से भाजपा को काफी दिक्कतें हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुरहानपुर सीट भाजपा के हाईप्रोफाइल सीट में से एक रही है। बीजेपी ने इस सीट से 2018 में चुनाव हारी अर्चना चिटनिस को एक बार फिर से टिकट दिया है। वहीं, इस सीट पर कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह शेरा को अपना प्रत्याशी बनाया है। माना जा रहा है कि हर्षवर्धन सिंह का बुरहानपुर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ना, भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनिस के सामने एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

निवाड़ी सीट पर बगावत

भाजपा से कैबिनेट मंत्री नंदराम कुशवाहा ने निवाड़ी विधानसभा सीट के लिए बगावत कर दी है। वह यह चुनाव निर्दलीय लड़ने जा रहे हैं। भाजपा ने निवाड़ी सीट से मौजूदा विधायक और प्रत्याशी अनिल जैन को चुनावी मैदान में उतारा है। बता दें कि, पृथ्वीपुर उपचुनाव के वक्त नंदराम कुशवाहा बसपा से भाजपा में आए थें। ऐसे में नंदराम कुशवाहा का निर्दलीय चुनाव भाजपा के लिए चुनावी अड़चने डालने के काम कर रही है।

बड़वारा सीट पर बगावत

भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री मोती कश्यप ने कटनी जिले की बड़वारा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह सीट जातीय समीकरण के लिहाज से काफी ज्यादा मायने रखती है। कारण है मोती कश्यप का मांझी समाज से होना। वहीं, इस क्षेत्र में मांझी समाज के लगभग 35 हजार से ज्यादा वोटर मौजूद है। ऐसे में मोती कश्यप का निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

सीधी सीट पर बगावत

भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला का सीधी विधानसभा सीट से टिकट कटने के बाद वह निर्दलीय चुनाव लडेंगे। उनकी जगह पर भाजपा ने इस सीट से सीधी सांसद रीति पाठक को प्रत्याशी बनाया है। केदरानाथ का चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरने से भाजपा को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

भिंड सीट पर बगावत

बसपा से भाजपा में आए नेता संजीव कुशवाह को पार्टी की ओर से भिंड सीट से टिकट नहीं दिया गया है। जिसके बाद वह एक बार फिर से अपनी पुरानी पार्टी बसपा में शामिल हो गए हैं। गौरतलब है कि 2018 का विधानसभा चुनाव संजीव कुशवाह ने बसपा के टिकट पर भिंड सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, कुछ समय बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बार भाजपा से टिकट न मिलने पर वह एक बार फिर बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं।

टीकमगढ़ सीट पर बगावत

भाजपा के पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव को टिकट ना मिलने के बाद वह निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यहां से भाजपा ने मौजूदा विधायक और प्रत्याशी अनिल जैन को टिकट दिया है। ऐसे में पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव के निर्दलीय लड़ने से भाजपा के वर्तमान विधायक अनिल जैन के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई है।

कांग्रेस के बागी-

महू सीट पर बगावत

कांग्रेस पार्टी में भी विधानसभा की कई सीटों पर नेता बागी हो गए हैं। इंदौर में महू सीट को लेकर बागी हुए कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार चुनावी मैदान में उतर गए हैं। कांग्रेस के पूर्व विधायक का चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा प्रत्याशी और मंत्री ऊषा ठाकुर का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है।

आलोट सीट पर बगावत

कांग्रेस से पूर्व सांसद रहे प्रेमचंद गुड्डू रतलाम जिले की आलोट सीट पर बागी हो गए हैं। पार्टी की लाख समझाइश के बावजूद भी वह चुनावी मैदान में उतर आए हैं। हालांकि, कांग्रेस की ओर से बागी नेता प्रेमचंद गुड्डू की बेटी रीना बौरासी को सांवरे सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। ऐसे में आलोट सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक और प्रत्याशी मनोज चावला के लिए प्रेमचंद गुड्डू मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

भोपाल उत्तर सीट पर बगावत

कांग्रेस का गढ़ कहा जाने वाला भोपाल उत्तर सीट पर भी पार्टी के नेताओं में बगावत दिख रही है। इस सीट में बगावत की वजह पारिवारिक कलह है। दरअसल, इस बार भोपाल उत्तर सीट के मौजूदा विधायक आरिफ अकील के खराब स्वास्थ को देखते हुए कांग्रेस ने उनके बेटे आतिफ अकील को टिकट दिया है। जिसके बाद आरिफ के भाई आमिर अकील ने इस सीट पर बगावत कर दी है। वहीं, बागी नेता आमिर अकील के साथ नासिर इस्लाम ने भी बगावत कर दी है। माना जा रहा है कि इस सीट को लेकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है।

गोटेगांव सीट पर बगावत

कांग्रेस के नेता शेखर चौधरी गोटेगांव सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। दरअसल, पार्टी ने सबसे पहले शेखर चौधरी को गोटेगांव सीट से प्रत्याशी बनाया था। लेकिन बाद में इसी सीट से पार्टी ने शेखर को हटाकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को टिकट दिया था। जिसके बाद शेखर चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

Created On :   8 Nov 2023 6:48 PM IST

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