भास्कर एक्सक्लूसिव: कांग्रेस को हल्के में नहीं ले रही आरजेडी, तेजस्वी यादव की सक्रियता दे रही गवाही, कन्हैया कुमार के रोल पर अभी भी संशय बरकरार

- बिहार में इस साल है विधासनभा चुनाव
- कांग्रेस को हल्के में नहीं ले रही आरजेडी
- तेजस्वी यादव की सक्रियता दे रही गवाही
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। विपक्ष में महागठबंधन की ओर से कांग्रेस बिहार चुनाव को लेकर बीते दो महीनों से काफी एक्टिव नजर आ रही है। वहीं, महागठबंधन का नेतृत्व करने वाली राज्य की सबसे बड़ी स्थानीय पार्टी आरजेडी ने अभी तक चुनाव को लेकर उतना उत्साह नहीं दिखाया है। हाल ही में बिहार कांग्रेस ने कन्हैया कुमार के नेतृत्व में 'पलायन रोको, नौकरी दो' यात्रा खत्म की है। साथ ही, कांग्रेस राज्य में आरजेडी के छांव में चलने के मूड में नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस इस बार आरजेडी के पीछे रहकर नहीं बल्कि, बराबरी के साथ चुनाव लड़ना चाहती है। इस बार के चुनाव से पहले महागठबंधन की ओर से सीएम फेस को लेकर आरजेडी और कांग्रेस में तकरार देखने को मिल रही है। ऐसे में कांग्रेस के इस आक्रामक रवैये को देखते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव एक्टिव हो गए हैं।
तेजस्वी यादव की सक्रियता बढ़ी
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव 15 अप्रैल को दिल्ली पहुंचे। जहां उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। इस दौरान बिहार चुनाव को लेकर चर्चा हुई। साथ ही, महागठबंधन की चुनावी रणनीति को लेकर भी चर्चा हुई। बैठक खत्म होने के बाद बीते गुरुवार (17 अप्रैल, 2025) को बिहार की राजधानी पटना के आरजेडी ऑफिस में महागठबंधन में शामिल दलों के नेताओं के बीच बैठक हुई।
विधासनभा चुनाव से पहले महागठबंधन की यह पहली बैठक थी। जिसमें बिहार चुनाव को लेकर चर्चा हुई। साथ ही, राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी बात हुई है। हालांकि, बैठक के बाद महागठबंधन की ओर से सीएम फेस को लेकर सभी नेता चुप्पी साधे दिखाई दिए। कांग्रेस चाहती है कि सीएम फेस का ऐलान चुनाव के बाद होना चाहिए। इधर, विपक्षी गठबंधन के सभी दल के नेता तेजस्वी यादव के पक्ष में नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस भी खोई जमीन कर रही तलाश
साल 1990 से कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ बिहार की सत्ता में नहीं आई है। इससे पहले राज्य में कांग्रेस का एकछत्र राज चला है। हालांकि, बीते 35 साल से राज्य में कांग्रेस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। बिहार में बीते 35 साल से कांग्रेस पार्टी लालू यादव की पार्टी आरजेडी का पर्याय बन चुकी है। लेकिन अब कांग्रेस खुद के दम पर चुनाव लड़ने और खुद की खोई हुई जमीन को ढूंढने का प्रयास कर रही है।
बिहार में लालू के सीएम बनने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी आरजेडी के पीछे रहकर काम कर रही थी। बिहार में कांग्रेस का मतलब लालू यादव हो गया था। यूपीए-1 और यूपीए-2 की सरकार के दौरान लालू यादव ने बिहार में कांग्रेस की ओर से कमान संभाले रखी। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 38 अनुसूचित जाति और 2 अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटें हैं। इन सीटों पर पहले कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था, लेकिन कांग्रेस की राजनीतिक सक्रियता कम होने के बाद इन सीटों पर क्षेत्रीय पार्टी का दबदबा बढ़ गया।
समीकरण सधे तो जीत पक्की!
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बिहार में आरजेडी और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ती है, तो इस बार फायदा होने की उम्मीद है। क्योंकि, नीतीश कुमार के खिलाफ दोनों ही पार्टी एंटी इनकंबेंसी को अपना हथियार बना रही हैं। दोनों ही पार्टी एक स्वर में नौकरी, बेरोजगारी, पलायन और बाढ़ के अलावा बिहार की अन्य समस्याओं को उठा रही है। अगर दोनों पार्टी एक साथ मिलकर आगे चलती है, तो इसका असर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर भी देखने को मिल सकता है।
तेजस्वी यादव भी कांग्रेस की राजनीतिक ताकत को कम नहीं आंक रही है। इसी साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लगभग 18 सीटों पर आम आदमी पार्टी का खेल खराब किया था। जिसके चलते अरविंद केजरीवाल की पार्टी को सत्ता गंवानी पड़ी। ऐसे में तेजस्वी यादव भी कांग्रेस पार्टी को पूरी तरह से महागठबंधन की ओर से मौका दे रहे हैं। अगर कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती है तो आरजेडी की भी सत्ता में आने की राह आसान हो सकती है।
पिछले बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आरजेडी 144 और कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी। वहीं, महागठबंधन की ओर से लेफ्ट पार्टियों ने कुल 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जिसमें आरजेडी को 75 और कांग्रेस 19 सीटों पर जीत मिली। वहीं, लेफ्ट के खाते में कुल 16 सीटें आईं। हालांकि, कांग्रेस के इस प्रदर्शन पर सवाल उठे। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने सबसे खराब प्रदर्शन किया था। जिसके चलते ही महागठबंधन केवल 110 सीटों पर रुक गई और बहुमत से 12 सीट दूर रह गई।
कांग्रेस और आरजेडी का मकसद एक
इस बार के चुनाव में भी इन दोनों पार्टी का मकसद साफ है, वह है बीजेपी को बिहार की सत्ता से दूर रखना। हालांकि, बीजेपी बिहार में हर बार नीतीश कुमार के दम पर सरकार बना लेती है। ऐसे में कांग्रेस और आरजेडी दोनों ही पार्टी चाहेगी कि इस बार के चुनाव में पूरी ताकत के साथ एनडीए को बिहार में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जाए।
243 सीटों वाले इस राज्य में एनडीए की पकड़ काफी मजबूत है। लेकिन विपक्ष को भी यहां हल्के में नहीं लिया जा सकता है। पिछले चुनाव में आरजेडी के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन ने बिहार में एनडीए खेमे को कांटे की टक्कर दी थी।
Created On :   18 April 2025 8:14 PM IST