केरल: राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर के बयान की कांग्रेस-सीपीआईएम नेताओं ने की आलोचना

- संविधान संशोधन सुको करेगा तो सदन किसलिए-आर्लेकर
- सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करना गलत- सीपीआईएम नेता एमए बेबी
- सुको का राष्ट्रपति को विधेयक पर मिलने वाली समय सीमा और सलाह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर की गई प्रतिक्रिया पर राजनीति गरमा गई है। केरल की सत्ताधारी पार्टी सीपीआईएम और कांग्रेस ने राज्यपाल के बयान की आलोचना की है।
केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर का बयान
आपको बता दें देश की सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में अपने फैसले में राष्ट्रपति को तीन महीने में विधेयक पर फैसला लेने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर 3 महीने की समयसीमा में राष्ट्रपति फैसला नहीं लेते हैं तो राष्ट्रपति को इसका कारण बताना होगा। टॉप कोर्ट के फैसले के चलते राज्यपाल भी अनिश्चित समय तक विधेयक को पेंडिंग नहीं रख सकेंगे। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले की केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने तीखी आलोचना की है। आर्लेकर ने कहा कि अगर संविधान संशोधन का काम भी सर्वोच्च अदालत करेगी, तो फिर संसद और विधानसभाएं किसलिए हैं। उन्होंने इसे न्यायपालिका का अतिक्रमण करार दिया। उन्होंने सर्वोच्च अदालत की दो जजो वाली बेंच पर भी सवाल उठाए।
राज्यपाल का बयान अवांछित- बेबी
सीपीआईएम के महासचिव एमए बेबी ने राज्यपाल आर्लेकर के बयान को अवांछित बताया। सीपीआईएम नेता एमए बेबी ने कहा कि टॉप कोर्ट का फैसला सभी पर लागू होगा, जिसमें राष्ट्रपति भी शामिल हैं। जब राष्ट्रपति संसद के विधेयक में देरी नहीं कर सकते तो फिर राज्यपाल के पास वो अधिकार कैसे हो सकता है, जो राष्ट्रपति के पास नहीं है? बेबी ने कहा कि सभी राज्यपालों को शीर्ष कोर्ट के फैसले को स्वीकार करना चाहिए, लेकिन केरल राज्यपाल के बयान से साफ है कि उन्हें यह स्वीकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करना गलत है।
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। केसी वेणुगोपाल ने कोझिकोड में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राज्यपाल, सर्वोच्च अदालत के फैसले की आलोचना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अब बीजेपी का एजेंडा खुलकर सामने आ जाएगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण कि केरल के राज्यपाल टॉप कोर्ट के फैसले के खिलाफ हैं।
Created On :   13 April 2025 2:01 PM IST