पंजाब के मालवा में अबकी बार कुछ अलग ही बह रही है चुनावी बयार, जानें क्या बन रहा सियासी समीकरण

This time in Malwa, Punjab, the election wind is blowing differently, know what is the political equation.
पंजाब के मालवा में अबकी बार कुछ अलग ही बह रही है चुनावी बयार, जानें क्या बन रहा सियासी समीकरण
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 पंजाब के मालवा में अबकी बार कुछ अलग ही बह रही है चुनावी बयार, जानें क्या बन रहा सियासी समीकरण

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव आगामी 20 फरवरी को होने जा रहा है। सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार कर पार्टी के लिए जनता से वोट मांग रहे हैं। पंजाब की सियासत में राजनीतिक दलों को सत्ता तक पहुंचाने वाला मालवा क्षेत्र काफी चर्चा में है। उसके पीछे की वजह है कि अबकी बार यहां का चुनावी रंग काफी बदला हुआ है। माना जाता है कि यहां पर पिछली बार त्रिकोणीय मुकाबले के बाद इस बार यहां पर राजनीतिक लड़ाई बहुकोणीय हो गई है।

अगर पिछले विधानसभा चुनाव 2017 की बात करें तो मालवा (पंजाब के दक्षिण-पूर्वी हिस्से) में कांग्रेस ने 40 और आम आदमी पार्टी ने 18 सीटों पर अपना परचम लहराया था। अबकी बार भी ये पार्टियां मालवा क्षेत्र में अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही हैं। हालांकि बाकी पार्टियां भी इस बार राजनीतिक समीकरणों में उलटफेर करने की कोशिश में जुटी हैं। जानकारों के मुताबिक मालवा क्षेत्र राजनीतिक दलों को सत्ता तक यात्रा कराने में अहम भूमिका निभाता है। इन्हीं वजहों के कारण सभी राजनीतिक दल वोटरों को रिझाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। 

पंजाब के बड़े नेता आते हैं मालवा से

पंजाब की सियासत में 17 में से 15 मुख्यमंत्री मालवा से ही ताल्लुक रखते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब में मालवा कितना महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस बार भी सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों के मुख्यमंत्री पद के चेहरे भी मालवा से ही हैं। इससे यहां पर सत्ता का संघर्ष बेहद दिलचस्प होने वाला है। सभी राजनीतिक दलों को मालूम है कि अगर माझा व दोआबा जीत भी गए तो भी सत्ता तक पहुंचने के लिए मालवा जीतना बेहद जरूरी है। 

राजनीतिक दलों की मालवा पर टिकी नजर

पंजाब की सियासत में मालवा पर ही सभी दलों की नजर बनी हुई है क्योंकि पंजाब विधानसभा की कुल 117 सीटों में से 69 सीटें मालवा से ही आती हैं। इसी वजह से राजनीतिक दल यहां  पर अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं ताकि सत्ता की राह आसान हो जाए।  पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यहां से 40 सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हुई थी, जबकि आम आदमी पार्टी को 18 सीटें ही हासिल हुई थी। आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव 2014 में मालवा क्षेत्र से ही चार सीटों पर जीत हासिल हुई थी। आधे से अधिक विधानसभा सीटें इसी क्षेत्र से आने के कारण सभी राजनीतिक दल मालवा से ज्यादा से ज्यादा सीट निकालने की फिराक में रहते हैं। ताकि सत्ता की राह आसान हो जाए।

सीएम चेहरे भी मालवा से होंगे

पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार सभी राजनीतिक दल के सीएम चेहरे भी मालवा क्षेत्र से आते हैं। पहले तो खबरें आ रहीं थीं कि कांग्रेस से नवजोत सिंह सिद्धू ही मुख्यमंत्री पद के चेहरा होंगे और वह माझा क्षेत्र से आने वाले अकेले सीएम होंगे। लेकिन कांग्रेस ने सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए सीएम पद का चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को बनाया है।

बता दें कि चन्नी जिन दो विधानसभा सीटों से किस्मत आजमा रहे हैं, वे दोनों मालवा में ही हैं। उधर आप से सांसद भगवंत मान भी मालवा की ही धुरी सीट से चुनाव मैदान से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अकाली दल के सुखबीर बादल और कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी के साथ आए कैप्टन अमरिंदर सिंह भी मालवा से ही हैं। मालवा पंजाब की सियासत में राजनीतिक पार्टियों की दिशा व दशा तय करता है। 

मालवा में हो सकती बहुकोणीय लड़ाई

अबकी बार विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में पसीने बहा रहे हैं। कांग्रेस जहां चन्नी को आगे लाकर 31 फीसदी दलित वोटरों में सेंध लगाने की जुगाड़ में है। तो वहीं अकाली दल ने दलितों के वोटों को ध्यान में रखते हुए इस बार बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। बीजेपी भी अबकी बार कैप्टन अमरिंदर के साथ गठबंधन कर मालवा के शहरी क्षेत्रों में वोटरों को रिझाने में जुटी है। इसी वजह से मालवा के कई इलाकों में चुनावी संग्राम बहुकोणीय हो गया है। जिसकी वजह से अबकी बार उलटफेर होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। 


 

Created On :   15 Feb 2022 5:10 PM IST

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