अपने पिता की राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे यूपी के ये राजनेता

These politicians of UP fighting their fathers political battle
अपने पिता की राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे यूपी के ये राजनेता
उत्तर प्रदेश अपने पिता की राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे यूपी के ये राजनेता

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। वे जाने-माने पिताओं के बेटे हैं, लेकिन इससे पहले कि वे अपनी राजनीतिक जीवन की यात्रा को आगे बढ़ाएं, उन्हें अपने पिता की राजनीतिक लड़ाई लड़नी पड़ रही है। उनके लिए राजनीति में रास्ता बनाना कठिन है लेकिन वे विचलित नहीं हैं। वे मुस्कुरा कर विपरीत परिस्थितियों का सामना करने और बुरे समय को दूर करने के लिए भी दृढ़ संकल्पित हैं। आदित्य यादव (34), प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) अध्यक्ष शिवपाल यादव के बेटे हैं।

अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के निदेशक आदित्य ने अभी तक अपना पहला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। उन्हें हाल ही में पीएसपीएल का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और परिस्थितियों ने उन्हें उनके चचेरे भाई और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ खड़ा कर दिया। आदित्य ने कहा, मैं सकारात्मक राजनीति में विश्वास करता हूं और एक बात साबित करने के लिए लंबी लाइन खींचता हूं। 31 वर्षीय अब्दुल्ला आजम पिछले तीन सालों से अपने पिता मोहम्मद आजम खान के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। उन्हें जेल की सजा, राज्य विधानसभा से अयोग्यता और ऐसे कई परीक्षणों और अशांति का सामना करना पड़ा है।

मृदुभाषी अब्दुल्ला अपने पिता के साथ राजनीति में चट्टान की तरह खड़े रहे हैं और उन मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं की है, जो यूपी सरकार द्वारा उनके परिवार पर थोपे गए। हाल ही में उन्होंने सपा के एक वरिष्ठ नेता पर निशाना साधा था, जिन्होंने उनके पिता पर भद्दी टिप्पणी की थी। एक और बेटा है, जो राजनीति में अपनी पैठ जमाने के इंतजार में हैं वे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के विधायक 30 वर्षीय अब्बास अंसारी हैं।

उनके पिता मुख्तार अंसारी पिछले पांच साल से राज्य सरकार के निशाने पर हैं। उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत एक मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है। अब्बास एक राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियन भी हैं। nउनके एक सहयोगी ने कहा, अब्बास अपने पिता का पुत्र होने की कीमत चुका रहे हैं, लेकिन वह इससे विचलित नहीं हैं। मुख्तार अंसारी 2005 से सलाखों के पीछे हैं और सैकड़ों करोड़ रुपये की पारिवारिक संपत्ति या तो सरकारी एजेंसियों द्वारा जब्त कर दी गई या नष्ट कर दी गई है।

वहीं, 34 वर्षीय अरविंद राजभर एसबीएसपी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बेटे और उनकी पार्टी के महासचिव हैं। अरविंद राजनीति में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उनके पिता उम्मीद से ज्यादा तेजी से वफादारी बदलने के लिए जाने जाते हैं। एक राजनीतिक विश्लेषक आर के सिंह के अनुसार, इन बेटों को आधी रात के बच्चे कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने ऐसे समय में राजनीति में कदम रखा जब उनके पिता अंधेरे और निराशा में हैं। उन्हें अपने पिता की लड़ाई के लिए मजबूर किया गया है और उनके पास वहीं लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हाई-प्रोफाइल राजनीतिक परिवारों में पैदा होने के बावजूद वो अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं।

(आईएएनएस)

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Created On :   4 Sept 2022 5:30 PM IST

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