जिन अफसरों पर मायावती करती रहीं भरोसा, चुनावी समर में वही क्यों छोड़ गए अकेला?
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। सियासत में कौन कब किसका दोस्त या दुश्मन बन जाए, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। साथ-साथ राजनीति करने वाला कब आपकी खिलाफत करने लगे इसका भी किसी को पता नहीं रहता है। इसलिए कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। कुछ ऐसा ही वाकया यूपी की सियासत में देखने को मिल रहा है।
आपको बता दें कि बीएसपी प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने कार्यकाल में जिन दलित अफसरों पर आंख मूंद कर भरोसा जताया था और आलोचना झेली थी। वो सारे अफसर मायावती का साथ छोड़ कर दूसरे दल में शामिल हो गए। आइए जानते हैं उन अफसरों के बारे में जिन्होंने मायावती को मझधार में छोड़कर अपनी सियासत चमका रहे हैं।
इन्हें माना जाता था मायावती का दाहिना हाथ
आपको बता दें कि 1977 बैच के आईपीएस अफसर रहे बृजलाल को मायावती का दाहिना हाथ माना जाता था। साल 2007 में बसपा की सरकार सत्ता में आने के बाद बृजलाल को यूपी का एडीजी लॉ एंड ऑर्डर बनाया गया था। साल 2011 में मायावती ने दो वरिष्ठ आईपीएस अफसरों पर वरीयता देकर यूपी का डीजीपी बनाया था।
हालांकि विपक्षी पार्टियों की शिकायत के बाद साल 2012 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें चुनाव आयोग ने डीजीपी पद से हटा दिया था। गौरतलब है कि रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी साल 2015 में बीजेपी का दामन थाम लिए थे। साल 2018 में सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथत ने बृजलाल को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए यूपी अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया था। मौजूदा समय में बृजलाल बीजेपी की सीट से राज्यसभा सांसद हैं।
माया का सैंडिल साफ करने पर चर्चा में आए थे
आपको बता दें कि बसपा प्रमुख मायावती के सिक्योरिटी ऑफिसर रहे पदम सिंह उनका साया माने जाते थे। पदम सिंह मायावती की सैंडिल को साफ करने पर सुर्खियों में आए थे। पदम सिंह ऐसे पुलिस अधिकारी थे जो कभी राजनीति में नहीं आए। बता दें कि पूर्व डीजीपी बृजलाल के बाद बाद पदम सिंह ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जो मायावती के बेहद करीबी होने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिए थे। कहा जाता है कि पदम सिंह मायावती के सबसे विश्वासपात्र अधिकारियों में से थे। उन्हें साल 2004 में बतौर डीएसपी डकैतों से लोहा लेने के लिए वीरता के राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था।
मायावती के करीबी अधिकारियों में रहे शुमार
आपको बता दें कि अपने सेवाकाल के दौरान मायावती के काफी करीबी अधिकारियों में शुमार रहे पूर्व आईएएस अफसर पीएल पुनिया कांग्रेस का दलित चेहरा माने जाते हैं। राजनीति में आने से पहले वो एक प्रशासनिक अफसर के तौर पर सेवा दे चुके थे। मौजूदा समय में यूपी कांग्रेस में मजबूत पकड़ रखने वाले पीएल पुनिया कभी यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबी हुआ करते थे। दलित नेता के रूप में पहचान रखने वाले पीएल पुनिया ने प्रशासनिक सेवा छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। मायावती को तब बड़ा झटका लगा था।
आईपीएस बेटा उतरा राजनीतिक मैदान में
बता दें कि यूपी के कानपुर में पुलिस कमिश्नर के पद पर सेवा दे रहे आईपीएस अफसर असीम अरूण ने वीआरएस ले लिया है और फेसबुक पर एक मैसेज पोस्ट कर राजनीति में उतरने का ऐलान भी कर दिया है। अब असीम अरूण खाकी छोड़कर खादी पहनेंगे। आपको बता दें कि असीम अरूण के पिता श्रीराम अरुण प्रदेश के दो बार डीजीपी रह चुके हैं। दोनों ही बार वह भाजपा या भाजपा समर्थित मायावती सरकार में डीजीपी रहे थे। बता दें कि असीम अरुण प्रशिक्षु आईपीएस के रूप में प्रयागराज, मुरादाबाद, मेरठ, हैदराबाद, में तैनात रहे।
उसके बाद उन्हें टेढ़ी गढ़वाल (अब उत्तराखंड में) का एसपी बनाया गया था। मायावती के शासन काल में वह अलीगढ़, आगरा और गोरखपुर के पुलिस कप्तान रहे। अब वह प्रशासनिक सेवाएं छोड़कर राजनीतिक पारी शुरू करेंगे। बता दें कि सूबे के सीएम योगी से असीम अरूण ने मुलाकात की है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा भी है कि उन्हें सीएम योगी ने बीजेपी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। अब कयास लगाए जा रहे है कि असीम अरूण आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सीट पर चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी के लिए असीम अरूण बड़ा दलित चेहरा साबित होंगे।
Created On :   10 Jan 2022 7:29 PM IST