राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, दादी मेरी रोल मॉडल थी
डिजिटल डेस्क, भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि उनकी दादी, जो लोगों की मदद करती थीं, बचपन के दिनों में उनकी रोल मॉडल थीं। दो दिवसीय यात्रा पर ओडिशा आईं मुर्मू ने भुवनेश्वर के तपोबन हाई स्कूल के अपने संक्षिप्त दौरे के दौरान छात्रों से बातचीत के दौरान यह बात कही। राष्ट्रपति ने कहा, मेरी दादी मेरे लिए एकमात्र आदर्श थीं। वह अपने साहस और लोगों की सेवा के लिए जानी जाती थीं।
अपने संघर्षपूर्ण स्कूली जीवन को साझा करते हुए, प्रथम महिला ने कहा, मेरे स्कूल के समय में, स्थिति वर्तमान समय की तरह नहीं थी और, मेरे गांव उपराबेड़ा के स्कूल में अब कंक्रीट की छत और पक्के घर हैं। लेकिन, उस समय, यह मिट्टी से बना था और छप्पर की छत थी। हम हर हफ्ते फर्श की मरम्मत के लिए गाय का गोबर लाते थे और रोजाना फर्श की सफाई करते थे।
उन्होंने छात्रों से कहा- हालांकि, अब स्थिति बदल गई है और आप सभी बहुत भाग्यशाली हैं कि आपको बेहतर माहौल के बीच शिक्षा मिल रही है। राष्ट्रपति ने ट्विटर पर स्कूल की अपनी यात्रा की कुछ तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि उन्हें छात्रों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों और छात्रावास के छात्रों के साथ बातचीत करने में खुशी हुई। उन्होंने कामना की कि स्कूल और उसके छात्र गौरव की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करें।
इसके बाद, राष्ट्रपति ने अल्मा माटर गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल यूनिट-2 और कुंतला कुमारी सबत आदिवासी गर्ल्स हॉस्टल यूनिट-2 का दौरा किया, जहां वह अपने स्कूल के समय रुकी थीं। राष्ट्रपति ने छात्रों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों और छात्रावास के निवासियों के साथ बातचीत की। राष्ट्रपति को स्कूली छात्रों द्वारा प्रस्तुत संथाली आदिवासी नृत्य का भी आनंद लेते देखा गया। उन्होंने कुछ निजी समय अपने छात्रावास के कमरे पर भी बिताया जहां वह स्कूल के दिनों में रुकी थी।
मुर्मू ने ट्वीट किया, आज जब मैं अपने अल्मा माटर गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल और भुवनेश्वर में कुंतलाकुमारी सबत आदिवासी गर्ल्स हॉस्टल का दौरा किया तो कई यादें ताजा हो गई। दिल्ली रवाना होने से पहले उन्होंने जयदेव भवन में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
इनमें ओडिया भाषा में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की इंजीनियरिंग पुस्तकें, वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी) द्वारा विकसित उड़िया भाषा में तकनीकी शब्दों की शब्दावली और ई-कुंभ (कई भारतीय भाषाओं में ज्ञान का प्रसार) पोर्टल शामिल हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें शिक्षा मंत्रालय की इन महत्वपूर्ण पहलों को शुरू करने में प्रसन्नता हो रही है। शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने की दिशा में ये सराहनीय कदम हैं।
यह देखा गया है कि कई छात्रों को अंग्रेजी में तकनीकी शिक्षा को समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसीलिए सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मातृभाषा छात्रों के बौद्धिक विकास में मदद करती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मातृभाषा में सीखने से छात्रों में रचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक कौशल विकसित होंगे और यह शहरी और ग्रामीण छात्रों को समान अवसर प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि पहले क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा में स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों की अनुपलब्धता के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ता था। उन्होंने इस बाधा को दूर करने के प्रयासों के लिए एआईसीटीई की सराहना की। शिक्षा को सशक्तिकरण का एक उपकरण बताते हुए उन्होंने कहा, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे देश के प्रत्येक बच्चे की हर स्तर पर शिक्षा तक पहुंच हो। हमें बिना किसी भेदभाव के सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना होगा। भाषा एक सक्षम कारक होनी चाहिए न कि छात्रों को शिक्षित करने में बाधा। क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं में सीखने की शुरूआत एक सुशिक्षित, जागरूक और जीवंत समाज के निर्माण की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि उड़िया एक प्राचीन और समृद्ध भाषा है। इसकी एक विशिष्ट साहित्यिक परंपरा और समृद्ध शब्दावली है। इसलिए उड़िया भाषा में तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। उन्होंने आगे कहा कि सभी भारतीय भाषाओं में कमोबेश एक जैसी क्षमता है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सभी भारतीय भाषाओं को समान महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसने भारतीय भाषाओं के क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत की है।
(आईएएनएस)
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Created On :   11 Nov 2022 6:00 PM IST