मुकुल रॉय विधायक के रूप में अयोग्यता से बचे
- दलबदल विरोधी कानून के तहत विधायक के रूप में अयोग्य
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंद्योपाध्याय ने बुधवार को नदिया जिले के कृष्णानगर (उत्तर) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मुकुल रॉय को विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने की संभावना से इनकार किया।
अध्यक्ष ने यह भी कहा कि रॉय अभी भी भाजपा के निर्वाचित विधायक हैं, क्योंकि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं कि रॉय किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो गए हैं और इसलिए उन्हें मौजूदा दलबदल विरोधी कानून के तहत विधायक के रूप में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
रॉय चूंकि अभी भी भाजपा के निर्वाचित विधायक हैं, इसलिए उनके लिए राज्य विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में बने रहने में आ रहीं बाधाएं दूर कर दी गई हैं। परंपरा के अनुसार, पीएसी अध्यक्ष का पद हमेशा मुख्य विपक्षी दल के एक विधायक को दी जाती है।
रॉय 2021 के विधानसभा चुनाव में कृष्णानगर (उत्तर) से भाजपा विधायक चुने गए थे। हालांकि, परिणाम घोषित होने के कुछ दिनों बाद 11 जून, 2021 को रॉय कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस मुख्यालय गए और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और पार्टी के अन्य नेताओं की उपस्थिति में अपनी पुरानी पार्टी में फिर से शामिल हो गए।
इसके तुरंत बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने अध्यक्ष से राय को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की अपील की। हालांकि, कुछ दौर की सुनवाई के बाद अध्यक्ष ने फैसला सुनाया कि रॉय भाजपा विधायक के रूप में बने रहेंगे।
फैसले से असंतुष्ट अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट के पास भेज दिया। 11 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने मामले पर पुनर्विचार के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास वापस भेज दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार को अपने पिछले फैसले को बरकरार रखा।
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Created On :   8 Jun 2022 6:00 PM IST