मायावती बोलीं, गुप्त चुनावी बॉण्ड स्कीम से धनबल के खेल को और भी ज्यादा मिल रही हवा

Mayawati said, the game of money power is getting more air due to secret electoral bond scheme
मायावती बोलीं, गुप्त चुनावी बॉण्ड स्कीम से धनबल के खेल को और भी ज्यादा मिल रही हवा
उत्तर प्रदेश मायावती बोलीं, गुप्त चुनावी बॉण्ड स्कीम से धनबल के खेल को और भी ज्यादा मिल रही हवा

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने चुनाव में राजनीतिक दलों के चंदे की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के दावे के साथ लागू किए गए चुनावी बॉण्ड पर चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में इसकी सुनवाई शुरू होने को लेकर उम्मीद भी जताई है। मायावती ने कहा है कि चुनावी बॉण्ड से धनबल के खेल को और ज्यादा हवा मिल रही है।

बसपा प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट करके लिखा कि कारपोरेट जगत व धन्नासेठों के धनबल के प्रभाव ने देश में चुनावी संघर्षों में गहरी अनैतिकता व असमानता की खाई तथा लेवल प्लेइंग फील्ड खत्म करके यहाँ लोकतंत्र एवं लोगों का बहुत उपहास बनाया हुआ है। गुप्त चुनावी बॉण्ड स्कीम से इस धनबल के खेल को और भी ज्यादा हवा मिल रही है।

उन्होंने आगे लिखा कि किन्तु अब काफी समय बाद सुप्रीम कोर्ट चुनावी बॉण्ड से सम्बन्धित याचिका पर सुनवाई शुरू करेगी, उम्मीद की जानी चाहिए कि धनबल पर आधारित देश की चुनावी व्यवस्था में आगे चलकर कुछ बेहतरी हो व चुनिन्दा पार्टियों के बजाय गरीब-समर्थक पार्टियों को खर्चीले चुनावों की मार से कुछ राहत मिले।

गौरतलब है कि चुनावी बॉण्ड योजना के प्रविधानों के अनुसार, यह बांड किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता है, जो भारत का नागरिक है या यहां पर रहता है। जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तहत रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी ही चुनावी बांड के जरिये चंदा ले सकती है। हालांकि, इसके लिए पार्टी को पिछले राज्य विधानसभा चुनाव में कम-से-कम एक प्रतिशत वोट मिलना अनिवार्य शर्त है। पार्टी को किसी आधिकारिक बैंक में खातों के जरिये ही बॉण्ड का भुगतान किया जा सकता है।

देश में चुनावी बॉण्ड की शुरूआत राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के घोषित उद्देश्य के साथ की गई थी। कहा गया था कि इससे दलों के पास साफ-सुथरा धन आएगा और काले धन पर रोक लगेगी लेकिन कई राजनीतिक दल और नेता चुनावी बॉण्ड को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं। उनका आरोप है कि चुनावी बॉण्डों की वजह से पारदर्शिता बढ़ने के बजाए गरीब-समर्थक और संसाधनों के लिहाज से कमजोर पार्टियों के लिए मुश्किल हो रही है। चुनाव दिन ब दिन और खर्चीले होते जा रहे हैं।

हाल में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। पिछले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चुनावी बॉण्ड जारी करने वाले कानून को चुनौती देने सम्बन्धी याचिका की सुनवाई करेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सीजेआई एन वी रमन्ना के सामने इस मामले को उल्लेख किया था। चुनावी बॉण्ड पर रोक लगाने की मांग एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स सहित कई एनजीओ करते रहे हैं।

(आईएएनएस)

Created On :   8 April 2022 2:30 PM IST

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