सरकारी विभाग बिना टेंडर के भी नामांकन के आधार पर क्रय कर सकेंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल

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उत्तर प्रदेश सरकारी विभाग बिना टेंडर के भी नामांकन के आधार पर क्रय कर सकेंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वयं 2030 तक सभी सरकारी विभागों में उपयोग किए जाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से ईवी में तब्दील करने का लक्ष्य रखा है। अब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है। इसके तहत सरकार की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी विभाग बिना टेंडर के भी नामांकन के आधार पर ईवी वाहन क्रय कर सकते हैं।

सरकार की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी विभाग बिना टेंडर के भी नामांकन के आधार पर ईवी वाहन क्रय कर सकते हैं, जबकि ईवी वाहनों के क्रय पर आवश्यक्ता के अनुसार तय मैक्सिमम लिमिट से अधिक भी खर्च किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश 2030 से पहले ही इस लक्ष्य को हासिल करके सरकारी विभागों में शत प्रतिशत ईवी वाला देश का पहला राज्य बन सकता है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में ईवी व्हीकल्स को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 14 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक व्हीकल विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति 2022 को नोटिफाई किया था। इसके तहत सरकार ने ईवी की खरीद पर 3 साल तक टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस से छूट प्रदान की है। वहीं, प्रदेश में निर्मित ईवी की खरीद पर यह छूट 5 साल तक मान्य होगी।

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा जारी आदेश में सभी विभागों एवं उनके अधीन कार्यरत संस्थाओं को निर्देश दिया गया है कि ईवी पॉलिसी के अनुरूप 2030 तक शत प्रतिशत वाहनों को ईवी वाहनों में तब्दील किया जाए। इसमें ये भी कहा गया है कि सरकारी अभिकरणो से बिना निविदा के नामांकन के आधार पर पर ईवी वाहन क्रय किया जाए तथा शासकीय आयोजन के लिए वाहनों के क्रय पर प्रचलित ऊपरी अधिकतम सीमा को शिथिल किया जाए। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार चूंकि अभी तक सरकारी वाहनों की खरीद जेम पोर्टल पर टेंडर के माध्यम से होती थी, लेकिन ईवी कंपनियां इससे रजिस्टर्ड नहीं हैं। इसीलिए पॉलिसी में व्यवस्था दी गई है कि सरकारी अभिकरणो जैसे राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स इंस्ट्रूमेंट लि. (आरईआईएल) व एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) इत्यादि से बिना टेंडर के नामांकन के आधार पर ईवी क्रय किए जा सकेंगे। वहीं, चूंकि अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल पेट्रोल-डीजल की तुलना में अधिक महंगे हैं, इसलिए सरकार ने वाहनों की खरीद पर ऊपरी अधिकतम खर्च सीमा पर भी छूट दी है।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों को ये भी निर्देश दिए हैं कि राज्य सरकार द्वारा शासकीय विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को वाहनों के लिए दिए जाने वाले एडवांस में भी ईवी को शामिल किया जाए। साथ ही कहा गया है कि तय समय के अंदर विभाग इस पर कार्यवाही सुनिश्चित करें। ये कदम भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है। ईवी पॉलिसी में भी इसके लिए प्रावधान किया गया था। इसका मूल उद्देश्य यही है कि यदि सरकारी कर्मचारी ईवी को प्राथमिकता देंगे तो आम जनता भी इसके प्रति प्रेरित होगी। मालूम हो कि सभी प्रदेश सरकारें अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को मोटर व्हीकल, स्कूटर या बाइक की खरीद के लिए अग्रिम भुगतान करती है, जिसे अधिकारी या कर्मचारी को निर्धारित समय में वापस करना होता है। कार, स्कूटर या बाइक खरीदने के लिए यह अग्रिम राशि अलग-अलग निर्धारित है।

पूरी दुनिया महंगे होते पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को अपना रही है। देश में उत्तर प्रदेश इस तरह का कदम उठाने में सबसे आगे है। यूपी में ईवी को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने तीन साल तक रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क पर 100 प्रतिशत तक छूट देने का निर्णय लिया है। तीन वर्ष की यह गणना 14 अक्टूबर, 2022 से की जाएगी। अगर कोई व्यक्ति यूपी में बने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदता है तो उसे पांच वर्ष तक की छूट मिलेगी। ईवी पर केंद्र सरकार की ओर से भी छूट दी जा रही है। राज्य सरकार की छूट केंद्र सरकार की सब्सिडी से अलग होगी। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली छूट की वजह से टू व्हीलर की कीमतें 20 हजार और कारों की कीमत करीब एक लाख रुपए तक कम होने की संभावना है। यूपी में सरकार की नीति के मुताबिक, ईवी के फैक्टरी प्राइस पर 15 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।

(आईएएनएस)

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Created On :   19 April 2023 3:00 PM IST

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