मरे हुए जानवर और मैला न उठाने की शपथ दिलाने के बाद दलित नेता बनकर उभरे निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी क्यों बार बार कानून के निशाने पर आ रहे हैं!
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डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात महसाणा अदालत ने वडगाम विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी को तीन माह की सजा सुनाई है। अदालत ने पुलिस की अनुमति के बिना रैली करने के एक मामले में दोषी ठहराते हुए विधायक जिग्नेश मेवाणी और नौ अन्य को दोषी ठहराया है।
मिली जानकारी के मुताबिक सभी दोषियों को तीन माह की कैद और एक-एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इन आरोपियों में जिग्नेश मेवाणी साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता रेशमा पटेल भी सजा सुनाई गयी हैं।
बता दें कांग्रेस के नेता कन्हैया कुमार भी इस रैली में सम्मिलित हुए थे। कन्हैया भी इस मामले के आरोपियों में शामिल हैं। लेकिन वह पिछले साल आरोपियों के खिलाफ अदालत द्वारा आरोप तय करते समय उपस्थित नहीं थे। इसी वजह से कोर्ट ने उनके खिलाफ अलग से सुनवाई करने का फैसला किया था। कोर्ट ने कन्हैया कुमार और एक अन्य आरोपी को छोड़कर पिछले साल अप्रैल में मेवाणी सहित 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया था। जिसमें से एक आरोपी की मौत हो चुकी है।
कौन है जिग्नेश मेवाणी?
गुजरात के वडगाम के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी , दलित एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। मेवाणी कांग्रेस से चुनाव लड़ने का ऐलान कर तो चुके हैं। लेकिन उन्होंने अभी कांग्रेस पार्टी की सदस्यता नहीं ली है।
गुजरात की राजनीति में जिग्नेश एक बड़ा चेहरा है। वह एक बड़े दलित नेता हैं। मेहसाणा जिले में जन्मे जिग्नेश आजादी कूच आंदोलन चला चुके हैं। जिसमें लगभग 20 हजार दलितों को एक साथ मरे हुए जानवर न उठाने और मैला न ढोने की शपथ दिलाई थी।
जिग्नेश मेवाणी को लेकर बीजेपी पर लग रहे आरोप
जिग्नेश मेवाणी को लेकर विरोधी पार्टियों के नेता बीजेपी पर आरोप लगा रहे है कि कुछ महीनों बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव होने है जिसको देखते हुए बीजेपी उनको साजिश के तहत फंसा रही है। बता दें इससे पहले मेवाणी को असम पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित ट्वीट करने को लेकर गुजरात से गिरफ्तार किया था। बाद में कोरराझार अदालत ने उनको जमानत दे दी थी। हालांकि इसके तुरंत बाद ही जिग्नेश मेवाणी को पुलिस ने एक महिला पुलिस कर्मी से बदतमीजी करने के मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में उनको इस केस में भी कोर्ट ने जमानत दे दी थी। इस केस में जमानत मिलने के बाद असम सरकार ने जमानत मिलने के खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपील दायर की है। जिस पर 27 मई को सुनवाई होनी है।
माना जा रहा है कि आने वाला चुनाव जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर लड़ सकते हैं। जिसके बाद से अटकलें ये भी हैं कि उन्हें कांग्रेस में शामिल होने से रोकने के लिए इस तरह की प्रेशर पॉलीटिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।
Created On :   5 May 2022 5:45 PM IST