गुजरात: हार्दिक पटेल को नई जिम्मेदारी, बनाए गए गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। गुजरात में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने नया दांव चला है। शनिवार को कांग्रेस ने पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को गुजरात यूनिट का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से हार्दिक पटेल को नई जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया गया है। हार्दिक पटेल लोकसभा चुनाव 2019 से ऐन पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। वहीं हार्दिक पटेल को गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के अलावा महेंद्र सिंह परमार को आनंद, यासीन गज्जन को द्वारका और आनंद चौधरी को सूरत जिले के अध्यक्ष पद पर नियुक्त करने का फैसला भी किया गया है
कैसे बढ़ा हार्दिक पटेल का राजनीति में कद?
20 जुलाई, 1993 को गुजराती पटेल परिवार में जन्में हार्दिक के व्यक्तित्व में कोई ऐसी आश्चर्यजनक बात नहीं थी लेकिन 25 अगस्त 2015 की विशाल रैली में उन्होंने जिस मुद्दे को उठाया, वो युवाओं की बढ़ती संख्या को तुरंत भा गया। हार्दिक पटेल की रैली में 20-30 साल के सिर्फ पाटीदार युवाओं की ही नहीं, बल्कि सभी जातियों के युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। नौकरी ही वो कारण था कि ओबीसी, दलित और पाटीदार युवा एक ही आवाज़ में बोल रहे थे और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी, हार्दिक पटेल के साथ एकता जताते हुए उनके साथ आ गए। ओबीसी एकता मंच के नेता अल्पेश ठाकोर भी इसी कश्ती पर सवार हो गए। इन तीनों का एक ही दुश्मन था, बीजेपी और उसकी नीतियां। इस तीन की तिकड़ी का कमाल दिसम्बर 2017 में गुजरात चुनाव के नतीज़े में दिखा जो इस विरोध को मिलते समर्थन का स्पष्ट प्रमाण था।
मार्च 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे हार्दिक
मार्च 2019 में गांधीनगर जिले की एक रैली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हुए थे। हालांकि वह चुनाव नहीं लड़ सके थे, क्योंकि 2015 के मेहसाणा दंगा मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। पटेल समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर निकाली गई रैली के हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद भीड़ ने संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ कुछ मीडिया कर्मियों पर भी हमला बोला था। विसनगर में 23 जुलाई 2015 को दर्ज कराई गई एफआईआर में हार्दिक को भी आरोपी बनाया गया था।
भीड़ ने एक कार को आग के हवाले कर दिया था और स्थानीय भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी। विसनगर, सत्र अदालत के न्यायाधीश वी. पी. अग्रवाल ने हार्दिक और उनके दो साथियों लालजी पटेल और ए. के. पटेल को दंगा भड़काने, आगजनी करने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने से जुड़ी आईपीसी की धाराओं के तहत दोषी ठहराया था। अदालत ने दो साल कारावास के साथ साथ तीनों पर 50 - 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। केस में अन्य 14 आरोपियों को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया था।
Created On :   11 July 2020 9:21 PM IST