बंगाल सरकार के मुकदमे पर एजी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, सीबीआई पर केंद्र का कोई नियंत्रण नहीं

AG told Supreme Court on Bengal governments case, Center has no control over CBI
बंगाल सरकार के मुकदमे पर एजी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, सीबीआई पर केंद्र का कोई नियंत्रण नहीं
पश्चिम बंगाल बंगाल सरकार के मुकदमे पर एजी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, सीबीआई पर केंद्र का कोई नियंत्रण नहीं

डिजिटल डेस्क, कोलकाता । अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई एक वैधानिक रूप से अनुरक्षित (स्वायत्त) निकाय है और इस तरह से जांच एजेंसी किसी मामले की जांच करती है तो केंद्र उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटार्नी जनरल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा सामान्य सहमति के वापस लेने के बावजूद सीबीआई द्वारा राज्य में अपराधों के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने के खिलाफ दायर मूल मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत संघ का दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम या अधिनियम की धारा 6 के तहत आपराधिक मामले दर्ज करने से कोई लेना-देना नहीं है।

एजी ने जोर देकर कहा कि जहां सीबीआई पार्टी नहीं है, लेकिन केंद्र एक पार्टी है, वहां मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने से संबंधित मामलों में सीबीआई पर केंद्र का कोई नियंत्रण नहीं है और सीबीआई एक स्वायत्त निकाय है। पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें राज्य में में चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान महिलाओं के खिलाफ हत्या और अपराधों के मामलों की जांच सीबीआई को करने का निर्देश दिया गया था। पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ के समक्ष दलील दी कि राज्य सरकार के मुकदमे की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने यह कहते हुए दलील पेश रखी कि दूसरे पक्ष ने नियमों का पूरा मजाक बनाया है।

राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के लिए सामान्य सहमति वापस लेने के बाद प्रतिवादी द्वारा मामलों के पंजीकरण को असंवैधानिक घोषित करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। एजी ने कहा कि केंद्र ने न तो एक भी मामला दर्ज किया है और न ही उसके पास मामला दर्ज करने का अधिकार है। पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत अपने मूल दीवानी मुकदमे में तर्क दिया कि सीबीआई जांच के साथ आगे बढ़ रही है और इसकी मंजूरी के बिना प्राथमिकी दर्ज कर रही है, जैसा कि कानून के तहत अनिवार्य है।

एजी ने दोहराया कि सीबीआई एक स्वायत्त निकाय है और भारत संघ ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है या किसी भी मामले की जांच नहीं की है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कथित तौर पर किए गए अपराधों की जांच के संबंध में सीबीआई पर अधीक्षण करने के लिए सीवीसी अधिनियम के तहत शक्ति दी गई है। उन्होंने आगे कहा, लेकिन सीवीसी भी सीबीआई को किसी विशेष तरीके से किसी मामले की जांच या निपटान करने के लिए नहीं कह सकता है। डीएसपीई और उसके अधिकारी स्वायत्त हैं और यहां तक कि सीवीसी भी जांच की शक्ति में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।

(आईएएनएस)

Created On :   16 Nov 2021 10:30 PM IST

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