दिल्ली के बाद पंजाब के किसान मांगों को लेकर चंडीगढ़ बॉर्डर पर जुटे

After Delhi, farmers of Punjab gathered at Chandigarh border for demands
दिल्ली के बाद पंजाब के किसान मांगों को लेकर चंडीगढ़ बॉर्डर पर जुटे
नई दिल्ली दिल्ली के बाद पंजाब के किसान मांगों को लेकर चंडीगढ़ बॉर्डर पर जुटे
हाईलाइट
  • भीषण गर्मी से किसानों का मनोबल नहीं टूटेगा

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल नवंबर में दिल्ली की सीमा पर तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ सालभर से चल रहे विरोध प्रदर्शन के खत्म होने के बाद अब पंजाब के सैकड़ों किसान मंगलवार को राज्य के बाहरी इलाके चंडीगढ़ बॉर्डर पर जुट गए।

वे समय से पहले गर्मी शुरू हो जाने के कारण फसल का नुकसान झेलने वाले किसानों के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजे की मांग कर रहे हैं। किसानों की अन्य प्रमुख मांगों में मक्का, बासमती और मूंग (दाल) की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य शामिल है, जिसका सरकार ने आश्वासन दिया है। मगर उन्हें 18 जून से धान की रोपाई शुरू करने के चौंकाने वाले फरमान और प्रीपेड बिजली मीटर स्थापित नहीं किए जाने पर आपत्ति है।

उन्होंने मांगें पूरी नहीं होने पर चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करने के लिए बुधवार को सीमाओं पर लगाए गए बैरिकेडों को तोड़ने की धमकी दी। सुबह जब मुख्यमंत्री भगवंत मान 16 सदस्यीय संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से उनकी मांगों को लेकर मुलाकात नहीं कर पाए और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इस पर प्रदर्शनकारी किसानों का गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने शिकायतें सुनने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा प्रतिनियुक्त सरकारी पदाधिकारियों से मिलने से इनकार कर दिया।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, इस भीषण गर्मी से किसानों का मनोबल नहीं टूटेगा और वे चंडीगढ़ सीमा पर धरना स्थलों को तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। किसान नेताओं ने कहा कि बढ़ती गर्मी कोई चुनौती नहीं है, क्योंकि उन्होंने सभी आवश्यक सुविधाओं, जैसे कूलर या ठंडे पेयजल की व्यवस्था से खुद को लैस कर लिया है। भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल ने मीडिया को बताया कि उनके पास 15 मांगों का एक चार्टर है, जिसमें सरकार द्वारा तय किए गए 18 जून के बजाय 10 जून से किसानों को धान रोपाई करने की अनुमति देना शामिल है।

उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार द्वारा 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की गई थी, लेकिन किसानों को यह केवल गेहूं और धान पर मिल रहा था। उन्होंने कहा, किसान संघों की सरकार के साथ दो दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन सरकार अब तक उनकी मांगों को पूरा करने में विफल रही है। इसलिए हमें आज से धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हालांकि धरना स्थल से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को नाकाबंदी से छूट दी गई है।

लेकिन किसानों, खेत मजदूरों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के राजधानी के प्रवेश बिंदुओं पर बैठने से यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने मुख्यमंत्री मान की आलोचना करते हुए कहा कि वह किसानों की चिंताओं को दूर किए बिना अपने समकक्ष अरविंद केजरीवाल से मिलने दिल्ली चले गए। उन्होंने ट्वीट किया, जिस तरह से भगवंत मान ने किसानों को बीच में छोड़ दिया और अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए दिल्ली के लिए रवाना हुए, यह दर्शाता है कि उन्हें पंजाब के किसानों की कितनी चिंता है! इसका मतलब है कि दिल्ली में किसान आंदोलन को आप का मिला समर्थन राजनीति से प्रेरित और राजनीतिक लाभ के लिए था!

 

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Created On :   17 May 2022 10:00 PM IST

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