विदेश नीति: घरेलू राजनीतिक परिस्‍थितियों कें कारण है भारत की "आक्रामक " विदेश नीति : उज्जल दोसांझ

घरेलू राजनीतिक परिस्‍थितियों कें कारण है भारत की आक्रामक  विदेश नीति : उज्जल दोसांझ
  • भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण राजनयिक संबंध
  • उज्जल दोसांझ ने तत्काल नरमी लाने का किया आह्वान
  • कनाडाई को वीजा न देने से आम भारतीय-कनाडाई लोगों को नुकसान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों में तत्काल नरमी लाने का आह्वान करते हुए, ब्रिटिश कोलंबिया के पूर्व प्रधान मंत्री और पूर्व कनाडाई स्वास्थ्य मंत्री उज्जल दोसांझ ने जोर देकर कहा कि भारत की "आक्रामक " विदेश नीति उसकी घरेलू राजनीतिक परिस्‍थितियों कें कारण है। कनाडाई नागरिकों को वीजा न देने से आम भारतीय-कनाडाई लोगों को नुकसान होगा।

उन्होंने आईएएनएस से कहा,“आप सिर्फ इसलिए सामूहिक सज़ा नहीं दे सकते, क्योंकि कुछ लोगों ने ग़लती की है। यह हम जैसे लोग ही हैं, जो पीड़ित हैं।'' कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को गोली मारने के मामले में कनाडाई प्रधान मंत्री ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया। इसके कारण अब 41 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया है और भारत से वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

दोसांझ, जिन्होंने 80 के दशक में सार्वजनिक रूप से खालिस्तानियों से लोहा लिया था और एक बड़े हमले में बच गए थे, का मानना है कि कनाडा में केवल एक छोटी सी पंजाबी आबादी ही खालिस्तान की मांग उठाती है और बहुसंख्यक भारत समर्थक है। स्थिति को अधिक परिपक्वता से संभाला जा सकता था। “हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि (जस्टिन) ट्रूडो खालिस्तानियों से घिरे हुए हैं। लेकिन उन्हें सबूत के साथ संसद में बयान देना चाहिए था।''

इस बात पर जोर देते हुए कि कनाडा जैसे स्वतंत्र देश में खालिस्तान की मांग करने में कुछ भी गलत नहीं है, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को ध्यान में रखते हुए, कनाडाई प्रधान मंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह भारत के विभाजन का समर्थन नहीं करते हैं।

हाल ही में कसौली में खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव में शामिल दोसांझ ने कहा कि भारत की धारणा के विपरीत, खालिस्तान के विचार की कनाडा के चुनावों में बहुत कम भूमिका है। यह मानते हुए कि दोनों देशों के नेताओं द्वारा दिखाई गई थोड़ी अधिक परिपक्वता भारत-कनाड संबंधों को वापस पटरी पर लाने में सहायक हो सकती है, उनका कहना है कि भारतीय पक्ष को भी संवेदनशील होने की जरूरत है। ट्रूडो के पास इस मुद्दे को उठाने के लिए अन्य मंच थे और संसद में इस तरह का बयान नहीं देना था। भारतीय पक्ष घरेलू लाभ के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का उपयोग करना बंद कर सकता है।

आईएएनएस

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Created On :   23 Oct 2023 9:42 AM IST

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