छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023: आदिवासी बाहुल्य बलरामपुर जिले में दोनों विधानसभा सीट रामानुजगंज और सामरी में कांग्रेस बीजेपी के बीच होता है कड़ा मुकाबला, निर्णायक मोड़ में होते है एसटी मतदाता

आदिवासी बाहुल्य बलरामपुर जिले में दोनों विधानसभा सीट रामानुजगंज और सामरी में कांग्रेस बीजेपी के बीच होता है कड़ा मुकाबला, निर्णायक मोड़ में होते है एसटी मतदाता
  • छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में तीन विधानसभा क्षेत्र
  • आदिवासी बाहुल्य रामानुजगंज और सामरी
  • वनाचंल एरिया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में दो विधानसभा सीट रामानुजगंज और सामरी विधानसभा सीट है। दोनों ही सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। जिले में कांग्रेस की मजबूत स्थिति है। 17 जनवरी 2022 को सरगुजा जिले से अलग होकर बलरामपुर-रामानुजगंज जिला अस्तित्व में आया। आपको बता दें जिले की दोनों सीटे आदिवासी बाहुल्य है, और चुनाव में भी ये वर्ग ही अहम भूमिका में होता है।

बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है तातापानी जो प्राकृतिक रूप से निकलते गरम पानी के लिए प्रदेशभर में प्रसिद्ध है। यहां के कुण्डों व झरनों में धरातल से बारह महीने गरम पानी आता है इसलिए इस स्थल का नाम तातापानी रखा गया है।

रामानुजगंज विधानसभा सीट

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रामानुजगंज सीट पर आदिवासी समाज का दबदबा है। इस वर्ग में भी उरांव,कंवर, गोंड,खैरवार,कोरवा समूह का वर्चस्व है। यहां करीब 65 फीसदी एसटी वर्ग के मतदाता है। 25 फीसदी पिछड़ा वर्ग भी चुनाव में अहम भूमिका निभाता है। रामानुजगंज विधानसभा में बलरामपुर और रामानुजगंज दो शहर आते है। वनाचंल होने के चलते रामानुजगंज विधानसभा में अधिकतर लोगों का जीवनयापन वनों पर निर्भर रहता है। आज भी कई गांव बुनियादी सुविधाओं से दूर है।

2018 में कांग्रेस से बृहस्पत सिंह

2013 में कांग्रेस से बृहस्पत सिंह

2008 में बीजेपी से रामविचार नेताम

2003 में बीजेपी से राम विचार नेताम

सामरी विधानसभा सीट

सामरी विधानसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां 70 फीसदी के करीब एसटी मतदाता है। जंगलों से घिरी सामरी सीट झारखंड की सीमा से सटी होने के साथ साथ बॉक्साइट की खदानों से पटी पड़ी हुई है। प्रदेश को आर्थिक मजबूती प्रदान करने वाला ये क्षेत्र नक्सल वाद से प्रभावित है। यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली समेत बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से स्थानीय युवा चिंतित है।

2018 में कांग्रेस से चिंतामणि

2013 में कांग्रेस से डॉ प्रीतम सराम

2008 में बीजेपी से सिद्धनाथ फैकरा

2003 में बीजेपी से सिद्धनाथ पैकरा

छत्तीसगढ़ का सियासी सफर

1 नवंबर 2000 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत देश के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। शांति का टापू कहे जाने वाले और मनखे मनखे एक सामान का संदेश देने वाले छत्तीसगढ़ की सियासी लड़ाई में कई उतार चढ़ाव देखे। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है, जिनमें से 4 अनुसूचित जनजाति, 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा सीटों की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट है,इसमें से 39 सीटें आरक्षित है, 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, 51 सीट सामान्य है।

प्रथम सरकार के रूप में कांग्रेस ने तीन साल तक राज किया। राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तीन साल तक जोगी ने विधानसभा चुनाव तक सीएम की गद्दी संभाली थी। पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनी। उसके बाद इन 23 सालों में 15 साल बीजेपी की सरकार रहीं। 2003 में 50,2008 में 50 ,2013 में 49 सीटों पर जीत दर्ज कर डेढ़ दशक तक भाजपा का कब्जा रहा। बीजेपी नेता डॉ रमन सिंह का चौथी बार का सीएम बनने का सपना टूट गया। रमन सिंह 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा कार्यकाल में सीएम रहें। 2018 में कांग्रेस ने 71 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई और कांग्रेस का पंद्रह साल का वनवास खत्म हो गया। और एक बार फिर सत्ता से दूर कांग्रेस सियासी कुर्सी पर बैठी। कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और सरकार बनाई।

Created On :   29 Sept 2023 7:13 PM IST

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