भास्कर हिंदी एक्सक्लूसिव: छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की तीन सीटों पर कांग्रेस बीजेपी को चुनावी चुनौती देती गोंडवाना गणतंत्र पार्टी

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की तीन सीटों पर कांग्रेस बीजेपी को चुनावी चुनौती देती गोंडवाना गणतंत्र पार्टी
  • प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर कोरिया जिला
  • तीन विधानसभा सीट भरतपुर -सोनहत, मनेंद्रगढ़ और बैकुण्ठपुर
  • कांग्रेस का मजबूत गढ़ में त्रिकोणीय मुकाबला
  • छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरिया जिले में तीन विधानसभा सीट भरतपुर -सोनहत, मनेंद्रगढ़ और बैकुण्ठपुर विधानसभा सीट आती है। कोरिया जिले की तीनों सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है। एक सीट भरतपुर सोनहत सीट एसटी वर्ग के लिए सुरक्षित है वहीं दो सीट मनेंद्रगढ़ और बैकुण्ठपुर सामान्य सीट है।

कोरिया जिले की तीनों सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है। एक सीट भरतपुर सोनहत सीट एसटी वर्ग के लिए सुरक्षित है वहीं दो सीट मनेंद्रगढ़ और बैकुण्ठपुर सामान्य सीट है। छ्त्तीसगढ़ के अन्य जिलों की तुलना में कोरिया की सबसे अधिक सीमा मध्यप्रदेश से मिलती है। कर्क रेखा भी इस जिले से गुजरती है। कोरबा में विद्धुत संयत्र होने के साथ साथ कोयले, चूना पत्थर, रेड ऑक्साइड का भंडार है। जिले में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्धान छ्त्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नेशनल पार्क है। आदिवासी बाहुल्य वाला कोरिया छ्त्तीसगढ़ का सबसे खूबसूरत जिला है। जिले में खूबसूरत जलप्रपात मौजूद है। खुदाई में यहां मौर्यकालीन पुरातात्विक अवशेष मिले है।

भरतपुर -सोनहत विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से गुलाब कमरो

2013 में बीजेपी से चंपादेवी पावले

2008 में बीजेपी से फूलचंद सिंह

मनेंद्रगढ़ से अलग होकर भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 2003 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था,सीट पर पहली बार 2008 में पहला चुनाव हुआ था, इसके बाद 2013 और 2018 में विधानसभा हुआ था। दो बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस प्रत्याशी ने यहां से जीत हासिल की है। यहां बीजेपी, कांग्रेस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होता है। यहां 8 फीसदी अनुसूचित जाति और 60 फीसदी के करीब अनुसूचित जनजाति वर्ग की संख्या है।

यहां गोंड मतदाता निर्णायक भूमिका में होता है। गोंड वोटर्स के अलावा कंवर और खैरवार समुदाय के मतदाताओं की तादाद भी अच्छी खासी है, जो चुनाव को किसी भी दिशा में मोड़ने की ताकत रखते है।2011 की जनगणना के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण है,जबकि करीब 10 फीसदी मतदाता शहरी है।

आपको बता दें पिछले साल 2022 में कोरिया से अलग कर मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर एक नया जिला बनाया था। क्षेत्र में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। जंगली इलाका होने के कारण जानवरों के हमले से लोगों का हमेशा डर बना रहता है। कागजों पर दौड़ने वाला विकास जमीन पर नजर नहीं आता है। बिजली समस्या से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है , सड़क पर गड्ढें ही गड्ढें नजर आते है। सड़क और साफ सफाई यहां की बड़ी समस्या है।

मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से डॉॉ विनय जयसवाल

2013 में बीजेपी से श्याम बिहारी जयसवाल

2008 में बीजेपी से दीपक कुमार पटेल

2003 में कांग्रेस से गुलाब सिंह

मनेंद्र गढ़ विधानसभा सीट सामान्य है। 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अब तक मनेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र में चार बार बिधानसभा चुनाव हुए है। जिसमें से दो बार 2008, 2013 में बीजेपी और दो बार 2013 और 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच होने वाली सीधी टक्कर में जीजीपी खनन पैदा करती है। जीजीपी के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो जाता है।

जातीय समीकरण की बात की जाए तो क्षेत्र में सभी जातियों का मिला जुला रूप देखने को मिलता है। इलाके में समस्याओं का अंबार है।बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के साथ साथ लोगों के पलायन की समस्या कम होने की बजाय दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। जिसके चलते यहां से परिवार के परिवार पलायन कर जाते है। क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी है।

बैकुण्ठपुर विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से अंबिका सिंहदेव

2013 में बीजेपी से भैयालाल राजवाड़े

2008 में बीजेपी से भैयालाल राजवाड़े

2013 में कांग्रेस से डॉ राम चंद्र सिंह देव

बैकुण्ठपुर विधानसभा सीट भी सामान्य सीट है। सीट पर डॉ रामचंद्र सिंहदेव का दबदबा है। वो यहां 6 बार चुनाव जीते थे। वर्तमान समय में उनकी भतीजी अंबिका सिंहदेव विधायक है। ऐसे में कहा जा सकता है कि प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस इलाके की राजनीतिक विरासत भी बड़ी समृद्ध है। 2008 के विधानसभा चुनाव में पहली बार यहां से बीजेपी जीती थी।

छत्तीसगढ़ का सियासी सफर

1 नवंबर 2000 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत देश के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। शांति का टापू कहे जाने वाले और मनखे मनखे एक सामान का संदेश देने वाले छत्तीसगढ़ ने सियासी लड़ाई में कई उतार चढ़ाव देखे। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है, जिनमें से 4 अनुसूचित जनजाति, 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा सीटों की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट है,इसमें से 39 सीटें आरक्षित है, 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, 51 सीट सामान्य है।

नवगठित छत्तीसगढ़ में पहली सरकार के रूप में कांग्रेस ने तीन साल तक राज किया। राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तीन साल तक जोगी ने विधानसभा चुनाव तक सीएम की गद्दी संभाली थी। पहली बार 2003 में विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनी। उसके बाद इन 23 सालों में 15 साल बीजेपी की सरकार रहीं। 2003 में 50,2008 में 50 ,2013 में 49 सीटों पर जीत दर्ज कर डेढ़ दशक तक भाजपा का कब्जा रहा। 2018 में कांग्रेस की बंपर जीत से बीजेपी नेता डॉ रमन सिंह का चौथी बार का सीएम बनने का सपना टूट गया। रमन सिंह 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा कार्यकाल में सीएम रहें। 2018 में कांग्रेस ने 71 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई और कांग्रेस का पंद्रह साल का वनवास खत्म हो गया। और एक बार फिर सत्ता से दूर कांग्रेस सियासी गद्दी पर बैठी। कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और सरकार बनाई।

Created On :   4 Oct 2023 7:24 PM IST

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