सुप्रीम की समयसीमा पर सवाल: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर चिंता जाहिर की

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर चिंता जाहिर की
  • सुपर संसद की तरह काम करेंगे जज
  • राष्ट्रपति देश का सबसे सर्वोच्च पद
  • अब जज विधायी चीजों पर फैसला करेंगे -उपराष्ट्रपति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में सर्वोच्च अदालत द्वारा दिए गए एक फैसले पर चिंता जाहिर की। उपराष्ट्रपति ने कहा भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां जज कानून बनाएंगे और कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और सुपर संसद का काम करेंगे। उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं होगी क्योंकि इस देश का कानून उन पर लागू ही नहीं होता।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अपने जीवन में मैंने ऐसे दिन की कल्पना नहीं की थी। राष्ट्रपति संविधान की सुरक्षा की शपथ लेते हैं। राष्ट्रपति देश का सबसे सर्वोच्च पद है। सांसद, मंत्री, उपराष्ट्रपति और जजों को संविधान का पालन करना होता है। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिए जाएं। आपको सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के तहत संविधान की व्याख्या का अधिकार है और वह भी 5 या उससे ज्यादा जजों की संविधान पीठ ही कर सकती है।

उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा के प्रशिक्षुओं के एक आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शीर्ष कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें इसे लेकर बेहद संवेदनशील होने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा हमने इस दिन की कल्पना नहीं की थी, जहां राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने के लिए कहा जाएगा और अगर वे फैसला नहीं लेंगे तो कानून बन जाएगा।

आपको बता दें उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का जिक्र किया, जिसमें कोर्ट ने किसी विधेयक पर राष्ट्रपति को सोचने विचारने और फैसला लेने के लिए 3 महीने का समय सीमा तय की। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने को कहा जा रहा है।

Created On :   17 April 2025 5:32 PM IST

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