नई संसद में सब कुछ बदला लेकिन कारपेट का रंग नहीं बदल सकी मोदी सरकार, क्या है उस रंग से जुड़ा दिलचस्प इतिहास

नई संसद में सब कुछ बदला लेकिन कारपेट का रंग नहीं बदल सकी मोदी सरकार, क्या है उस रंग से जुड़ा दिलचस्प इतिहास
  • देश को मिला नया लोकतंत्र का मंदिर
  • पीएम मोदी करेंगे इनोग्रेशन
  • कल होगा नए सदन का उद्घाटन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण हो चुका है। जिसका इनोग्रेशन 28 मई 2023 को होने वाला है। इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए देश के अलग-अलग जगहों से धार्मिक गुरुओं को आमंत्रित किया गया है। नई संसद पुरानी संसद से पूरी तरह अलग है। जिसके निर्माण और सज्जा के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से वस्तुओं को मंगाया गया है। पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा से बांस, राजस्थान से संगमरमर तो देश के सबसे साफ- सुथरा शहर इंदौर से अशोक चक्र मंगाया गया है, जो नए संसद भवन की खूबसूरती को बढ़ाने में और चार चांद लगाएंगे।

गोलाकार रूप में बनी पुरानी सांसद से नया सदन पूरी तरह अलग है। लेकिन तमाम चीजें बदल जाने के बावजूद एक चीज नहीं बदली है वो लोकसभा एवं राज्यसभा में बिछाई गई ग्रीन और रेड कारपेट्स। दोनों सदनों में काफी अंतर है लेकिन केंद्र की सरकार ने इन कारपेट्स को क्यों नहीं बदला इस बात को लेकर चर्चाएं तेज हैं। आम जनों का सोचना है कि पुराने सदन से सबकुछ अलग होने के बावजूद भी राज्यसभा की रेड कारपेट और लोकसभा की ग्रीन कारपेट नहीं बदली गई है। तो आइए हम बताते हैं कि आखिर वो क्या वजह है जो सरकार ने सदन के आकार से लेकर आतंरिक वस्तुओं को पूरे तरह से बदलने के बाद भी इस कालीन को नहीं बदला है।

लोकतंत्र का मंदिर है सदन

सदन को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है जहां पर आम नागरिकों की हितों की रक्षा जन प्रतिनिधी करते हैं। संसद भवन में दो सदन होते हैं। जिनमें पहला राज्यसभा सदन होता है जिसको उच्च सदन के नाम से भी जाना जाता है। जबकि दूसरा लोकसभा सदन होता है, जिसे निम्न सदन कहते हैं। जहां पर जनप्रतिनिधी सीधे तौर पर चुन कर जाते हैं।

लोकसभा में क्यों होता है ग्रीन कारपेट

आपने गौर किया होगा तो लोकसभा में नीचे बिछाए गए कारपेट का रंग हरा होता है जिसका अर्थ होता है कि इस सदन में जो भी जन प्रतिनिधी आया है वो जमीन से जुड़ा हुआ है। लोकसभा में आए जन प्रतिनिधी सीधेतौर पर आम जनता से चुनकर सदन में पहुंचा होता है। साथ ही हरे रंग होने का एक और वजह बताई जाती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसे एक सिंबल के तौर पर लोकसभा में हरे रंग की कालीन से दर्शाने का काम किया जाता है।

राज्यसभा में लाला रंग होने के दो कारण

वहीं उच्च सदन यानी राज्यसभा में लाल रंग का कारपेट होता है। इस सदन में प्रतिनिधी सीधे तौर पर चुन कर नहीं आते हैं। जबकि वो जन प्रतिनिधियों द्वारा चुन कर भेजे हुए सदस्य होते हैं। राज्यसभा में रेड कालीन बिछाने के दो कारण हैं। पहला लाल रंग राजसी गौरव का प्रतीक है। जबकि दूसरी मुख्य वजह लाल रंग को स्वाधीनता संग्राम में शहीदों के बलिदान का प्रतीक समझा जाता है। जिसकी वजह से राज्यसभा में रेड कारपेट बिछाया जाता है।

मोदी सरकार इसी बात का ख्याल रखते हुए नए सदन के हर चीज को बदल दिया लेकिन राज्यसभा और लोकसभा में स्थित लाल और हारे कारपेट को नहीं बदला जिसका मुख्य कारण उससे जुड़ी पुरानी धाराए हैं।

Created On :   27 May 2023 4:25 PM IST

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