धार में चेहरा और जाति की धार, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धार नगरी में विकास के दावे दिलाते है जीत
- धार में भारतीय चित्रकला का अनूठा नजारा
- धरमपुरी विधानसभा में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मांडू
- 7 विधानसभा सीटों में 5 एसटी के लिए आरक्षित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धार जिला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्व रखता है। पहले यह धार नगरी के नाम से जाना जाता था। 1857 स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में धार महत्वपूर्ण केंद्र था। बाग नदी के किनारे स्थित गुफाएं ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। भारतीय चित्रकला का अनूठा नजारा यहां नजर आता है, 5वीं और 6वीं शताब्दी की चित्रकला यहां देखने को मिलती है। यहां की बौद्धकला भारत ही नहीं एशिया में भी प्रसिद्ध है।
धार जिले में सात विधानसभा सीटें सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी,मनावर,धरमपुरी, धार और बदनावर है। धार में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मतदाता सबसे अधिक है। उसके बाद ओबीसी और अनुसूचित जाति समुदाय के वोटर्स है। सामान्य समुदाय और अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाता भी निर्णायक भूमिका में होते है। सात विधानसभा सीटों में से 5 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, वहीं दो सीट सामान्य वर्ग के लिए सुरक्षित है। सियासी नक्शे पर धार जिला भले ही चमकता हो लेकिन विकास के नक्शे पर तस्वीर धुंधली नजर आती है। और जनता सुविधाओं के लिए तरसती रह जाती है।
सरदारपुर विधानसभा सीट
सरदारपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। आदिवासी बाहुल्य सीट पर दो लाख के करीब मतदाता है। सीट पर ओबीसी से आने वाले पटेल समुदाय के वोट भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते है। धार जिले का मांडव विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है, जहां हर साल हजारों विदेशी पर्यटक आते हैं।
2018 में कांग्रेस के प्रताप ग्रेवाल
2013 में बीजेपी से वेल सिंह भूरिया
2008 में कांग्रेस से प्रताप ग्रेवाल
2003 में बीजेपी से मुकाम सिंह निगवाल
1998 में कांग्रेस से गणपत सिंह पटेल
1993 में कांग्रेस से गणपत सिंह पटेल
1990 में कांग्रेस से गणपत सिंह पटेल
1985 में कांग्रेस के गणपत सिंह पटेल
1980 में कांग्रेस से मूलचंद पटेल
1977 में कांग्रेस से मूलचंद पटेल
1972 में कांग्रेस से बाबू सिंह अलावा
गंधवानी विधानसभा सीट
अनुसूचित जनजाति आरक्षित गंधवानी विधानसभा सीट पर कांग्रेस नेता उमंग सिंघार का दबदबा है, हाल ही उन्होंने प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री मनाने की मांग को लेकर चुनाव के सियासी माहौल में गरमाहट पैदा कर दी है। 2008 परीसीमन के बाद गंधवानी सीट अस्तित्व में आई । 2008,2013 और 2018 विधानसभा चुनाव में उमंग सिंघार ही जीतते आ रहे है।
बदनावर विधानसभा सीट
बदनावर विधानसभा सीट पर हमेशा से जातिगत समीकरण प्रभावी फैक्टर रहा है। आजादी से लेकर अभी तक यहां से निर्दलीय उम्मीदवार को जीत नसीब नहीं हुई है। अभी तक यहां कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला रहा है। यहां राजपूत और पाटीदार समाज की तादाद अन्य समुदाय से सबसे अधिक है।
2018 में कांग्रेस से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव
2013 में बीजेपी से भंवरसिंह शेखावत
2008 में कांग्रेस से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव
2003 में कांग्रेस में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव
1998 में बीजेपी से खेमराज पाटीदार
1993 में बीजेपी से रमेशचंद्र सिंह राठौर
1990 में कांग्रेस से प्रेमसिंह दत्तीगांव
1985 में बीजेपी से रमेशचंद्र सिंह राठौर
1980 कांग्रेस से रघुनाथ सिंह माथुर
1977 में जनसंघ से गोवर्धनलाल शर्मा
1972 में कांग्रेस चिरोंजीलाल गुप्ता
1967 में जनसंघ से गोवर्धन लाल शर्मा
1962 में जनसंघ से गोवर्धन लाल शर्मा
1957 कांग्रेस से मनोहर सिंह मेहता कांग्रेस
1951 कांग्रेस से गोपाल प्रसाद
धार विधानसभा सीट
धार में शिक्षा,परिवहन और पेयजल की समस्या बनी रहती है। धार को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। पीथमपुर में औद्योगिक विकास के चलते बहुत तेजी से शहरीकरण तो हुआ है। लेकिन आवश्यकताओं के लिहाज से सुविधाओं में पिछड़ गया है। यहां आज भी कई सुविधाओं की दरकरार है। पीथमपुर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से लेकर अन्य कई बुनियादी जरूरतों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। धार विधानसभा सीट पर तीन लाख के करीब मतदाता है। सीट पर किसी एक पार्टी का कब्जा नहीं रहा है।
2018 में बीजेपी से नीना वर्मा
2013 में बीजेपी से नीना वर्मा
2008 में बीजेपी से नीना वर्मा
2003 में बीजेपी से जसवंत सिंह राठौर
1998 में कांग्रेस से करण सिंह पवार
1993 में बीजेपी से विक्रम वर्मा
1990 में बीजेपी से विक्रम वर्मा
1985 में कांग्रेस से मोहन सिंह बुंदेला
1980 में बीजेपी से विक्रम वर्मा
1977 में जेएनपी से विक्रम वर्मा
1972 में कांग्रेस से सुरेद्र सिंह
कुक्षी विधानसभा सीट
कुक्षी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यहां एसटी वोटर्स की संख्या अन्य समुदायों से अधिक है, आदिवासी मतदाता ही यहां निर्णायक भूमिका में होते है। सीट पर पाटीदार समुदाय की तादाद भी चुनावी नतीजों को प्रभावित करती है।
2018 में कांग्रेस से सुरेंद्र सिंह बघेल
2013 में कांग्रेस से सुरेंद्र सिंह बघेल
2011 में बीजेपी से मुकाम सिंह
2003 में कांग्रेस से जमुना देवी
1998 में कांग्रेस से जमुना देवी
1993 में कांग्रेस से जमुना देवी
1990 में बीजेपी रंजना बघेल
1985 में कांग्रेस से जमुना देवी
1980 में कांग्रेस से प्रताप सिंह बघेल
1977 में कांग्रेस से प्रताप सिंह बघेल
1972 में कांग्रेस प्रताप सिंह बघेल
1967 में कांग्रेस से छितू सिंह
मनावर विधानसभा सीट
मनावर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। सीट पर एसटी समुदाय की आबादी सबसे अधिक है। सीट पर करीब दो लाख वोट है। यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होती है। पिछली बार जयस नेता डॉ हीरालाल अलावा ने यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने। जयस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में यहां नाराजगी जरूर नजर आई। लेकिन उसका चुनाव पर कुछ असर पड़े ऐसा अंसभव है। जमीनी स्तर तक जयस की मजबूत पकड़ है। पानी , स्वास्थ्य, सड़क और शिक्षा की यहां बदहाल स्थिति है।
मनावर विधानसभा सीट
2018 में कांग्रेस से डॉ हीरालाल अलावा
2013 में बीजेपी से रंजना बघेल
2008 में बीजेपी से रंजना बघेल
2003 में बीजेपी से रंजना बघेल
1998 में कांग्रेस से दरियाव सिंह सोलंकी
1993 में कांग्रेस से दरियाव सिंह
1990 में बीजेपी से गजेंद्र सिंह
1985 में कांग्रेस से शिवभानु सोलंकी
1980 में कांग्रेस से शिवभानु सोलंकी
1977 में कांग्रेस से शिवभानु सोलंकी
1972 में कांग्रेस से शिवभानु सोलंकी
धरमपुरी विधानसभा सीट
धमरपुरी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। चुनाव से पहले धार जिले की धरमपुरी विधानसभा में विकास की रफ्तार के साथ नेताओं के द्वारा वादे और दावे तो खूब किए जाते है। वाद में विकास और वादे ठंडे वस्ते में चले जाते है। धरमपुरी की जनता आज बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरसते हुई नजर आती है।
सड़कों की हालत खराब है। स्वच्छता के नाम हर जगह गंदगी नजर आती है। पानी की एक एक बूंद के लिए लोग तरस जाते है। स्कूली शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा भी बदहाल नजर आती है रोजगार के अभाव में पढ़े लिखे युवा पलायन कर जाते है। सरदार सरोवर बांध से प्रभावित कई गांव के लोगों में पुनर्वास नीति को लेकर गुस्सा है। धरमपुरी विधानसभा में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मांडू है लेकिन इसके बाद भी धरमपुरी की तस्वीर नहीं बदल पाई ।
2018 में कांग्रेस के पांचीलाल मेड़ा
2013 में बीजेपी के कालू सिंह ठाकुर
2008 में कांग्रेस के पांचीलाल मेड़ा
2003 में बीजेपी के जगदीश शुक्ल
1998 में बीजेपी के जगदीश शुक्ल
1993 में काग्रेस से प्रताप सिंह बघेल
1990 में बीजेपी से झींगालाल पटेल
1985 में कांग्रेस से कीरत सिंह
1980 में कांग्रेस से कीरत सिंह
1977 में कांग्रेस से कीरत सिंह
1972 में कांग्रेस से फतेमान सिंह
Created On :   9 Aug 2023 7:56 PM IST