राजनीति में धर्म: कांग्रेस ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा की विधि विधान पर उठाए सवाल, कार्यक्रम को बताया राजनीतिक
- 22 जनवरी को रामलला प्राण प्रतिष्ठा
- कांग्रेस ने उठाए सवाल
- कार्यक्रम धार्मिक या राजनीतिक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश के अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 22 जनवरी को होने जा रही रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विपक्ष लगातार हमले कर रहे है। कांग्रेस नेताओं की ओर से राम मंदिर उद्घाटन, प्राण प्रतिष्ठा से पहले निकाली जाने वाली यात्रा, और प्रतिष्ठा होने वाली मूर्ति पर शुरु से निशाना साधा जा रहा है। अब कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने राम मंदिर के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह को राजनीतिक बताते हुए उसके धार्मिक विधि विधान को लेकर टिप्पणी की है, कांग्रेस नेता ने मीडिया से कहा है कि प्राण प्रतिष्ठापन जब किया जाता है तब उसका एक विधि विधान होता है, क्या ये कार्यक्रम धार्मिक है? अगर ये कार्यक्रम धार्मिक है तो क्या विधा विधान से कार्यक्रम किया जा रहा है? अगर ये कार्यक्रम धार्मिक है तो क्या चारों पीठों के हमारे शंकराचार्य की सलाह और देख-रेख से इस कार्यक्रम का स्वरूप तय किया जा रहा? चारों शंकराचार्य कह चुके हैं कि एक अधुरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठापन नहीं की जा सकती है। अगर ये कार्यक्रम धार्मिक नहीं है तो ये कार्यक्रम राजनीतिक है।
अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर देश के साथ साथ दुनियाभर की नजर हैं। इस दिन अयोध्या में भव्य और प्रतिष्ठित कार्यक्रम की तैयारियां तेजी से चल रही है। किसे निमंत्रण भेजा जाए और किसे नहीं, इसको लेकर पक्ष- विपक्ष के बीच खूब राजनीति हो रही है।
ये कोई पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी कई कांग्रेस नेता राम मंदिर को लेकर बयानबाजी कर चुके है। मूर्ति को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे है, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने अयोध्या राम मंदिर को लेकर कहा है कि जिस राम लला की मूर्ति पर सारा झगड़ा हुआ, वो मूर्ति कहां है? वो मूर्ति स्थापित क्यों नहीं हुई? नई मूर्ति की आवश्यकता क्या पड़ी?
Created On :   12 Jan 2024 10:25 AM GMT