भाजपा ने बिहार को लेकर तैयार किया फॉर्मूला, लेकिन चाचा-भतीजा की लड़ाई को लेकर टेंशन बरकरार
- भाजपा की रणनीति
- चाचा-भतीजा की लड़ाई
- टेंशन बरकरार
लेकिन इन सबके बीच भाजपा के सामने अभी भी चाचा-भतीजा यानी पशुपति पारस और चिराग पासवान की लड़ाई की टेंशन बरकरार है।
बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के आवास पर बिहार भाजपा कोर ग्रुप के नेताओं ने कई घंटे तक मैराथन बैठक कर 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन और सीट बंटवारे का फॉमूर्ला लगभग तैयार कर लिया है। बिहार से लोक सभा के 40 सांसद चुन कर आते हैं। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा इन 40 सीटों में से स्वंय 29 या 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकी बची 10 या 11 सीट अपने सहयोगी दलों को देगी।
बिहार में पार्टी की रणनीति को तय करने में बड़ी भूमिका अदा कर रहे पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में बनने वाले संभावित गठबंधन यानी एनडीए के विस्तार के बाद बनने वाले गठबंधन को देखते हुए पार्टी के बिहार कोर ग्रुप के नेताओं ने सैद्धातिंक तौर पर सीट बंटवारें के फॉमूर्ला को लेकर यह तय किया है कि भाजपा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोजद को तीन सीटें दे सकती है। पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास), इन दोनों दलों को मिलाकर भाजपा छह सीटें दे सकती है। जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी को किसी अन्य फार्मूले पर मनाने की कोशिश की जाएगी लेकिन अगर ये दोनों दल नहीं मानते हैं तो फिर इन दोनों को भी एक-एक सीट दी जा सकती है। इस तरह से 11 सीटें सहयोगियों के खाते में चली जाएंगी और तब भाजपा 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और अगर वीआईपी के मुकेश सहनी विधान परिषद या किसी अन्य फॉमूर्ला के लिए मान जाते हैं तो भाजपा 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
लेकिन भाजपा के लिए अभी भी सबसे बड़ी चिंता चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच जारी राजनीतिक लड़ाई बनी हुई है। भाजपा दोनों को मिलाकर 6 सीटों से ज्यादा किसी भी सूरत में नहीं देना चाहती है। वर्तमान में पशुपति पारस के पास स्वयं को मिलाकर पांच सांसद है जबकि चिराग पासवान अकेले हैं। चिराग इस बात के लिए कतई तैयार नहीं होंगे कि उनके चाचा को पांच सीट दी जाए और उन्हें सिर्फ एक। वहीं पशुपति पारस भी इस बात के लिए आसानी से तैयार नहीं होंगे कि उनके सीटिंग सांसदों की सीट काटकर उनके भतीजे के राजनीतिक दल को दे दी जाए। लेकिन सीटों से भी बड़ी लड़ाई हाजीपुर की लोक सभा सीट को लेकर है जिस पर दोनों में से कोई भी अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं है।
हाजीपुर लोक सभा सीट की पहचान दिवंगत नेता रामविलास पासवान से है। यहां से वर्तमान में चाचा पशुपति पारस सासंद हैं, जिनका यह कहना है कि उनके बड़े भाई रामविलास पासवान ने उन्हें हाजीपुर की सेवा करने के लिए चुना है तो वो इस सीट को कैसे छोड़ सकते हैं। वहीं चिराग पासवान, हाजीपुर को अपने पिता रामविलास पासवान की परंपरागत संसदीय सीट बताते हुए 2024 में यहीं से लोक सभा चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं।
आईएएनएस
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Created On :   15 Jun 2023 7:08 PM IST