न्योता नहीं मिलने से नाराज जीतन राम मांझी का 107 दिन बाद 'यूटर्न', कैबिनेट से बेटे के इस्तीफे के बाद नीतीश-मांझी के रिश्ते में फिर दरार!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का वादा एक बार फिर फीका पड़ने लगा है। इसी साल की बात है जब जीतन राम मांझी ने विधानमंडल की बैठक में कहा था, "मैं कसम खाकर कहता हूं, नीतीश जी को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।" लेकिन मांझी की इस बात को 107 दिन भी नहीं बीते हैं कि उनके बेटे संतोष सुमन ने नीतीश की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। 'हम' पार्टी की ओर से संतोष सुमन सीएम नीतीश की कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री थे। नीतीश की कैबिनेट से इस्तीफा देने के पीछे की बड़ी वजह बताते हुए संतोष सुमन ने कहा कि वे हमारी पार्टी का विलय जदयू में करने का दबाव बना रहे थे। हालांकि, संतोष सुमन ने महागठबंधन में रहने की इच्छा जताई है।
बता दें कि, पिछले साल अगस्त माह में नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन का हाथ थाम लिया था। जिसके बाद राज्य में जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस दौरान साल 2020 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़ी 'हम' पार्टी भी अपने चार विधायकों और नीतीश कुमार के साथ 2022 में महागठबंधन में शामिल हो गई थी। तब मांझी के बेटे को महागठबंधन सरकार में मंत्री बनाया गया था।
मांझी का भरोसा पड़ने लगा फीका
बिहार में एक रैली के दौरान सीएम नीतीश ने कहा था कि जीतन राम मांझी पर बीजेपी वालों की नजर है। उन्होंने कहा था कि अब जीतन राम मांझी को इधर-उधर करने की जरुरत नहीं है। हम सभी लोग मिलकर उनको आगे बढ़ाने का काम करेंगे। इसके बाद मांझी ने नीतीश को भरोसा दिलाया कि वे मुख्यमंत्री का साथ छोड़कर अब कहीं नहीं जाएंगे।
मांझी के नाराजगी का कारण
इधर, मांझी के बेटे ने भले ही महागठबंधन में रहने की बात कही है। लेकिन जीतन राम मांझी को लेकर खबरों और अटकलों का बाजार गर्म है। दरअसल, नीतीश कुमार ने राजधानी पटना में विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई है। जिसमें हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी को न्योता नहीं दिया गया है। माना जा रहा है इसलिए भी मांझी नीतीश कुमार से नाराज चल रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में सीटों के लेकर खिटपिट
हाल ही में जीतन राम मांझी और उनके बेटे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। तब उन्होंने सीएम नीतीश के सामने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। इस दौरान मांझी ने सीएम नीतीश से मांग की थी कि अगले साल लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 5 सीटों पर चुनाव लड़ने देना चाहिए। नीतीश के साथ मीटिंग के बाद मांझी ने कहा था कि हम महागठबंधन के साथ मिलकर राज्य की 5 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के लिए पांच लोकसभा सीटें भी कम है। हम जिधर भी रहेंगे, उधर जीतेंगे और इस बात से सभी लोग वाकिफ है। बाद में उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी एक लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए नहीं बनी है।
एनडीए में शामिल होने की अटकलें तेज
नीतीश कुमार के साथ मुलाकात करने से पहले जीतन राम मांझी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस दौरान मांझी ने अमित शाह से बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की थी। हालांकि इसके बाद एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया है कि मांझी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर लड़ेंगे। हालांकि मांझी इन सभी अटकलों से बचते हुए दिखाई दे रहे हैं। साथ ही वे कसमे खाते रहे हैं कि वे अब हमेशा नीतीश के साथ ही रहेंगे। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, नीतीश कुमार के बाद जीतन राम मांझी ही एक ऐसे शख्स है जो कि दल बदल करने में नीतीश कुमार को मात दे सकते हैं। क्योंकि उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव महागठबंधन के साथ लड़ा था। उसके बाद अगले साल मांझी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए से हाथ मिला लिया था।
लोकसभा चुनाव पर अटकी बात
मंत्री संतोष सुमन ने अपने पद से इस्तीफा देने के बताया कि वे (नीतीश कुमार) चाहते है कि हमारी पार्टी उनके साथ मर्ज हो जाए। जो कि हमें मंजूर नहीं है। हम अकेले संघर्ष करने के लिए तैयार है। लेकिन हम जदयू में विलय नहीं होंगे। नीतीश कुमार हमसे अपनी पार्टी को विलय करने को कहा था, लेकिन हमने साफ इनकार कर दिया है।
संतोष सुमन ने आगे कहा कि हम बीजेपी से साथ जाएंगे या नहीं यह बाद की बात है। फिलहाल हमकों अभी अस्तित्व बचना है। नीतीश कुमार हमारे अस्तिव को खत्म करना चाह रहे हैं। हम नीतीश कुमार के लिए अपनी पार्टी को कैसे तोड़ सकते हैं। अभी हम गठबंधन में हैं। हमारी पूरी कोशिश रहेगी आगे भी उसे में ही रहें। लेकिन अगर सीट नहीं देंगे, तो हम अपना रास्ता देखेंगे।
Created On :   13 Jun 2023 2:08 PM GMT