कर्नाटक: स्पीकर की दलील- स्टे हटाए SC तो इस्तीफों पर कल तक लेंगे फैसला
- CJI ने कहा- फैसला लेने के लिए हम स्पीकर को बाध्य नहीं कर सकते हैं
- CJI ने सवाल उठाते हुए कहा- जब विधायकों ने इस्तीफा दिया तो स्पीकर ने क्यों कुछ नहीं किया
- कर्नाटक के बागी विधायकों के इस्तीफे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच कांग्रेस-जेडीएस के 10 बागी विधायकों को अब सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। बागी विधायकों के इस्तीफे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि, कोर्ट इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए स्पीकर को बाध्य नहीं कर सकता है। वहीं अभी तक कोई फैसला न लेने के लिए कोर्ट ने स्पीकर को भी फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने स्पीकर से कहा, अगर आप इस्तीफे पर फैसला कर सकते हैं, तो करिए। लंबी बहस के बाद स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा, आप बंदिशें हटाइए, हम कल तक इस्तीफे और अयोग्यता पर फैसला कर लेंगे। साथ ही एक कारण भी देंगे।
दरअसल बागी विधायकों ने कोर्ट में याचिका दायर कर स्पीकर द्वारा उनके इस्तीफे को जल्द मंजूर किए जाने की मांग की थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कोर्ट में कहा, विधायकों के इस्तीफा पर फैसला सबसे पहले होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता तो उस पर इसके लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। उसका इस्तीफा स्वीकार होना चाहिए।
इस्तीफे के मामले पर सुनवाई करते हुए CJI ने कहा, कोर्ट संवैधानिक दायरे में रहकर ही काम करेगा। इस्तीफों पर स्पीकर के फैसले पर हम कोई आदेश नहीं दे सकते हैं। हम स्पीकर को इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए बाध्य भी नहीं कर सकते हैं। हम तभी कोई फैसला ले सकते हैं जब स्पीकर इस्तीफों पर कोई फैसला ले लेते हैं। चीफ जस्टिस ने विधायकों का इस्तीफा मंजूर करने में देरी को लेकर स्पीकर के रुख पर भी सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा- इस्तीफे को स्वीकार करने और अयोग्य ठहराने की तारीख क्या थी?
मुकुल रोहतगी ने कहा, सभी दस याचिकाकर्ता (बागी विधायक) 10 जुलाई को इस्तीफा दे चुके हैं। स्पीकर अगर चाहें तो फैसला ले सकते हैं, क्योंकि इस्तीफे को स्वीकार करना और अयोग्य ठहराना दो अलग-अलग फैसले हैं, लेकिन विधायकों के इस्तीफे को टालने की कोशिश की जा रही है। स्पीकर एक ही समय में इस्तीफे और अयोग्यता दोनों मुद्दों पर फैसला करने का प्रयास कर रहे हैं।
Hearing in the matter of rebel Karnataka MLAs: Mukul Rohatgi, representing 10 rebel MLAs says, "This is an attempt to scuttle their resignations. The Speaker is trying to make a decision on both the issues-resignation and disqualification-at the same time." pic.twitter.com/RkbVWxjKti
— ANI (@ANI) July 16, 2019
मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में ये भी कहा, स्पीकर इतने दिनों तक इस्तीफा रोककर नहीं रख सकते। नियम भी यही कहता है कि इस पर जल्द फैसला किया जाना चाहिए।चीफ जस्टिस ने कहा, हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए, यानी उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं। हम सिर्फ ये देख सकते हैं, संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है। CJI ने कहा, कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है।
Hearing in the matter of rebel Karnataka MLAs: Mukul Rohatgi, representing 10 rebel MLAs says, The Speaker can"t hold the resignation for so many days. The rule states it has to be decided soon." https://t.co/sAtuuF2Hs5
— ANI (@ANI) July 16, 2019
मुकुल रोहतगी ने कहा, विधायक ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं हैं, जो कि इस्तीफा देने के लिए उन्हें कारण बताना पड़े। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, आप ही बताएं ऐसे में हम क्या ऑर्डर दे सकते हैं? मुकुल रोहतगी ने इस दौरान मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा के उदाहरण भी पेश किए।
मुकुल रोहतगी के बाद स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की। उन्होंने कहा, जब अयोग्य होने पर सुनवाई जारी है तो विधायक इस्तीफा कैसे दे सकते हैं। अभिषेक मनु सिंघवी के कहा, अयोग्य वाला मामला इस्तीफा देने से पहले का ही है। इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा, अगर कोई व्यक्ति आमने-सामने इस्तीफा नहीं देता है तो क्या होता है। उन्होंने पूछा, क्या स्पीकर ने कोर्ट आने से पहले कुछ नहीं किया। उन्हें नोटिस जारी करना चाहिए था। जब विधायकों ने इस्तीफा दिया तो स्पीकर ने क्यों कुछ नहीं किया, क्यों वो लगातार कहते रहे कि वह तुरंत फैसला नहीं कर सकते हैं।
Created On :   16 July 2019 12:45 PM IST