कपिल देव: एक बेहतरीन ऑलराउंडर और वर्ल्ड कप जिताने वाला खिलाड़ी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कपिल देव, एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही सबसे पहले जेहन में 1983 का वर्ल्ड कप याद आ जाता है। इंडियन क्रिकेट टीम यूं तो खेल बहुत सालों से रही थी, लेकिन कभी वर्ल्ड कप नहीं जीत पाई थी। ऐसे में कपिल देव ही थे, जिन्होंने भारत को एहसास दिलाया कि वर्ल्ड कप जीतने की फीलिंग कैसी होती है। कपिल देव का जन्मदिन 6 जनवरी को है और आज वो 59 साल के हो गए हैं। कपिल देव ने अपने टैलेंट के दम पर टेस्ट और वनडे क्रिकेट में एक बेहतरीन ऑलराउंडर बने। एक खास बात और कि कपिल देव को कभी भी खराब फिटनेस के कारण टीम से बाहर नहीं किया गया। आइए जानते हैं उनके बर्थडे पर उनसे जुड़ी ऐसी ही इंटरेस्टिंग बातें।
Here"s wishing a very happy birthday to former #TeamIndia Captain @therealkapildev pic.twitter.com/kwdXf3y0e8
— BCCI (@BCCI) January 6, 2018
कमाल का स्ट्राइक रेट
कपिल देव की बात हो और तूफानी बैटिंग की बात न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। एक जमाने में कपिल देव की बैटिंग इतनी खतरनाक थी, कि अच्छे-अच्छे बॉलर उनके सामने घुटने टेक देते थे। वहीं कपिल देव का स्ट्राइक रेट भी काफी कमाल का रहा है। उनका स्ट्राइक रेट सचिन तेंदुलकर, विवियर रिचर्ड्स, एमएस धोनी और विराट कोहली से भी ज्यादा का रहा है। कपिल ने टीम इंडिया की तरफ से 225 वनडे मैच खेले हैं, जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 95.07 का रहा। इसका मतलब ये रहा कि अगर कपिल ने 100 बॉलें खेलीं हैं, तो 95 रन बनाए हैं। उस जमाने के हिसाब से इतना स्ट्राइक रेट बहुत कमाल का था। इसी तरह से 131 टेस्ट में कपिल का स्ट्राइक रेट 94.76 का था।
स्ट्राइक रोटेट करने में भी शानदार
अभी तो आपने कपिल देव के स्ट्राइक रेट के बारे में जाना, लेकिन स्ट्राइक रोटेट करने में भी कपिल लाजवाब थे। कपिल ने वनडे क्रिकेट में 3979 बॉलें खेलीं और रन बनाए 3783। इसमें उन्होंने 291 चौके और 67 चौके लगाए। अगर इन 358 बाउंड्रीज़ को हटा दिया जाए तो उन्होंने 3621 बॉलों में 2217 रन बनाए हैं। इसका मतलब कि कपिल देव अगर क्रीज पर हैं, तो रन तो बनेंगे ही। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कपिल देव क्रीज पर हैं और रन नहीं बन रहे हों। कपिल देव की खासियत थी कि अगर वो चौके-छक्के नहीं मार रहे हैं, तो सिंगल-डबल से रन जोड़ रहे हैं। स्ट्राइक रोटेट करने के मामले में कपिल देव, वीरेंद्र सहवाग और एडम गिलक्रिस्ट से भी आगे हैं। इसी तरह से टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 5538 बॉलों का सामना किया और 5248 रन बनाए। टेस्ट में कपिल के नाम 587 चौके और 61 छक्के लगाए हैं।
कपिल को रन आउट करना भी मुश्किल
स्ट्राइक रेट और स्ट्राइक रोटेट के मामले में तो कपिल देव काफी कमाल के थे। इसके साथ ही फिटनेस के मामले में भी कपिल का कोई तोड़ नहीं था। कपिल की ये फिटनेस उस दौर में थी, जब टीम इंडिया में फिटनेस का ध्यान नहीं रखा जाता था। कपिल जब खेलते थे तो उनकी फिटनेस सबसे अच्छी मानी जाती थी। क्योंकि कपिल विकेटों के बीच भागने में लाजवाब के थे। कपिल को रन आउट करना काफी मुश्किल था। कपिल ने टीम इंडिया के लिए 225 वनडे खेले, लेकिन सिर्फ 10 बार ही रन आउट हुए। इसके अलावा 131 टेस्ट खेले, जिसकी 184 इनिंग्स में कपिल कभी रन आउट नहीं हुए।
बॉलिंग में भी नंबर-1
अभी तक तो कपिल देव की बैटिंग और फिटनेस के बारे में चर्चा हुई है। अब जरा उनके बॉलिंग करियर पर भी नजर डाल लेते हैं। कपिल देव ही एक ऐसे बॉलर थे, जिन्होंने साबित किया कि टीम इंडिया में भी बेहतरीन बॉलर हो सकते हैं। कपिल से पहले करसन घावरी का नाम चलता था, जिन्होंने 39 टेस्ट में 109 विकेट चटकाए थे। कपिल इनसे भी कहीं आगे निकले और 434 टेस्ट विकेट लिए। इसमें से भी 23 बार कपिल ने 5 विकेट चटकाए। टेस्ट क्रिकेट में इतने विकेट लेने वाले कपिल उस जमाने में टीम इंडिया के इकलौते बॉलर थे। इसके अलावा वनडे क्रिकेट में भी कपिल ने कमाल की बॉलिंग की है। वनडे मैचों में कपिल ने 253 विकेट चटकाए थे।
कपिल देव और 1983 का वर्ल्ड कप
अगर किसी से पूछा जाए कि 1983 में क्या हुआ था? तो सब यही कहेंगे कि उस साल टीम इंडिया ने अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था। ऐसा ही कपिल देव के साथ भी है। कपिल देव का नाम आते ही लॉर्ड्स मैदान की बालकनी में वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ खड़े और होठों पर मुस्कान लिए कपिल की फोटो सामने आ जाती है। 1983 की जीत में कपिल देव का बहुत बड़ा रोल था और ये भी तय था कि अगर कपिल देव नहीं होते तो वर्ल्ड कप जीतने का सपना शायद उस साल भी अधूरा रह जाता। अगर टीम इंडिया उस वक्त वर्ल्ड कप नहीं जीतती, तो इंडिया में कभी क्रिकेट "धर्म" नहीं बन पाता। वो 1983 का वर्ल्ड कप ही था, जिसने इंडियन क्रिकेट की तस्वीर बदलकर रख दी थी। उसी का नतीजा था कि आज क्रिकेट को इंडिया में धर्म माना जाता है।
कपिल देव थे 1983 के हीरो
वर्ल्ड कप जीतने का ख्वाब देख रही टीम इंडिया और दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज के बीच 1983 वर्ल्ड कप का फाइनल लॉर्ड्स में खेला गया। मैच से पहले तक वेस्टइंडीज के ही जीतने के चांसेस थे। उस मैच में टीम इंडिया ने पहले बैटिंग की और सिर्फ 183 रन बनाए। टीम इंडिया की तरफ से के. श्रीकांत ने ही सबसे ज्यादा 38 रन बनाए थे और बाकी खिलाड़ी 30 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए थे। कपिल देव ने भी सिर्फ 15 रन बनाए। उस वक्त टीम इंडिया की कमान कपिल देव के हाथों में ही थी। उस समय 60 ओवरों के मैच होते थे और टीम इंडिया 54.4 ओवरों में ही ऑलआउट हो गई थी। इसके बाद वेस्टइंडीज की टीम उतरी, तो टीम इंडिया ने शुरुआत में ही झटका दे दिया। तीसरे नंबर पर बैटिंग करने आए विवियन रिचर्ड्स 27 बॉलों में 33 रन बनाकर सेट हो चुके थे। ये बात सबको पता थी कि अगर विवियन रिचर्ड्स टिक गए तो टीम इंडिया का वर्ल्ड कप जीतने का सपना, सपना ही रह जाएगा। इसके बाद मदन लाल की बॉल पर रिचर्ड्स ने मिडविकेट की तरफ शॉट खेला और बॉल हवा में चली गई। तभी मिडविकेट पर खड़े कपिल ने पीछे की तरफ भागते हुए रिचर्ड्स का कैच पकड़ लिया। कपिल ने वहां सिर्फ कैच ही नहीं बल्कि मैच भी पकड़ लिया था। रिचर्ड्स के जाते ही इंडीज की टीम ताश के पत्तों की तरह ढह गई। कपिल ने उस मैच में 11 ओवर डाले थे, जिसमें 21 रन देकर 1 विकेट भी लिया था। 1983 के वर्ल्ड कप को याद करते हुए रिचर्ड्स ने एक बार कहा था कि जब मैंने कपिल को पीछे भागते हुए देखा, तभी मैं समझ गया कि मैं जाने वाला हूं।
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Created On :   6 Jan 2018 5:41 AM GMT