जगन्नाथ मंदिर के खजाने की चाबी मिली, पुरी के कलेक्टर ने बताया चमत्कार
- चढ़ावे को एक कमरे में रखा जाता है
- लेकिन कुछ दिन पहले इस रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष की चाबी खो गई थी।
- ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर को लेकर आई थी
- दरअसल यहां हर रोज लाखों और करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है।
- पुरी के कलेक्टर अरविंद अग्रवाल ने बताया कि पांच दिन की तलाश के बाद बुधवार को जिला रिकॉर्ड कक्ष के लॉकर के अंदर भूरे रंग के एक सीलबंद लिफाफे में रखी डुप्लीकेट चाबी मिली।
डिजिटल डेस्क, भुवनेश्वर । देश के सबसे बड़े मंदिरों में से एक जगन्नाथ मंदिर को लेकर आई एक खबर ने देश के बाकी मंदिरों को हिला दिया था। खबर ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर को लेकर आई थी, दरअसल यहां हर रोज लाखों और करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। चढ़ावे को एक कमरे में रखा जाता है, लेकिन कुछ दिन पहले इस रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष की चाबी खो गई थी। जिसके बाद काफी हंगामा हुआ, लेकिन अब खबर आई है कि चाबी मिल गई है। पुरी के कलेक्टर अरविंद अग्रवाल ने बताया कि पांच दिन की तलाश के बाद बुधवार को जिला रिकॉर्ड कक्ष के लॉकर के अंदर भूरे रंग के एक सीलबंद लिफाफे में रखी डुप्लीकेट चाबी मिली। उन्होंने इस वाकये को भगवान का चमत्कार बताया।
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उन्होंने बताया कि चाबी की तलाश कर रहे चार पुलिसकर्मियों को भूरे रंग का ये लिफाफा बरामद हुआ। इस पर रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबी लिखा था। उन्होंने कहा, "ये चमत्कार है। हम सब खोजबीन में लगे हुए थे और हमें कल भगवान की मौजूदगी का अहसास हुआ। काफी खोजने के बाद भी चाबी नहीं मिलने पर मैंने खुद को पूरी तरह से भगवान के आगे समर्पित कर दिया था।
हालांकि अग्रवाल ने बताया कि सीलबंद लिफाफा बरामद किया गया है। वैसे अभी इस बात की पुष्टि की जानी बाकी है कि ये चाबियां रत्न भंडार की हैं या नहीं। आधिकारिक प्रक्रिया का पालन करने के बाद रत्न भंडार को इन चाबियों से खोला जाएगा।
खजाने की चाबी पर गरमाई राजनीति
गौरतलब है कि चाबियां खोने के बाद से काफी विवाद हो गया था। मामले में राजनीति भी की जाने लगी थी। यहां तक कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 4 जून को मामले की न्यायिक जांच के आदेश भी दे दिए। मंदिर के मुख्य प्रशासक और आईएएस अधिकारी प्रदीप जेना का 11 जून को ट्रांसफर भी कर दिया गया।
ओडिशा हाईकोर्ट के आदेश के बाद, चार अप्रैल को 16 सदस्यीय एक दल ने रत्न भंडार की स्थिति जानने के लिए इसके दरवाजे 34 साल बाद खोले थे। हालांकि अंदरूनी कक्षों की चाबियां नहीं होने के कारण वो अंदर नहीं जा सके। इसके बाद वो बाहरी कक्षों का ही निरीक्षण करने के बाद लौट आए। इसके बाद कांग्रेस ने चाबियां खोने के मुद्दे पर सरकार को घेरा था।
Created On :   15 Jun 2018 8:29 AM IST