India-China Dispute: भारत के समर्थन में आए लद्दाख के तिब्बती शरणार्थी

Tibetan refugees from Ladakh in support of India (Special ground report from Leh)
India-China Dispute: भारत के समर्थन में आए लद्दाख के तिब्बती शरणार्थी
India-China Dispute: भारत के समर्थन में आए लद्दाख के तिब्बती शरणार्थी

डिजिटल डेस्क, लेह। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत और चीन के बीच गतिरोध बना हुआ है। इस बीच लेह में तिब्बती शरणार्थियों का एक छोटा-सा समूह भारत का समर्थन कर रहा है। ये तिब्बती शरणार्थी चीन को विस्तारवादी नीति वाला देश बताते हुए उस पर दुनियाभर में कोरोनावायरस फैलाने का भी आरोप लगा रहे हैं।

लेह में तिब्बती शरणार्थी बाजार तिब्बत से विस्थापित लोगों द्वारा चलाया जाता है, जिनके पूर्वजों ने साठ के दशक में वहां से पलायन किया था। याग्चिन करीब 100 तिब्बती शरणार्थियों में से एक हैं, जो लेह में दुकान चला रही हैं। वह एक रेडीमेड सामानों की दुकान चलाती हैं। वह कहती हैं कि वह तिब्बत लौटना चाहती हैं और उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उनका सपना साकार होगा।

उन्होंने कहा, मैं भारत में पैदा हुई थी। मेरे माता-पिता तिब्बत से आए थे। वे अब मर चुके हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि हम एक दिन तिब्बत लौटेंगे। याग्चिन कहती हैं कि चीन एक विस्तारवादी शक्ति है और कोरोनो वायरस महामारी का केंद्र है।चीन ने दुनिया में कोरोनावायरस फैलाया है। अब वे हांगकांग जैसे छोटे देशों पर क्रूरता कर रहे हैं। यह वह समय है, जब दुनिया इस क्षेत्र में होने वाली घटनाओं पर ध्यान दे रही है और तिब्बत की मुक्ति में मदद कर रही है।

उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों को गलवान घाटी में बड़ा नुकसान हुआ है, जिससे हर कोई दुखी है। उन्होंने कहा, हमें चीन से बदला लेना चाहिए। एक रेडीमेड परिधान का आउटलेट चलाने वाले लूपसैंग ने कहा कि यह चीनी वस्तुओं और उत्पादों का बहिष्कार करने का समय है। उन्होंने कहा, चीन ने बहुत गलत किया, उन्होंने भारत पर पीछे से हमला किया है। हमें चीन के उत्पादों और सामानों का बहिष्कार करना चाहिए।

तिब्बती शरणार्थियों का बाजार 1980 के दशक में शुरू हुआ था। यहां 145 दुकानें हैं, लेकिन ज्यादातर कोरोनावायरस के प्रकोप के बाद बंद हो गई हैं। तिब्बती मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष सोनम ने कहा कि सरकार को स्थानीय उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करके और चीनी उत्पादों को हतोत्साहित करके मेक इन इंडिया के विचार को साकार करने की दिशा में काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा, हम सरकार से अपील करते हैं कि कृपया मेक इन इंडिया के विचार पर काम करें। वास्तविकता यह है कि इस बाजार की 80 प्रतिशत सामग्री चीनी है। हमारे लिए भारतीय सामान लाना बहुत मुश्किल है। चीनी अतिक्रमण कोई नई बात नहीं है। ये हर साल होता रहा है, लेकिन भारतीय प्रतिक्रिया उन्हें हमेशा उनकी हद में कर देती है। चीन हर साल कुछ किलोमीटर की दूरी तय करता है, लेकिन भारत कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है। अब भारत ने 20 सैनिकों को खोने के बाद स्थिति की गंभीरता परखी है। हम भारत को अपनी मां मानते हैं। हम भारत में जन्मे और पले-बढ़े हैं। हम पहले भारतीय हैं। अगर हमें भारतीय सीमाओं की रक्षा करने के लिए कहा जाए, तो हम खुशी से ऐसा करेंगे।

 

Created On :   23 Jun 2020 11:01 PM IST

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