देश के विभाजन पर झलका संघ प्रमुख का दर्द 

The pain of the Sangh chief reflected on the partition of the country
देश के विभाजन पर झलका संघ प्रमुख का दर्द 
भागवत का बड़ा बयान देश के विभाजन पर झलका संघ प्रमुख का दर्द 
हाईलाइट
  • देश का विभाजन कभी न मिटने वाली वेदना
  • विभाजन राजनैतिक प्रश्न नहीं
  • बल्कि यह अस्तित्व का प्रश्न है

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। 1947 में हुये देश के विभाजन को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा  कि देश का विभाजन कभी ना मिटने वाली वेदना है। इसका निराकण तभी होगा, जब ये विभाजन निरस्त होगा। बता दें कि भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के विभाजन में सबसे पहली बलि मानवता की ली गई, नोएडा में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में आए भागवत ने कहा कि विभाजन कोई राजनैतिक प्रश्न नहीं है, बल्कि यह अस्तित्व का प्रश्न है। भारत के विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार ही इसलिए किया गया, ताकि खून की नदियां ना बहें, लेकिन उसके उलट तब से अब तक कहीं और ज्यादा खून बह चुका है।

देश के विभाजन पर बरसे भागवत

आपको बता दें कि संघ प्रमुख ने कहा भारत का विभाजन उस समय की परिस्थिति से ज्यादा इस्लाम के साथ ही ब्रिटिश आक्रमण का परिणाम था। हालांकि गुरुनानक जी ने पहले ही इस्लामी आक्रमण को लेकर हमें चेताया था। उन्होंने आगे कहा कि भारत का विभाजन कोई उपाय नहीं है, इससे कोई भी सुखी नहीं है। अगर विभाजन को समझना है, तो हमें उस समय से समझना होगा, बता दें कि भागवत विभाजनकालीन भारत के साक्षी पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे  थे।  

इस किताब में है छुपा है विभाजन का दर्द 

गौरतलब है कि विभाजनकालीन भारत के साक्षी किताब के लेखक कृष्णानंद सागर ने देश के उन लोगों के अनुभव को पुस्तक में शामिल किया है,जिन्होंने विभाजन के दर्द को महसूस किया हैं। पुस्तक में विभाजन के साक्षी रहे लोगों के साक्षात्कारों को संकलित किया गया हैं। नोएडा के सेक्टर-12 में स्थित भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में हुए पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव  अध्यक्ष के रूप में मौजूद रहे। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव कुमार रत्नम और विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री श्रीराम आरावकर बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।


 

Created On :   26 Nov 2021 12:06 AM IST

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