सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को किया रद्द
- अदालत ने कहा संयम का करें पालन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अल्पन बंद्योपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के मामले को पश्चिम बंगाल से नई दिल्ली स्थानांतरित करने पर रोक लगा दी गई थी।
बंद्योपाध्याय तब सुर्खियों में आए, जब वह चक्रवात यास के मद्देनजर कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल नहीं हुए। 37 पन्नों के फैसले में जस्टिस ए.एम. खानविलकर और सी.टी. रविकुमार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र की अपील की अनुमति देते हुए कहा, मौजूदा मामले में कलकत्ता के उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, नई दिल्ली द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर विचार करने के अधिकार क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। इस तथ्य पर ध्यान दें कि ट्रिब्यूनल की प्रधान पीठ अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है। शीर्ष अदालत ने ट्रिब्यूनल की प्रधान पीठ के खिलाफ की गई कुछ तीखी और अपमानजनक टिप्पणियों को भी हटा दिया।
अदालत ने कहा संयम का पालन करें। हम कहते हैं कि उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी अनुचित, अनावश्यक और निराधार धारणाओं पर तीखी प्रतिक्रिया से बचने योग्य थी। हमें यह मानने में कोई संकोच नहीं है कि टिप्पणी निर्णय लेने के उद्देश्य से पूरी तरह से अनावश्यक थी। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय को अधिकार क्षेत्र के बिना पारित माना जाना चाहिए और इसलिए, इसे अलग रखा गया है। पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति दी थी। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने याचिका के निपटारे के मामले में अनुचित जल्दबाजी की।
शीर्ष अदालत ने बंद्योपाध्याय को न्यायाधिकरण के आदेश को क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय में चुनौती देने की छूट भी दी। बंद्योपाध्याय ने कैट की कोलकाता पीठ में बैठक में शामिल नहीं होने के लिए उनके खिलाफ कार्मिक और लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती दी थी।
इसके बाद केंद्र ने नई दिल्ली में कैट की प्रधान पीठ के समक्ष एक याचिका दायर कर मामले को कोलकाता पीठ से प्रधान पीठ को स्थानांतरित करने की मांग की। ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष ने केंद्र की याचिका को स्वीकार कर लिया और इस आदेश को बंद्योपाध्याय ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा, कानून के मामले में ट्रिब्यूनल अध्यक्ष अधिनियम की धारा 25 के तहत स्थानांतरण का आदेश पारित कर सकता है। इसलिए, अध्यक्ष के खिलाफ टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए थी।
(आईएएनएस)
Created On :   6 Jan 2022 8:30 PM GMT