UP: गोरखपुर सांसद प्रवीण निषाद बीजेपी में शामिल, लड़ सकते हैं चुनाव
- गोरखपुर उपचुनाव में निषाद ने बीजेपी को ही दी थी मात।
- गोरखपुर से सांसद प्रवीण निषाद बीजेपी में शामिल।
- समाजवादी पार्टी के टिकट पर हासिल की थी जीत।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव के बीच गोरखपुर से सांसद प्रवीण निषाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। निषाद पार्टी ने हाल ही में समाजवादी पार्टी से अपना गठबंधन तोड़ा था। अब निषाद पार्टी ने बीजेपी से हाथ मिला लिया है। बता दें कि प्रवीण निषाद ने गोरखपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही जीत दर्ज की थी। पिछले साल हुए उपचुनाव में निषाद ने बीजेपी के ही उम्मीदवार को हराया था। अब ये भी खबरें हैं कि निषाद गोरखपुर से ही बीजेपी की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
Delhi: Nishad Party leader and Gorakhpur (UP) MP Praveen Nishad joins Bharatiya Janata Party. Nishad Party to support BJP in Uttar Pradesh in upcoming Lok Sabha elections. pic.twitter.com/Aqk5X2ZeAu
— ANI (@ANI) April 4, 2019
गुरुवार को दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में प्रवीण निषाद को बीजेपी के वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह भी मौजूद रहे। गोरखपुर में लोकसभा उपचुनाव के दौरान सपा ने प्रवीण निषाद को चुनावी मैदान में उतारा था। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर सीट खाली हुई थी। निषाद पार्टी के बीजेपी के साथ जाने को सपा-बसपा-आरएलडी महागठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
हालांकि इससे पहले निषाद पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया था, लेकिन कुछ दिनों के अंदर ही पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष संजय निषाद ने सपा पर उनकी पार्टी की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। इसके बाद सपा ने गोरखपुर सीट से सिटिंग सांसद प्रवीण निषाद का टिकट काटकर रामभुआल निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया। निषाद पार्टी ने आरोप लगाया था कि, अखिलेश यादव गठबंधन की अपनी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के दबाव में काम कर रहे हैं।
मंगलवार को संजय निषाद ने कहा था, अखिलेश यादव, मायावती के दबाव में काम कर रहे हैं। यही कारण था कि गोरखपुर और महाराजगंज सीटें देने का भरोसा दिलाने के बाद भी सपा अध्यक्ष ने मेरे साथ छल किया। अखिलेश ने बाद में दो के बजाय एक सीट देते हुए एसपी के चुनाव निशान पर लड़ने को कहा। यह मंजूर नहीं था। मैं अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न- भोजन भरी थाली पर चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अखिलेश और मायावती दोनों ने ही मुझे ठगा इसलिए अलग होने का निर्णय लेना पड़ा।
Created On :   4 April 2019 7:36 AM GMT