नासा ने कहा, A-Sat परीक्षण से स्पेस स्टेशन को खतरा, भारतीय एक्सपर्ट ने खारिज किया दावा

Nasa says A-Sat test debris pose danger to ISS, Indian experts rubbish claim
नासा ने कहा, A-Sat परीक्षण से स्पेस स्टेशन को खतरा, भारतीय एक्सपर्ट ने खारिज किया दावा
नासा ने कहा, A-Sat परीक्षण से स्पेस स्टेशन को खतरा, भारतीय एक्सपर्ट ने खारिज किया दावा
हाईलाइट
  • DRDO के पूर्व प्रमुख वीके सारस्वत ने कहा कि नासा का यह बयान अटकलबाजी मात्र है।
  • नासा ने कहा था भारतीय सैटेलाइट के टुकड़े कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं। इसके चलते आईएसएस के लिए खतरा पैदा हो गया है।
  • भारतीय अंतरिक्ष और मिसाइल विशेषज्ञों ने नासा के दावे को खारिज कर दिया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष और मिसाइल विशेषज्ञों ने नासा के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि भारत के एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण के कारण भारतीय सैटेलाइट के 400 टुकड़े कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं। इसके चलते इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) और उसमें रह रहे एस्ट्रोनॉट्स के लिए खतरा पैदा हो गया है।

DRDO के पूर्व प्रमुख वीके सारस्वत ने कहा कि नासा का यह बयान अटकलबाजी मात्र है। "यह भारत की प्रगति से निपटने का एक विशिष्ट अमेरिकी तरीका है। जहां तक ​​हमारे ए-सेट मिसाइल परीक्षण का सवाल है, तो नष्ट की गई मिसाइल के टुकड़े ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में नहीं रह सकते क्योंकि इनमें पर्याप्त वेग नहीं होता है। बिना ऊर्जा या गति के साथ, ए-सेट परीक्षण के बाद 300 किमी की ऊंचाई पर उत्पन्न ये मलबा अंततः पृथ्वी के वायुमंडल में गिर जाएगा और जल जाएगा।"

मौजूदा अंतरिक्ष मलबे पर सारस्वत ने कहा, "लाखों और लाखों अंतरिक्ष मलबे पहले से ही अंतरिक्ष में घूम रहे हैं, क्या इससे आईएसएस को खतरा नहीं है। हर साल अलग-अलग आकार के 190 उपग्रहों को लो-अर्थ ऑर्बिट में लॉन्च किया जाता है और यह संख्या बढ़ने वाली है। प्रत्येक उपग्रह प्रक्षेपण से बहुत अधिक मलबा बनता है। इसलिए भारत के ए-सेट परीक्षण से उत्पन्न अंतरिक्ष मलबे के बारे में बात करना बेकार है।"

डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता ने कहा, "नासा प्रमुख की इस तरह की टिप्पणी भेदभावपूर्ण और गैरजिम्मेदाराना है। यह एक दुष्प्रचार है। भारत ने ए-सेट का परीक्षण 300 किमी की ऊंचाई पर किया गया था जबकि आईएसएस अधिक ऊंचाई पर है। ए-सेट से उत्पन्न मलबे की ऊपर की ओर जाने की संभावना बेहद कम है, क्योंकि उनमें इतनी उर्जा और गति नहीं है कि वह ज्यादा देर तक ऊपर की ओर जा सके। रवि गुप्ता ने कहा, अमेरिका भारत को दोष दे रहा है लेकिन, इससे पहले अमेरिका ने भी कई बार ए-सेट मिसाइल का परीक्षण किया है जिससे कई सारा अंतरिक्ष मलबा उत्पन्न हुआ है। इसी तरह रूस और अमेरिका ने भी जब इस तरह का टेस्ट किया था तो बहुत सारा अंतरिक्ष मलबा उत्पन्न हुआ था।

यूनाइटेड नेशन ऑफिस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स (UNOOSA) के अनुसार, वर्तमान में पृथ्वी की कक्षा में ट्रेक की गई 19,000 आर्टिफीशियल ऑब्जेक्ट में से केवल 1400 कार्यात्मक सैटेलाइट हैं। बाकी सभी ऑब्जेक्ट को सामूहिक रूप से "अंतरिक्ष मलबे" के रूप में जाना जाता है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक अनुमान के अनुसार, ऑर्बिट में 34,000 से अधिक टुकड़े हैं जो आकार में 10 सेमी से बड़े हैं। 1 सेमी और 10 सेमी के बीच के करीब 10 लाख टुकड़े और एक सेंटीमीटर से कम आकार के टुकड़ों की संख्या 1 करोड़ 28 लाख के करीब है।

बता दें कि नासा प्रमुख जिम ब्राइडनस्टाइन ने अपने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि "हम भारतीय सैटेलाइट के टुकड़ों को ट्रैक करने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक हमने 10 सेमी या उससे बड़े 60 टुकड़ों को ट्रैक किया है। 24 टुकड़े आईएसएस के पास चक्कर लगा रहे हैं, यह खतरनाक साबित हो सकते हैं। नासा चीफ ने यह भी कहा था कि आईएसएस से टुकड़ों के टकराने का खतरा 44% तक बढ़ चुका है। हालांकि यह खतरा समय के साथ कम हो जाएगा क्योंकि वायुमंडल में प्रवेश के साथ ही मलबा जल जाएगा।

Created On :   2 April 2019 7:25 PM IST

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