महाराष्ट्र चुनाव : क्या इतिहास रच पाएंगे देवेंद्र फडणवीस?

Maharashtra elections: will Fadnavis create history?
महाराष्ट्र चुनाव : क्या इतिहास रच पाएंगे देवेंद्र फडणवीस?
महाराष्ट्र चुनाव : क्या इतिहास रच पाएंगे देवेंद्र फडणवीस?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जितने भी दल, जितने भी उम्मीदवार और जितने भी स्टार प्रचारक हिस्सा ले रहे हैं, उनमें से यदि सबसे ज्यादा दांव किसी का लगा है, तो वह हैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस। इस चुनाव में यदि भाजपा 122 से अधिक सीटें जीतती है तो फडणवीस इतिहास रचेंगे, लेकिन यदि पार्टी इस आंकड़े से पीछे रह जाती है तो मुख्यमंत्री बन जाने के बावजूद उनकी राजनीतिक राह कठिन हो जाएगी।

फडणवीस इस बात को समझते हैं, और इसी कारण वह प्रचार में दिन-रात पसीना बहा रहे हैं। अब तक वह 50 चुनावी सभाएं कर चुके हैं, और 19 अक्टूबर तक 58 सभाएं कर लेंगे।

इस तरह 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पूरे देश का तूफानी दौरा किया था, उसी तरह महाराष्ट्र में सरकार की बागडोर दूसरी बार संभालने के लिए कृतसंकल्प मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पिछले 75 दिनों से राज्य के कोने-कोने में नॉनस्टॉप चुनाव प्रचार कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के करीब दो महीने पहले से सक्रिय फडणवीस करीब-करीब हर विधानसभा का दौरा कर चुके हैं। दरअसल, 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा में इस बार भाजपा को 122 सीटों से आगे ले जाने की जिम्मेदारी केवल और केवल देवेंद्र फडणवीस के ही कंधे पर है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वस्तुत: 2014 के विधानसभा चुनाव में राज्य के किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया था। सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर सहयोगी शिवसेना के साथ गंभीर मतभेद के कारण दोनों भगवा दलों का गठबंधन भी नहीं हो सका था। पिछले चुनाव में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भाजपा को 127 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं थे। दोनों दल अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरे। भाजपा अपने दम पर 122 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और बहुमत से केवल 23 सीट पीछ रह गई। सरकार बनाने के लिए उसे मजबूरन 63 सीटें जीतने वाली शिवसेना के साथ चुनाव बाद गठबंधन करना पड़ा था। क्रमश: 41 और 40 सीटें जीतने वाली कांग्रेस और राकांपा को विपक्ष में बैठना पड़ा था।

इसके विपरीत 2019 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदला हुआ है। इस बार भाजपा शिवसेना का चुनावी गठबंधन है। भाजपा निर्विवाद बड़े भाई की भूमिका में है, जबकि शिवसेना छोटे भाई के किरदार में है। भाजपा 164 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिवसेना ने 124 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने खुद घोषणा की है कि चुनाव देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है। जाहिर है, इस परिस्थिति में मुख्यमंत्री पर इस बार 122 सीटों में इजाफा करने की गंभीर जिम्मेदारी है।

चुनाव के बाद अगर भाजपा 130 से 140 सीटें जीतती है तो उसका श्रेय निश्चत रूप में फडणवीस को जाएगा और राज्य में उनके नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नेता नहीं होगा। लेकिन अगर भाजपा की सीटें 122 से कम हो गईं तो मुख्यमंत्री के विरोधी निश्चित रूप से सिर उठाएंगे। खासकर जिन सीनियर नेताओं के टिकट काटे गए हैं, वे देवेंद्र का मुखर विरोध करेंगे। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा में घोषणा कर दी थी कि उनकी सरकार दोबारा सत्ता में आ रही है।

इसके बाद पहली अगस्त से फडणवीस महाजनादेश यात्रा पर निकल गए। तीन चरणों वाली महाजनादेश यात्रा की आगाज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में अमरावती के गुरुकुंज मोजरी से शुरू हुई। महाजनादेश यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने 62 जनसभाओं को संबोधित किया। नौ अक्टूबर के बाद गठबंधन के उम्मीदवीरों के चुनाव प्रचार में फडणवीस अब तक 50 से ज्यादा जनसभाओं को संबोधित कर चुके हैं। 19 अक्टूबर की शाम तक वह 58 जनसभाओं को संबोधित करेंगे।

भाजपा इस बार चुनाव को लेकर इतनी ज्यादा गंभीर है कि राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुल नौ सभाएं हो रही हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 18 जनसभाएं कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 13 सभाएं, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा छह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तीन सभाएं कर चुके हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति में शुरू से मराठा नेताओं का दबदबा रहा है, इसके बावजूद ब्राह्मण समुदाय से आने वाले फडणवीस ने मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करके अपने आप को राज्य का सबसे लोकप्रिय नेता साबित किया है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और राकांपा के कई बड़े नेताओं को भाजपा में शामिल करके उन्होंने विपक्ष को बहुत कमजोर कर दिया है।

1960 में महाराष्ट्र राज्य के अस्तित्व में आने के बाद राज्य में 17 मुख्यमंत्री पदासीन हुए। लेकिन उनमें से केवल दो ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके। उनमें से एक नागपुर की दक्षिण पश्चिम सीट से निर्वाचित देवेंद्र फडणवीस हैं। उनसे पहले वसंत राव नाईक ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए थे। यानी फडणवीस ने इतिहास रचा है और इस इतिहास से आगे बढ़ने के लिए वह फिर से नागपुर की दक्षिण पश्चिम सीट से मैदान में हैं।

पिछले पांच साल के दौरान कई बार लगा कि मराठा नेता ब्राह्मण मुख्यमंत्री को हटाना चाहते हैं, मगर फडणवीस इससे घबराए नहीं और हमेशा आंदोलनकारियों से बातचीत को तैयार रहे। खासकर उन्होंने मराठा आंदोलन को जिस कुशलता से संभाला, उसके बाद उन्होंने साबित कर दिया कि वह प्रशासनिक दृष्टि से दूसरे नेताओं से बीस ही हैं।

 

Created On :   18 Oct 2019 7:30 PM IST

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